Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
ब्रिटिश भारत के गवर्नर, गवर्नर जनरल और वायसराय (british India governor, governor general and varsha Rai)
बंगाल के गवर्नर
लॉर्ड क्लाइव (1757 - 1760 ईसवी एवं 1765 - 1767)
- लार्ड क्लाइव को भारत में अंग्रेजी शासन का संस्थापक माना जाता है. ईस्ट इंडिया कंपनी ने क्लाइव को 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला प्रथम गवर्नर था.
- भारत में अंग्रेजी शासन की स्थापना में निर्णायक माना जाने वाला 1757 का प्लासी का युद्ध क्लाइव के नेतृत्व में लड़ा गया.
- बंगाल के गवर्नर के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में बरार को बरार के युद्ध में ने मुगल सम्राट का शाह आलम द्वितीय से इलाहाबाद की संधि की.
1764 में ऐतिहासिक बक्सर युद्ध के समय “वसि़ंटार्ट 176065 ईसवी में बंगाल का गवर्नर था।
इलाहाबाद की संधि के बाद क्लाइव ने बंगाल में द्वैध शासन की नींव रखी है. द्वैध शासन के दौरान कंपनी के अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार को कम करने के लिए लॉर्ड क्लाइव ने सोसायटी आफ ट्रेड की स्थापना की .
बंगाल के गवर्नर जनरल
वारेन हेस्टिंग (1772 - 1785 ईसवी)
1772 में कार्टियर के बाद वारेन हेस्टिंग को बंगाल का गवर्नर बनाया गया इसने बंगाल में चल रहे द्वैध शासन को समाप्त कर बंगाल का शासन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन कर दिया.
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट के दौरान वारेन हेस्टिंग को बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया. वारेन हेस्टिंग्स बंगाल की राजधानी कोलकाता लाकर इसे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की राजधानी घोषित किया.
वारेन हेस्टिंग्स 1776 में कानून संबंधी एक संहिता का निर्माण करवाया जिसे एक कोड ऑफ जंतु कहा जाता है.
इस के समय में बंगाल के एक समृद्ध ब्राह्मण नंदकिशोर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर अभियोग चलाया गया.
प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध वारेन हेस्टिंग के शासनकाल में हुआ इसके समय में द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध ( 1780 - 84) भी हुआ.
वारेन हेस्टिंग के कार्यकाल में पिट्स इंडिया एक्ट पारित हुआ जिसके द्वारा बोर्ड ऑफ कंट्रोल की स्थापना हुई वारेन हेस्टिंग ने 1785 में वापस इंग्लैंड जाने के बाद मैप फंक्शन 17 86 तक बंगाल का गवर्नर रहा.
लार्ड कार्नवालिस (1786 - 1793)
लार्ड कार्नवालिस को भारत में एक निर्माता एवं सुधारक के रूप में याद किया जाता है लार्ड कार्नवालिस को सिविल सेवा का जनक भी कहा जाता है इसने कलेक्टर के अधिकारियों को सुनिश्चित किया और उनके वेतन का निर्धारण किया लार्ड कर्नवालिश ने भारत में ब्रिटेन से भी पहले पुलिस व्यवस्था की स्थापना की इसलिए इसे पुलिस व्यवस्था का जनक भी कहा जाता है.
लार्ड कार्नवालिस ने प्रशासनिक व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए 1793 में एक नियम बनाया जिसे कार्नवालिस कोड के नाम से भी जाना जाता है . इस कोड के अनुसार लार्ड कार्नवालिस ने इसने कार्यपालिका एवं न्यायपालिका की शक्तियों का विभाजन किया.
1790 92b में तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध लार्ड कार्नवालिस के काल में ही हुआ.. लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल बिहार और उड़ीसा में स्थाई बंदोबस्त लागू किया..
1805 में लार्ड कार्नवालिस की मृत्यु हो गई गाजीपुर में इस का मकबरा बनाया गया है जिसे लाट साहब का मकबरा भी कहा जाता है.
