Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
कुतुबुद्दीन ऐबक
तराइन के द्वितीय युद्ध में विजय के उपरांत मोहम्मद गोरी गजनी लौट गया और भारत का राजकाज अपने विश्वस्त गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया भारत में तुर्की शासन की स्थापना 1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया गुलाम वंश का था 1206 से के मध्य दिल्ली सल्तनत के सुल्तान गुलाम वंश के सुल्तानों के नाम से विख्यात हुए.
गुलाम वंश को मामलूक्ट वंश भी कहा जाता है स्वतंत्र माता-पिता से उत्पन्न हुए दास यह अभिप्राय स्वतंत्र रूप से जन्म लिए हुए मामलों को वंशको गुलामों को इस श्रेणी में देशराज ने मिनाल उद्दीन सिराज ने कुतुबुद्दीन ऐबक को एक भी रहे हो उदार हृदय सुल्तान बताया उस की असीम उदारता के लिए उसे लाख बख्श कहा जाता था कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में कुवैत उल इस्लाम और अजमेर में अड़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण कराया था अब अपने सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर दिल्ली में कुतुब मीनार की नींव डाली जिसे इल्तुतमिश ने पूरा किया.
अब अगले साम्राज्य विस्तार से अधिक ध्यान राज्य के सुंदरीकरण में दिया उसने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया था 1210 ईस्वी में घोड़े से गिरकर युवक की मृत्यु हो गई उसकी मृत्यु के बाद उसका अयोग्यता पुत्र आराम शाह सुल्तान की गद्दी पर बैठा किंतु इल्तुतमिश ने इसे युद्ध में पास कर मार डाला स्वयं सुल्तान बन गया.
इल्तुतमिश 1210 से 1236
इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है यह कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद था किंतु पुलिस ने राजधानी को लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित किया इल्तुतमिश ने 40 गुलाम सरदारों की गुप्त संगठन का गठन तुर्कान ए चहलगानी 407 दल के नाम से जाना जाता है इस दुख में चांदी का टंका और तांबे का जीतन नामक नमक सिक्का चलाया.
इल्तुतमिश ने 1229 में बगदाद खलीफा से अधिकार प्राप्त किया है इसने नासिर अमीर उल मूल मीन की उपाधि धारण की बाली कारण इल्तुतमिश ने भी किया था उसने इतना संस्था का प्रयोग भारतीय समाज की सामंतवादी व्यवस्था को समाप्त करने तथा राज्य के भागों को केंद्र के साथ जोड़ने के साधन के रूप में प्रारंभ किया इल्तुतमिश ने 12 से 31 32 में कुतुब मीनार के निर्माण का कार्य पूरा करवाया इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद उसके पुत्र को रुकनुद्दीन फिरोज को तुर्की के अमीरों ने सुल्तान बनाया लेकिन वह मुश्किल से 7 महीने ही शासन कर पाया.
रजिया सुल्तान 1236 से 1240 ईसवी
रुकनुद्दीन के समय वास्तविक सकता उसकी मा शाह तुर्कान बेगम के हाथों में थी जो कि एक अति महत्वकांक्षी महिला थी इसलिए दिल्ली की जनता ने रुकनुद्दीन को अपदस्थ करके रजिया को दिल्ली की गद्दी पर बैठाया रजत दिल्ली सल्तनत की प्रथम और अंतिम महिला सुल्तान सुल्तान सुल्तान सुल्तान थी जिसमें जनता के समर्थन से सिंहासन प्राप्त किया था राजिया ने एक अभी मलिक याकूत को अमीर यह यह अस्तबल का प्रधान नियुक्त किया था.
रजिया ने काल में से ही भरा हुआ 12 से 40 ईसवी में अमीरों ने रजिया के भाई बहराम शाह को दिल्ली की गद्दी पर बैठा है बहराम शाह दिल्ली की गद्दी पर बैठा हो रजिया को युद्ध में परास्त कर उसकी हत्या कर दी रजिया को युद्ध में परास्त कर उसकी हत्या कर दी.
बहराम साले 1240 से 12 से 42 ईसवी तक शासन किया उसके बाद अलाउद्दीन मसूद साले 1242 से 1246 ईस्वी तक शासन किया इन दोनों के शासनकाल में समस्त शक्ति चालीसा दल 407 दल के हाथों में थी सुल्तान नाममात्र के लिए था
नसरुद्दीन महमूद( 1246- 1265)
नसरुद्दीन महमूद के शासनकाल में समझ सकती बल बल के हाथों में थी 12 से 49 ईसवी में उसने बलवान को गूगल यू खान खा की उपाधि प्रधान किसके शासनकाल में भारतीय मुसलमानों का एक अलग दल बन गया जो बलबन का विरोधी था m83 विधायक दल का नेता इमामुद्दीन रिहान इस दल का नेता था स्वयं को दिल्ली का सल्तनत का सुल्तान पिक्चर 1265 ईस्वी में बलवान ने स्वयं को दिल्ली सल्तनत के सुल्तान घोषित कर दिया तब आकर ए नासिरी का लेखक निहाल सिराज मिनहाज सिराज नसरुद्दीन के शासनकाल में दिल्ली का मुख्य कार्य था
बलवान( 1265 से 1287 )
बल बल बल दिल्ली का पहला शासक था मदन अधिकारों के बारे में विस्तृत रूप से विचार प्रकट किया जिसने सुल्तान के पद और अधिकारों के बारे में विस्तृत रूप से विचार प्रकट किया बलबन स्वयं को पौराणिक तुर्की वीर नायक अफरासियाब का वंशज मानता था 1000 का प्रारंभ किया था बलवंत मिश्र द्वारा संगठित चालीसा दल को समाप्त कर दिया था पलवल को राज्य सिद्धांत की दो मुख्य विशेषताएं थी प्रथम सुल्तान का पद ईश्वर द्वारा प्रदान किया हुआ होता है द्वितीय सुल्तान और निरंकुश होना चाहिए बलबन का कथन था मैं जब भी किसी ने परिवार के व्यक्ति को देखता हूं तो मेरे शरीर की शिराएं उत्तेजित हो जाती है बलवान ने सुल्तान की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए रक्त और लौह की नीति अपनाई का पुत्र कैकू बाद उसका उत्तराधिकारी बना बलबन की मृत्यु के बाद उसका पुत्र उसका उत्तराधिकारी बना जो अत्यंत विलास व्यथा अमीरों के एक गुट के नेता जलालुद्दीन में चाकू बात की हत्या करके स्वयं राजगद्दी पर अधिकार कर लिया इस प्रकार दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश का अंत हो गया फेकू बात की हत्या करके क्या कूबा
खिलजी वंश (1290 - 1320)
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी मैं दिल्ली सल्तनत में एक नवीन राजवंश खिलजी वंश की स्थापना की खिलजी वंश की स्थापना की क्रांति के नाम से प्रसिद्ध जलालुद्दीन खिलजी है क्या विभाग द्वारा बनवाए गए किलो हरी महल में अपना राज्याभिषेक करवाया मुसलमानों का दक्षिण भारत का प्रथम आक्रमण जलालुद्दीन के शासनकाल में देवगिरि के शासक राम चंद्र देव पर हुआ इस आक्रमण का नेतृत्व अलाउद्दीन खिलजी ने किया था जलालुद्दीन ने भारतीय हिंदू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया किसके शासनकाल में लगभग 2000 मंगोल इस्लाम धर्म स्वीकार कर दिल्ली के निकट बस गए जलालुद्दीन का भतीजा लाया गया जलालुद्दीन की हत्या कर उसका भतीजा अलाउद्दीन खिलजी उसकी शक्ल पूर्वक हत्या का छल पूर्वक हत्या करके दिल्ली की गद्दी पर बैठ गया