सर जॉन शोर ( 1793 से 1798 ईसवी)
लार्ड कार्नवालिस के बाद सर जान शोर को बंगाल का गवर्नर जनरल बनाया गया. इस के कार्यकाल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना खादरा का युद्ध जो 1795 में मराठों और निजाम के बीच में हुआ था. जान शोर अपनी आ हस्तक्षेप की नीति के कारण विख्यात है. इस के कार्यकाल में बंगाल के अंग्रेज अधिकारियों के विद्रोह से स्थित अनियंत्रित हो गई जिसने 1798 में इसे वापस इंग्लैंड बुला लिया गया.
लार्ड वेलेजली 1798 से 1805 )
लार्ड वेलेजली ने
शांति की नीति का परित्याग कर केवल युद्ध की नीति का अवलंबन किया. लार्ड वेलेजली ने साम्राज्य विस्तार की नीति अपनाते हुए भारतीय राज्यों को ब्रिटिश शासन की परिधि में लाने के लिए सहायक संधि प्रणाली का प्रयोग किया लार्ड वेलेजली कंपनी को भारत की सबसे बड़ी शक्ति बनाना चाहता था उसके प्रदेशों का विस्तार कर भारत के सभी राज्यों को कंपनी पर निर्भर होने की स्थिति में लाना चाहता था सहायक संधि का हस्ताक्षर करने वाले राज्य में हैदराबाद तथा फिर मैसूर तंजौर अवध जोधपुर जयपुर बूंदी भरतपुर और पेशावर शामिल थे बिजली के कार्यकाल में चौथा आंग्ल मैसूर युद्ध हुआ इसने इस युद्ध में टीपू सुल्तान को हराने के पश्चात मैसूर पर अधिकार कर लिया इसने पेशवा के साथ बेसिन की संधि की तथा 1803 से पांच के दौरान द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध लड़ा लार्ड वेलेजली ने अपने विस्तार नीति के तहत पंजाब एवं सिंधु को छोड़कर लगभग संपूर्ण भारत को कंपनी के प्रभाव क्षेत्र में ला दिया लार्ड वेलेजली के के कार्यकाल में टीपू सुल्तान नेपोलियन से पत्राचार कर भारत से अंग्रेजों को निकालने की योजना बनाई.
सर जॉर्ज बार्लो
वेल्लोर मैं विद्रोह का दमन
वेलेजली के बाद कार्नवालिस को पुनः 1805 में बंगाल का गवर्नर जनरल बनाकर भेजा गया किंतु 3 महीने बाद अक्टूबर 1805 में उसकी मृत्यु हो गई कार्नवालिस की मृत्यु के बाद चार्ज बालों को बंगाल का गवर्नर जनरल बनाएगा जॉर्ज बार्लो ने लार्ड वेलेजली के विपरीत आ हस्तक्षेप की नीति अपनाई. इस के कार्यकाल में वेल्लोर में 1806 में सिपाहियों का विद्रोह किया गया. जॉर्ज वालों ने फेल कर के साथ मिलकर के साथ राजपुर घाट की संधि की.
लॉर्ड मिंटो (1807 - 1813)
लॉर्ड मिंटो ने रणजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि की. लॉर्ड मिंटो नेम वेलकम को ईरान तथा एलिस इन चैंस को काबुल भेजा. इस के कार्यकाल में 1813 का चार्टर अधिनियम पारित हुआ. लॉर्ड मिंटो ने फ्रांसीसी हो पर आक्रमण करके बोरबंद और मारीशस के दीपों पर कब्जा किया.
माक्ईवर्स हेस्टिंग्स (1813 - 1823)
इसके कार्यकाल में आंग्ल नेपाल युद्ध 1814 से 1816 के बीच हुआ.
संगोली की संधि संधि के द्वारा काठमांडू में एक ब्रिटिश रेजीडेंट रखना स्वीकार कर लिया गया इस संधि के द्वारा अंग्रेजों को शिमला मसूरी रानीखेत एवं नैनीताल प्राप्त हुए. लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध 1817 से 1818 हुआ 1818 में इसने पेशवा का पद समाप्त कर दिया इसने 1817 से 1818 में पिंडारी ओं का दमन किया पिंडारी यों के नेता जीतू वासिल मोहम्मद तथा करीम खान थे लॉर्ड हेस्टिंग्स ने 1799 में लगाए गए प्रतिबंधों प्रेस के प्रतिबंधों को हटा लिया. इस के कार्यकाल में 1822 में बंगाल में रहे अब के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए बंगाल काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया.
लॉर्ड अम्हरस्ट (1823 - 1828)
लाड अम्हरस्ट के कार्यकाल में बर्मा युद्ध ( 1824 - 1826) हुआ. बर्मा युद्ध की सफलता के बाद अंग्रेजों ने 1826 में यादवों की संधि की जिसके बाद वर्मा ने हर्जाने के रूप में ब्रिटेन को 10000000 रुपए दिए लॉर्ड अम्हरस्ट ने 1824 में कोलकाता में गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज की स्थापना की इसने भारतपुर के दुर्ग पर अधिकार किया तथा बैरकपुर में हुए विद्रोह को दबाया.
भारत के गवर्नर जनरल
लॉर्ड विलियम बैटिंग (1828 - 1835)
लॉर्ड विलियम बैटिंग भारत में किए गए सामाजिक सुधारों के लिए विख्यात है बैटिंग ने कोर्ट ऑफ डायरेक्टर की इच्छाओं के अनुसार भारतीय रियासतों के प्रति समानता की नीति अपनाई. इसमें ठगों के आतंक से निपटने के लिए कर्नल स्लीमैन को नियुक्त किया इस के कार्यकाल में 1829 में सती प्रथा का अंत कर दिया गया बैटिंग ने भारत में कन्या शिशु वध पर प्रतिबंध लगाया बैटिंग के कार्यकाल में देवी देवताओं को नरबलि देने की प्रथा का अंत कर दिया गया शिक्षा के क्षेत्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान था इस इस के कार्यकाल में अपनाई गई मैकाले की शिक्षा पद्धति में भारत के बौद्धिक जीवन को लेकर ढंग से प्रभावित किया जीवन को लेखनी ढंग से प्रभावित किया..
सर चार्ल्स METCUFF
विलियम बैटिंग के पश्चात सर चार्ल्स मटका को 1835 में भारत के गवर्नर जनरल बनाया गया है इसमें समाचार पत्रों पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर दिया इसलिए इसे प्रेस का मुक्तिदाता भी कहा जाता है.
लॉर्ड ऑकलैंड 1836 से 1842 तक
लॉर्ड ऑकलैंड के कार्यकाल में प्रथम अफगान युद्ध 1838 से 1842 तक हुआ था .1838 में लॉर्ड ऑकलैंड में राजा रणजीत सिंह और अफगान के शासक शाह भुजा से मिलकर त्रिपक्षीय संधि की थी. आकलैंड को भारत में शिक्षा एवं पश्चात चिकित्सा पद्धति के विकास और प्रसार के लिए जाना जाता है आकलैंड के कार्यकाल में बंबई और मद्रास में मेडिकल कालेजों की स्थापना की गई. इस के कार्यकाल में शेरशाह द्वारा बनवाए गए ग्रैंड टैंक रोड की मरम्मत करवाई गई थी.
लॉर्ड एलन बारो (1842 - 1844)
लार्ड एलन बारो के कार्यकाल में प्रथम अफगान युद्ध का अंत हो गया . इस के कार्यकाल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना 18 43 में सिंध का ब्रिटिश राज्य में विलय करना था. इस के कार्यकाल में भारत में दास प्रथा का अंत कर दिया गया.
लॉर्ड हार्डिंग (1844 - 1848)
लॉर्ड हार्डिंग के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल सिख युद्ध 1845 में हुआ जिसकी समाप्ति लाहौर की संधि से हुई लॉर्ड हार्डिंग को प्राचीन स्मारकों के संरक्षण के लिए जाना जाता है इन्होंने स्मारकों की सुरक्षा का प्रबंध किया इन्होंने सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिए अंग्रेजी शिक्षा को प्राथमिकता दी.
लॉर्ड डलहौजी (1848 - 1856)
यह साम्राज्यवादी था लेकिन इसका कार्यकाल सुधारों के लिए भी विख्यात है काल में 18 सो 51 से 18 सो 52 में द्वितीय आंग्ल बर्मा युद्ध हुआ 18 सो 52 में बर्मा के पीकू राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया लॉर्ड डलहौजी ने व्यापक गत के सिद्धांत को लागू किया था व्यापार गत के सिद्धांत के द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य में लाए गए राज्यों में सातारा 1848 जैतपुर व संभर 1849 बाघाट 1850 उदयपुर (1852) झांसी (1853) नागपुर (1854) आदि थे.
लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में भारत में रेलवे और संचार प्रणाली का विकास हुआ.
किसके कार्यकाल में दार्जिलिंग को भारत में सम्मिलित कर लिया गया.
लॉर्ड डलहौजी ने 1856 में अवध पर कुशासन का आरोप लगाकर उसका विलय ब्रिटिश साम्राज्य में कर लिया.
इस के कार्यकाल में ुड का निर्देश पत्र आया जिसे भारत में शिक्षा सुधारों के लिए मैग्नाकार्टा माना के जाता है.
इसने 18 से 54 में नया डाकघर अधिनियम (पोस्ट ऑफिस एक्ट) पारित किया जिसके द्वारा देश में पहली बार डाक टिकटों का प्रचलन आरंभ हुआ.
इस के कार्यकाल में भारतीय बंदरगाहों का विकास कर इन्हें अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य के लिए खोल दिया गया.
इस के कार्यकाल में हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ.
भारत के वायसराय
लॉर्ड कैनिंग (1858 - 1862)
यह 18 सो 56 से 18 सो 58 तक भारत का गवर्नर जनरल रहा भारत का अंतिम गवर्नर जनरल था तत्पश्चात ब्रिटिश संसद द्वारा 1858 पारित अधिनियम द्वारा इसे भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया. इस के कार्यकाल में आईपीसी सीपीसी तथा सीआरपीसी जैसी दंड विधियों को पारित किया गया.
इसके शासन काल के सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना 18 सो 57 का विद्रोह था.
इसके कार्यकाल में लंदन विश्वविद्यालय की तर्ज पर 1857 में कोलकाता मद्रास और मुंबई विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई.
18 सो 57 के विद्रोह के पश्चात पुनः भारत भारत पर अधिकार कर के कार्य करके मुगल सम्राट बहादुरशाह को रंगून निर्वासित कर दिया गया.
लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल में भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध नील विद्रोह हुआ था.
1861 का भारतीय परिषद अधिनियम इसी के कार्यकाल में पारित हुआ था.
सर जान लारेंस (1864 - 1869)
इस ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप न करने की नीति का पतन किया.
इस के कार्यकाल में यूरोप के साथ दूरसंचार व्यवस्था (1869 - 70) कायम की गई.
इस के कार्यकाल में कोलकाता मुंबई और मद्रास में उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई.
अपने महान अभियान के लिए भी इसे जाना जाता है.
काल में पंजाब काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया.
लॉर्ड मेयो (1869 - 1872)
इस के कार्यकाल में भारतीय संख्या किए बोर्ड का गठन किया गया.
इस के कार्यकाल में सर्वप्रथम 1871 मैं भारत में जनगणना की शुरुआत हुई.
इसने कृषि और वाणिज्य के लिए एक पृथक विभाग की स्थापना की.
लॉर्ड मेयो की हत्या 18 से 72 में अंडमान में कैदी द्वारा कर दी गई.
राजस्थान के अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना की.
लार्ड नॉर्थब्रुक (1872 - 1876)
इस के कार्यकाल में 18 सो 75 में बड़ौदा के शासक गायकवाड को पदच्युत कर दिया गया. प्रिंस ऑफ वेल्स एडवर्ड तृतीय की भारत यात्रा 18 से 75 में संपन्न हुई.
लॉर्ड नॉर्थब्रुक के कार्यकाल में कार्यकाल में पंजाब में कूका आंदोलन शुरू हुआ.
लॉर्ड लिटन (1876 - 1880)
इस के कार्यकाल में राज उपाधि अधिनियम पारित करके 18 सो 77 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को कैसर ए हिंद की उपाधि से विभूषित किया गया.
1878 वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित किया गया जिसे एसएन बैनर्जी ने आकाश से गिरे बज्रपात की संज्ञा दी थी.
लॉर्ड लिटन एक विख्यात कवि और लेखक था विद्वानों के बीच इसे ओवन मेरी डेट के नाम से भी जाना जाता है.
लॉर्ड लिटन ने सिविल सेवा में प्रवेश की उम्र 21 वर्ष से घटाकर के 19 वर्ष कर दी थी.
लार्ड रिपन (1880 - 1884)
18 सो 81 में प्रथम कारखाना अधिनियम पारित हुआ.