अलाउद्दीन खिलजी 1296 से 1316 तक
अलाउद्दीन खिलजी एक समाजवादी शासक था इसने सिकंदर द्वितीय की उपाधि धारण की अलाउद्दीन का राजत्व सिद्धांत तीन मुख्य बातों पर आधारित निरंकुशवाद साम्राज्यवाद और धर्म एवं राजनीति का प्रथक्करण किसके शासनकाल में शराब और भारत जैसे मादक पदार्थों का सेवन तेज़ खेलना बंद करा दिया गया था अलाउद्दीन सल्तनत का पहला सुल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश कराकर करना आरंभ कर दिया था और स्थाई सेना रखी और उसे ऐसा करने वाला वाला वह दिल्ली का पहला सुल्तान था जुआ खेलना
अलाउद्दीन ने 13 से 4 ईसवी में सीरी को अपनी राजधानी बनाकर किलेबंदी की राजस्थानी बलात्कार की लेवल वीडियो रानी बनाकर किलेबंदी की अलाउद्दीन ने 304 ईसवी में सीधी भर्ती राजधानी बनाकर किलेबंदी की अलाउद्दीन में 13 से 4 ईसवी में सीधी को अपनी राजधानी बनाकर किलेबंदी की अलाउद्दीन खिलजी ने खलीफा की सत्ता को स्वीकार किया किंतु प्रशासन में उसके हस्तक्षेप को नहीं माना अलाउद्दीन सल्तनत काल में आर्थिक सुधारों के लिए विशेष रूप से जाना जाता अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण प्रदेश राज्य को इस पर अतिरिक्त सैनिकों को पूरा करना था बॉस डाली बना वोट डाले बिना सैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना था बोझ डाले बिना से निकाल सकता हूं की पूर्ति करना था बोझ डाले बिना सैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना था अलाउद्दीन उपज का 50% भूमि कर खराज के रूप में निश्चित किया घरों के लिए दा गया घोड़ों पर निशान लगाने अलाउद्दीन ने सैनिक सुधारों के लिए दाग या घोड़ों पर निशान लगाने और विस्तृत सूची पत्रों की तैयारी के लिए हुलिया प्रथा प्रचलित की अलाउद्दीन ने जैसलमेर और गुजरात 1298 में रणथंबोर 1301 में चित्तौड़ 1303 में मालवा 1305 में सिवाना 1308 में और जालौर 1311 इसवी में आक्रमण करके जीता अलाउद्दीन ने दक्षिण भारत के राज्यों देवगिरी 1307 में तेलंगाना 13 साल 1311 पर आंख बंद करके उनको अपनी आदत सुधार करने के लिए मजबूर किया आमिर खुसरो संरक्षण प्रदान किया अलाई दरवाजा का निर्माण कराया गया है अलाउद्दीन अलाई दरवाजा का निर्माण कराया जिसको तुर्की कलाकार कला का श्रेष्ठ नमूना माना गया है
मुबारक शाह खिलजी 1316 से 1320 तक
सिक्कों पर से खलीफा का नाम हटाकर एवं स्वयं को खलीफा घोषित किया मुबारक शाह खिलजी ने खुद सिक्कों पर से खलीफा का नाम हटाकर के स्वयं को खलीफा घोषित किया इसने अलाउद्दीन खिलजी द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों को समाप्त कर दिया तथा जागीर व्यवस्था को पुनर्जीवित किया खुसरो सा 1320 मुबारक शाह खिलजी की हत्या करके दिल्ली का सुल्तान बन गया हिंदू धर्म से परिवर्तित मुसलमान था इसने पैगंबर के सेनापति की उपाधि धारण की खुसरो शाह को संत निजामुद्दीन औलिया का नैतिक समर्थन प्राप्त.