इसने अट्ठारह सौ बयासी में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट को रद्द कर दिया इसे प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है.
शिक्षा के क्षेत्र में हंटर आयोग का गठन किया गया.
1882 स्थानीय स्वशासन प्रणाली की शुरुआत की गई.
1883 इल्बर्ट बिल विवाद लिटन के कार्यकाल में हुआ था.
रिपन के कार्यकाल में सर विलियम हंटर के अध्यक्षता में शिक्षा आयोग का गठन किया गया था.
लॉर्ड डफरिन (1884 - 1888)
इस के कार्यकाल में तृतीय बर्मा युद्ध के द्वारा बर्मा को भारत में मिला लिया .
इस के कार्यकाल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गई.
लॉर्ड डफरिन के कार्यकाल में अफगान की उत्तरी सीमा का निर्धारण किया गया.
इस के कार्यकाल में बंगाल (1885) अवध 1886 और पंजाब (1887) किराया अधिनियम पारित किए गए.
लॉर्ड लैंसडाउन (1888 - 1893)
इस के कार्यकाल में भारत तथा अफगानिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण किया गया जिसे डूरंड रेखा के नाम से जाना जाता है.
इस के कार्यकाल में 1819 का कारखाना अधिनियम पारित किया गया.
एज ऑफ कमेंट बिल पारित होना इसके कार्य काल की महत्वपूर्ण घटना है.
इसने मणिपुर के टिकेंद्रजीत के नेतृत्व में हुए विद्रोह का दमन किया.
लार्ड आलिंगन सेकंड (1894 - 1899)
इस के कार्यकाल में भारत में क्रांतिकारी आतंकवादी घटनाएं शुरू हुई. पुणे के चाफेकर बंधुओं द्वारा 189 7 मैं ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या भारत में प्रथम राजनीतिक हत्या थी. हिंदूकुश पर्वत के दक्षिण के 1 राज्य चितराल के विद्रोह को दबाया इस के कार्यकाल में भारत में देशव्यापी अकाल पड़ा.
लार्ड कर्जन (1899 - 1905)
इस के कार्यकाल में फ्रेजर की अध्यक्षता में पुलिस आयोग का गठन किया गया इस आयोग की अनुशंसा पर सीआईडी की स्थापना की गई.
इस के कार्यकाल में उत्तरी पश्चिमी सीमावर्ती प्रांत की स्थापना की है.
शिक्षा के क्षेत्र में 1904 में विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया.
1904 में ही प्राचीन स्मारक परिरक्षण अधिनियम पारित करके भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान की स्थापना की गई.
इस के कार्यकाल में बंगाल का विभाजन हुआ जिससे भारत में क्रांतिकारियों की गतिविधियों का सूत्रपात हो गया
लॉर्ड मिंटो सेकंड (1905 - 1910)
1906 मुस्लिम लीग की स्थापना हुई.
इस के कार्यकाल में कांग्रेस का सूरत अधिवेशन हुआ, जिसमें कांग्रेस का विभाजन हो गया.
मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम 1909 में पारित किया गया.
इस के कार्यकाल में 1908 का समाचार अधिनियम पारित हुआ.
( कार्यकाल में प्रसिद्ध क्रांतिकारी खुदीराम बोस को फांसी दे दी ग
ई.
( इस के कार्यकाल में अंग्रेजों ने भारत में बांटो और राज करो की नीति औपचारिक रूप से अपना ली.
1908 मैं बाल गंगाधर तिलक को 6 वर्ष की सजा सुनाई गई.
लॉर्ड हार्डिंग 2 (1910 - 1916)
1911 मैं चार्ज पंचम के आगमन के अवसर पर दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया.
1911 मैं ही बंगाल विभाजन को रद्द करके वापस ले लिया गया.
1911 मैं बंगाल से अलग करके बिहार और उड़ीसा में राज्य बनाए गए.
1912 मैं भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया.
प्रथम विश्व युद्ध में भारत का समर्थन प्राप्त करने लॉर्ड हार्डिंग 2 सफल रहा.
लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916 - 1921)
लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में तिलक और एनी बेसेंट ने होम रूल लीग आंदोलन का सूत्रपात किया.1916 मैं कांग्रेस और मुस्लिम लीग में एक समझौता हुआ जिसे लखनऊ पैक्ट के नाम से जाना जाता है. पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनारस में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 ने की थी.