गयासुद्दीन तुगलक 1320 से 1325 ईस्वी तक
दिल्ली सल्तनत में तुगलक वंश की स्थापना 320 ईसवी में ज्ञासुद्दीन तुगलक ने की थी वह मुबारक शाह खिलजी के शासन काल में उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत का गवर्नर था किसानों की स्थिति में सुधार करना हो तो ऐसी योग्य भूमि में वृद्धि करना उसके दो मुख्य उद्देश्य उसने भू राजस्व की दर को एक बटे तीन किया तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया ज्ञासुद्दीन तुगलक का संत निजामुद्दीन औलिया से मनमुटाव हो गया निजामुद्दीन औलिया ने गयासुद्दीन के बारे में कहा था दिल्ली अभी दूर है गयासुद्दीन संपूर्ण दक्षिण भारत को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया था दक्षिण भारत को दिया था
मोहम्मद बिन तुगलक 1325 से 1351 तक
जिसमें ज्ञासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद मोहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना इसका मूल नाम चुना था जूना अखाड़ा जूना अखाड़ा ऐसे ज्ञासुद्दीन तुगलक लोग लुखा की उपाधि प्रदान की थी इसे गयासुद्दीन तुगलक ने उल्लू की उपाधि प्रदान की थी मोहम्मद बिन तुगलक ने जैन आचार्य जीन प्रभा सूरी को संरक्षण प्रदान किया वह दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था जो हिंदुओं के त्यौहार मुक्ता होली में भाग लेता था मोहम्मद बिन तुगलक 1347 ईस्वी में राजधानी को दिल्ली से देवगिरि दौलताबाद ले गया जहां उसने जहांपना नगर की स्थापना की है मोहम्मद बिन तुगलक ने अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता को दिल्ली काका जी ने किया काजी नियुक्त किया इब्नबतूता ने मोहम्मद बिन तुगलक काल की प्रमुख घटनाओं का अपनी पुस्तक वाला में वर्णन किया है बेहाला में वर्णन किया है रेहला में वर्णन किया है रेहला में वर्णन किया है मोहम्मद बिन तुगलक ने मंगोल शासक को बिल लेखा द्वारा चलाई गई सांकेतिक मुद्रा से प्रेरित होकर 1330 इसमें में सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन किया मोहम्मद बिन तुगलक में दिल्ली का दूसरा सुल्तान था जिसने खलीफा से मान्यता प्राप्त अलाउद्दीन खिलजी था मोहम्मद बिन तुगलक का राजनीतिक संबंध स्थापित किए 1347 ईस्वी में प्लेट के प्रकोप से बचने के लिए 1347 ईस्वी में प्लेग के प्रयोग से बचने के लिए उसने कन्नौज के निकट स्वर्गद्वारी नामक स्थान पर समय शरण ली स्वर्गद्वारी नामक स्थान पर सारणी 1351 ईस्वी में सिम के विद्रोह को दबाने के क्रम में मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु हो गई विद्रोह को 1351 में सिंध विद्रोह को दबाने में उसकी मृत्यु हो गई
फिरोजशाह तुगलक 1356 से 1388
मधु के बाद उसका चचेरा भाई मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका चचेरा भाई फिरोजशाह तुगलक दिल्ली की गद्दी पास ही हुआ फिरोजशाह तुगलक दिल्ली की गद्दी पर बैठा प्रशासन के मामलों में फिरोज का दृष्टिकोण सस्ती लोकप्रियता अर्जित करना था तनु को अधिक मानवीय बनाया तथा सुल्तान को भेज देने की प्रथा को समाप्त कर दिया भेंट देने की प्रथा को समाप्त कर दिया उसने एक कार्यप्रणाली को धार्मिक स्वरूप प्रदान किया उसने पहले से प्रचलित कम से कम 30 करो को समाप्त करके इस्लामी शरीयत कानून द्वारा अनुमति प्राप्त केवल चार करो खराज ज का जरिया और खम्स को आरोपित किया जकात जजिया और कंस को आरोपित किया फिरोज ने बंगाल और सीने में सैनिक अभियान किया जिसमें वह सफल हो सिम लेने सैनिक अभियान किया सिंध में फिरोज तुगलक पहला सुल्तान था जिसने राज्य की आमदनी का ब्यौरा तैयार करवाया फिरोज तुगलक का आदर्श वाक्य था खजाना बड़ा होने से अच्छा है लोगों का कल्याण दुखी हरदेव से अच्छा है खाली खजाना दुखी हृदय से अच्छा है खाली खजाना वह कार्य के बदले में जागी रे उसने जागीरदारी प्रथा और भूमि को ठेके पर दिया जाना शुरु किया फिरोज तुगलक का पहला ऐसा सुल्तान था जिसने सार्वजनिक निर्माण कार्य को प्रमुखता दी निर्माण कराया दीवाने खैरात नमक विभाग स्थापित किया जो अनाथ मुस्लिम स्त्री व एवं विधवाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करता था मुस्लिम बेरोजगारों के लिए दफ्तर ए रोजगार नामक विभाग की स्थापना की फिरोज ने फतेहाबाद हिसार फिरोजपुर जौनपुर तथा फिरोजाबाद की स्थापना की दिल्ली के सुल्तान और पहला सुल्तान था जिसने इस्लाम के कानून और उलेमा वर्ग को राज्य के शासन में प्रधानता में फिरोज ने हिंदू ब्राह्मणों पर भी 4G आकर आरोपित किया फिरोज को मध्यकालीन भारत का पहला कल्याणकारी निरंकुश शासक कहा जाता है फिरोज तुगलक की 1388 उनके बाद वंश तथा दिल्ली सल्तनत का प्रथम हो गया तुम वंश के पतन का मुख्य कारण अधिकारियों के खिलाफ वंश का अंतिम शासक नसरुद्दीन महमूद सा था जिसके जिस के शासनकाल में 1398 सी है मंगोल शासक तैमूर लंग आक्रमण हुआ
सैयद वंश 1414-1451
1314 से 1414 ईसवी के बीच 1413 से 14 14 साल के बीच 1414 ईस्वी के बीच दौलत खान लोधी दिल्ली का सुल्तान बाबा परंतु खिज्र खां ने उसे पराजित कर एक नवीन राजवंश सैयद वंश की नींव डाली खींचने में मंगोल आक्रमणकारी तैमूर लंग को सहयोग प्रदान किया था और उसकी सेवाओं के बदले तैमूर ने उसे लाहौर मुल्तान एवं दीपालपुर की सुविधा भी प्रदान की खेत में सुल्तान के बाहर नहीं कर रही है ताला की उपाधि से ही संतुष्ट था खिज्र खान ने सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की बल्कि वसीयत उपाधि से ही रिया ताला रजत आल्हा भैया दादा उपाधि से ही संतुष्ट था
मुबारक शाह 1421 से 1434
आज नगर की स्थापना की इसलिए मुबारकबाद नाम की नगर की स्थापना की इसलिए मुबारकबाद नाम के नगर की स्थापना किसके शासनकाल में शेख अहमद सर हिंदी में तारीख है मुबारक शाही इसके शासनकाल में शेख अहमद सरहिंदी ने तारीख है मुबारक शाही नामक पुस्तक की रचना की इसके बाद 1434 से 1445 तक मोहम्मद शाह 1445 अलाउद्दीन आलम शाह ने शासन किया अलाउद्दीन आलम शाह सैयद वंश का अंतिम शासक था
लोदी वंश 1451 से 15 से 26 ईसवी तक
विनोद लोधी ने अंतिम सैयद शासक अलाउद्दीन आलम शाह को अपदस्थ कर लोदी वंश की स्थापना की बैलून लोधी के मुख्य सफलता जौनपुर राज्य को दिल्ली सल्तनत में सम्मिलित करने की थी उसने बहलोल सिक्के जारी किए जो खबर से पहले तक उत्तरी भारत में विनिमय के मुख्य साधन बने रहे अब्बास खान शेरवानी कहता है कि बहलोल लोदी द्वारा दिल्ली की सत्ता स्थापित करने पर आंटी के झुंड की तरह भारत की ओर चल पड़े एनटीटी का झुंड की तरह अफगानी ढकी सिद्धू की छूट की शक्ल में अफगान टिड्डी के झुंड की तरह भारती और चल पड़े भारत की तरफ चल पड़े.