खिलाफत और असहयोग आंदोलन आरंभ हुआ.
अलीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना इसी के कार्यकाल के दौरान हुई.
महात्मा गांधी ने रौलट एक्ट के विरोध में आंदोलन शुरू किया.
1919 जलियांवाला बाग हत्याकांड इसी के कार्यकाल में हुआ.
1921 प्रिंस ऑफ वेल्स का भारत आगमन हुआ.
लॉर्ड रीडिंग (1921 - 1926)
लॉर्ड रीडिंग के कार्यकाल में 1919 का रौलट एक्ट वापस ले लिया गया.
इसी के कार्यकाल में केरल में मोपला विद्रोह हुआ.
इसीलिए कार्यकाल में 5 फरवरी 1922 मैं चौरी चौरा की घटना हुई जिसे गांधी जी ने अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया.
1923 मैं इसी के कार्यकाल में भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा इंग्लैंड और भारत दोनों स्थानों में आयोजित की गई.
इसी के कार्यकाल में सीआर दास और मोती लाल नेहरू ने 1922 में स्वराज पार्टी का गठन किया.
दिल्ली और नागपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना इसी के कार्यकाल में हुए.
लॉर्ड इरविन (1926 - 1931)
लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में हर कोर्ट बहलर समिति का गठन किया गया.
लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में साइमन आयोग भारत आया.
1928 मैं मोतीलाल नेहरू ने नेहरू रिपोर्ट पेश की. गांधी जी ने 1930 में नमक आंदोलन का आरंभ करते हुए दांडी मार्च निकाला.
कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में संपूर्ण सुराज का संकल्प लिया.
प्रथम गोलमेज सम्मेलन 1930 में लंदन में हुआ
इस के कार्यकाल में 5 मार्च 1931 को गांधी इरविन समझौता हुआ.
इस के कार्यकाल में पब्लिक सेफ्टी के विरोध में भगत सिंह और उसके साथियों ने असेंबली में बम फेंका.
लार्ड विलिंगटन (1931 - 1936)
लॉर्ड मिलिंगटन के कार्यकाल में द्वितीय और तृतीय गोलमेज सम्मेलन हुआ.
लार्ड मिलिंगटन के कार्यकाल में 1932 में देहरादून में भारतीय सेना अकैडमी (इंडियन मिलट्री अकैडमी) की स्थापना की गई
गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया 1934)
1935 मैं गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट पारित किया गया.
1935 मेरी बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया.
के कार्यकाल में भारतीय किसान सभा की स्थापना हुई
लॉर्ड लिन लिथ गो (1938 - 1943)
1939 सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस छोड़कर फारवर्ड ब्लाक नामक एक अलग पार्टी का गठन किया.
1939 मैं द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर प्रांतों की कांग्रेस मंत्री मंडलों ने त्यागपत्र दे दिया.
1940 के लाहौर अधिवेशन में मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए अलग राज्य की मांग करते हुए पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित किया.
1940 मैं कांग्रेस ने व्यक्तिगत असहयोग आंदोलन प्रारंभ कर दिया.
1942 मैं गांधी जी ने करो या मरो का नारा देकर भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया.
लार्ड वेवेल (1943 - 1947)
लॉर्ड वेवल ने शिमला में एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसे वेवल प्लान के नाम से ही जाना जाता है.
1946 मैं नौसेना का विद्रोह हुआ
1946 मैं अंतरिम सरकार का गठन हुआ.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने 20 फरवरी 1947 को भारत को स्वतंत्र करने की घोषणा कर दी.
लॉर्ड माउंटबेटन (1947 - 1948)
लॉर्ड माउंटबेटन भारत का अंतिम वायसराय था.
लार्ड माउंट ने 3 जून 1947 को भारत के विभाजन की घोषणा की
4 जुलाई 1947 ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रस्तुत किया जिसे 18 जुलाई 1947 को पारित करके भारत की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी गई.
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा भारत के दो टुकड़े करके इसे भारत और पाकिस्तान 2 राज्यों में बांट दिया गया.
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948 - 1950)
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948 - 1950)
भारत की स्वतंत्रता के बाद 1948 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी धन गवर्नर जनरल बनाया गया.
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