सिकंदर लोदी 1489 से 1517
मोदी के उपरांत सिकंदर लोदी बहलोल लोदी के उपरांत सुल्तान बना सिकंदर लोदी दिल्ली का सुल्तान बना सेठ शासक सिद्ध हुआ जो लोदी वंश का सर्वश्रेष्ठ शासक से दूंगा सिकंदर लोदी में 15 से 4 ईसवी में आगरा नगर की स्थापना की 15 से 6 ईसवी में इसे अपनी राजधानी बनाया इसे आपके लिए एक पैमाना गजे सिकंदरी इसने नाक जॉब के लिए पैमाना इसने भूमि नाप के लिए एक पैमाना सिकंदर अजय सिकंदरी गजे सिकंदरी गजे सिकंदरी प्रारंभ किया तथा हिंदुओं पर जजिया कर आरोपित किया सिकंदर लोदी ने मोहर्रम और ताजिया निकालना बंद करा दिया सरकारी संस्थाओं का रूप प्रदान करके उन्हें शिक्षा का केंद्र बनाने का प्रयत्न किया सरकारी संस्थाओं का मस्जिदों को सरकारी संस्था का रूप प्रदान करके का केंद्र बनाने का प्रयत्न किया उन्हें शिक्षा का केंद्र बनाने का प्रयत्न किया सिकंदर लोदी के अनुसार यदि मैं अपने एक गुलाम को पालकी में बैठा हूं तो मेरे आदर्श पर मेरे आदेश पर मेरे सभी सामंत सुबह बैठा कर ले जाएंगे सरदार उसे अपने कंधों पर बैठा कर ले जाएंगे आयुर्वेदिक ग्रंथ का फारसी में अनुवाद करवाया सिकंदर लोदी ने एक आयुर्वेदिक ग्रंथ का फारसी में अनुवाद करवाया जिसका नाम फरहान ए सिकंदरी रखा गया सिकंदर लोदी गुलरूखी के उपनाम से फारसी में कविताएं लिखता था
इब्राहिम लोदी 1517 से 15 से 26 ईसवी तक
सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहिम लोधी दिल्ली का सुल्तान बना सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहिम लोधी लोधी दिल्ली का सुल्तान बना दिल्ली सल्तनत का पतन प्रारंभ हो गया सभी राज्यों के गवर्नर स्वतंत्र शासकों के जैसा व्यवहार करने लगे 1517 से 15 से 18 ईसवी में इब्राहिम लोदी का राणा सांगा के बीच घाटोली का युद्ध हुआ जिसमें लोगों को पराजित होना पड़ा नदियों को पराजित होना पड़ा नदियों को पराजित होना पड़ा लोधी लोधी को पराजित होना पड़ा लोधी को पराजित होना पड़ा 26 ईसवी में पानीपत के मैदान पर इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ है जिसमें इब्राहिम लोदी की हार हुई इसने पानीपत के प्रथम युद्ध के नाम से भी जाना जाता है लोधी यों के पतन के साथ-साथ दिल्ली सल्तनत का पतन हो गया
प्रशासन व्यवस्था दिल्ली शासन की प्रशासन व्यवस्था
दिल्ली सल्तनत एक धर्म प्रधान राज्य था जिसमें खलीफा पूरे मुस्लिम जगत का सर्वोच्च था सल्तनत शासन में उत्तराधिकार का कोई निश्चित स्थान नहीं था केंद्रीय शासन का प्रधान सुल्तान था वह राज्य का सर्वोच्च न्यायाधीश कानून का सूत्रधार और सेवाओं का प्रधान सेनापति था सुल्तान के कार्य में सहायता प्रदान करने के लिए मंत्रियों की व्यवस्था थी जो अपने-अपने विभागों के प्रभारी होते थे किंतु उनकी नीति सदैव सुल्तान द्वारा निर्देशित या शासित होती थी राजकीय शक्ति का व्यवहारिक नियंत्रण रखने हेतु केवल दो ही कारण से अमीर या अमीर वर्ग में विदेशी मूल के लोग थे जो दो समूह में बैठे हुए थे तुर्की दास और तुर्की नेताजी कहा जाता था इस्लामी धर्म आचार्यों तथा शरीयत कानून की व्याख्या कारों को उलेमा कहा जाता था बरनी के अनुसार सल्तनत के चार स्तंभ दीवाने दीवाने आर्य और दीवाने थे जी नेताजी कहा जाता था जिन्हें ताजिक कहा जाता था इस्लामी धर्म आचार्य तथा शरीयत कानून के रूढ़िवादी व्याख्या कारों को 23:00 कहा जाता था उलेमा सल्तनत का प्रधानमंत्री वजीर का रहता था उसके कार्यालय को दीवाने बुझारत या राजस्व विभाग कहा जाता था विजारत या राजस्व विभाग कहा जाता था दीवाने आरिज सेंड विभाग का प्रधान होता था जिसको प्रधान को आरईजी मावली कहा जाता था का दीवान ए आर एस एन विभाग का प्रधान होता था दीवाने आरिज शैले विभाग सैन्य विभाग का दीवा आर एस प्रधान होता था जिसको आरईजी मावली कहा जाता था इंसा पत्र व्यवहार का सही कार्यालय था जिस का संचालन तबीर द्वारा किया जाता था
प्रांतों के गवर्नर या एकता के प्रधान कोवली नाजिम नायब मुक्ति इक्तादार कहा जाता था प्रशासन की सबसे छोटी इकाई क्रांति ग्राम के प्रमुख अधिकारी थे खुद चौधरी मुकद्दमा और पटवार
न्याय एवं दंड व्यवस्था
न्याय व्यवस्था के प्रमुख स्रोत कुरान हदीस की जमात तथा कयास थे सुल्तान का जी और मूर्तियों की सहायता से न्याय का कार्य देखता था का जियो मुफ्ती का पद वंशानुगत होता था इस्लामी कानूनों की व्यवस्था करने वाले विधि व्यक्ता मुजाहिद कह जाते थे फौजदारी कानून हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए बराबर था प्रांतों की इक्तादार न्याय का कार्य संभालते थे राज्य का सबसे बड़ा न्यायधीश सुल्तान होता था जिसका निर्णय अंतिम होता था वह धार्मिक मामलों में साधु दूर से सलाम लेता था
व्यवस्था आर्थिक व्यवस्था
आर्थिक दृष्टि से सल्तनत राज्य समृद्धि तथा कृषि और व्यापार दोनों उन्नत अवस्था में थे इस काल का मुख्य व्यवसाय बुनाई रंगाई धातु कार्य चीनी व्यवसाय कागज व्यवसाय आदि था आयात की प्रमुख वस्तु घोड़े और खच्चर थे निर्यात की वस्तुओं में कृषि संबंधी वस्त्र वस्त्र अभी मॉर्निंग शामिल थे लूट खान तथा भूमि में गड़े हुए खजाने से प्राप्त धन जिसके 1/5भाग पर राज्य का अधिकार होता था हमसे कहा जाता था
सामाजिक जीवन
समाज के सबसे सम्मानित वर्ग विदेशी मुसलमान का था समाज का दूसरा प्रमुख वर्ग भारतीय मुसलमानों का था जो हिंदू से मुसलमान बने थे स्त्रियों का अपने पतियों अथवा अन्य संबंधियों पर निर्भर रहना हिंदुओं तथा मुसलमान दोनों के सामाजिक जीवन के प्रमुख विशेषता थी पर्दा प्रथा का प्रचलन बढ़ गया था विवाह कम उम्र में होता था उच्च वर्ग की स्त्रियों को शिक्षा का अवसर मिलता था राजपूतों की स्त्रियों में जौहर प्रथा का प्रचलन था इस काल में हिंदू समिति कारों ने ब्राह्मणों का समाज में ऊंचा स्थान जारी रखा था sudro स्थिति अत्यंत दयनीय थी इस काल में सूत्रों का परम कर्तव्य था दूसरी जातियों की सेवा करना है इस काल में दास प्रथा थी अलाउद्दीन के पास 50000 थे जबकि फिरोज तुगलक के सदस्यों की संख्या दो लाख तक पहुंच गई थी सल्तनत काल में मुस्लिम समाज वर्गों में विभाजित
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