Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
बांग्लादेश का बढ़ता जीडीपी ग्रोथ रेट भारत के लिए चुनौती साबित हो रहा है (bangladesh become and industrial country and competitor to the Indian economy company to the India)
वर्ष 1947 में भारत-पाक बंटवारे के वक्त पूर्वी पाकिस्तान कहा जाने वाला वह आज का बांग्लादेश 1971 में पाकिस्तान से अलग होने के बाद भी शर्ट गरीबी व तबाही से ग्रस्त इलाका था लेकिन धीरे-धीरे उसने अपनी स्थिति सुधारी और अपने पैरों पर खड़ा होने लगा इसमें एक लंबा समय लगा.
2006 तक बांग्लादेश की तस्वीर से काफी धूल छठ गई और तरक्की की रेस में वह पाकिस्तान को पकड़ता हुआ आगे निकल गया है दुनिया के मानचित्र में विदिशा दिखने वाला बांग्लादेश आज पाकिस्तान ही नहीं बल्कि कई मायनों में भारत को भी पीछे छोड़ चुका है.
मानव विकास सूचकांक 2019 बांग्लादेश दक्षिण एशिया के सभी देशों से आएंगे है वह शांत तरीके से अपनी काया पलट कर रहा है वह हर उस क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर रहा है जिसमें उसकी जीडीपी में इजाफा हो.
बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों ही मुस्लिम राष्ट्रीय मुस्लिम बहुल इलाके होने की वजह से ही बंटवारे के वक्त दोनों इलाके भारत से अलग हुए थे फिर क्या वजह रही कि बांग्लादेश पाकिस्तान से हर मामले में बीसी बैठता है जबकि उसने बंटवारे में 1947 के जख्म भी खाए हैं और जब वह पाकिस्तान से अलग हुआ 1971 नहीं हो गया पश्चिमी पाकिस्तानियों के उत्पीड़न व प्रताड़ना के दौर से गुजरता रहा है.
बांग्लादेश बनने से पहले पूरी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने स्थानीय नेता और धार्मिक चरमपंथियों की मदद से मानव अधिकारियों का खूब आनंद किया था 25 मार्च 1971 को शुरू हुए ऑपरेशन सर्चलाइट से लेकर पूरे बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान पूर्वी पाकिस्तान में जमकर हिंसा हुई.
बांग्लादेश सरकार के मुताबिक उस दौरान करीब 3000000 लोग मारे गए जान माल कितनी हानि के बावजूद आज बांग्लादेश पाकिस्तान से कहीं आगे निकल चुका है.
बांग्लादेश की त्रासदी
वर्ष 1947 में भारत से अलग होकर के पूर्वी और पश्चिम में दो पाकिस्तान बने पश्चिमी पाकिस्तान ने हमेशा खुद को अव्वल माना और पूर्वी हिस्से को सत्ता में कभी भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया वजह थी भाषा और संस्कृति पूर्वी पाकिस्तान के मुसलमान बांग्ला बोलते थे उनका रहन-सहन भारत के बंगालियों से मेल खाता था जबकि पश्चिमी पाकिस्तान में उर्दू अरबी फारसी को ज्यादा महत्व प्राप्त था वहां के लोग अपने को सच्चा मुसलमान समझते थे.
लिहाजा पूर्वी पाकिस्तान हमेशा सामाजिक व राजनीतिक रूप से उपेक्षित रहा है इससे पूर्व भी पाकिस्तान के लोगों में जबरदस्त नाराजगी रहने लगी और इसी नाराजगी के परिणाम स्वरुप उस समय पूर्व में पाकिस्तान के नेता शेख मुजीब उर रहमान ने आवामी लीग का गठन किया और पाकिस्तान के अंदर ही और श्वेता की मांग की 1970 में हुए आम चुनाव में पूर्वी क्षेत्र में से की पार्टी ने जबरदस्त विजय हासिल की उनके दल ने संसद में बहुमत भी हासिल किया लेकिन बजाय उन्हें पूरे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनाने के जेल में डाल दिया गया और वहां से पाकिस्तान के विभाजन की न्यू पड़ गई.
1971 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल याहिया खान ने नाराजगी को दूर करने के लिए जनरल टिक्का खान को जिम्मेदारी दी लेकिन टीका खाने बातचीत के बदले दबाव से स्थिति सुधारने की कोशिश की और नतीजा यह हुआ कि मामला हाथ से निकल गया 25 मार्च 1971 को पाकिस्तान के इस हिस्से में सेना और पुलिस की अगुवाई में जबरदस्त नरसंहार हुआ इससे पाकिस्तानी सेना में काम कर रहे पूर्वी क्षेत्र के निवासियों में जबरदस्त रोष पैदा हुआ और उन्होंने अलग मुक्ति वाहिनी बना ली.
पाकिस्तानी फौज करने का पर आधा हथियार विहीन लोगों पर अत्याचार जारी राज्य से लोगों का पलायन भारत की तरफ होने लगा इस को देखते हुए भारत ने भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि पूर्वी पाकिस्तान की स्थिति सुधारी जाए लेकिन किसी देश ने ध्यान नहीं दिया जब वहां के विस्थापित लगातार भारत आते रहे तो अप्रैल 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन देकर बंगला देश की आजादी में महत्वपूर्ण रोल अदा किया.
पश्चिमी पाकिस्तान की तत्काल सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक तरफ रक्त रंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उद्भव व स्वाधीनता के बाद बांग्लादेश के प्रारंभिक वर्ष राजनीतिक अस्थिरता से परिपूर्ण थे देश में 13 राष्ट्र शासक बदले गए और 4 सैन्य बगावत ए हुई.
1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई के बाद बांग्लादेश ने कई तरह सदियों को झेला है भैया वह गरीबी देखिए गंगा ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित इस देश में प्रतिवर्ष मौसमी उत्पाद और चक्रवात आम है दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी संकट से भी बंगलादेश जूझ रहा है 750000 रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी में मार से अपना घर बार छोड़कर बांग्लादेश में अवश्य हैं बावजूद इसके धार्मिक कट्टरता को हाशिए पर ढकेल कर आज बांग्लादेश हर दिशा में शानदार प्रदर्शन कर रहा है.
बांग्लादेश अपनी आर्थिक सफलता की नई इबारत लिख रहा है वहीं पाकिस्तान धार्मिक कट्टरता के कारण गर्त में जा रहा आतंकवाद बम धमाके गोलीबारी हत्याकांड अपहरण की खबरें पाकिस्तान की हकीकत बयां करती हैं वह कभी चीन की जी हुजूरी में लगा रहता है कभी हम एरिका के सामने खड़ा का पता है आज पाकिस्तान जहां अपनी दकियानूसी कट मुल्लाह प्रवृत्ति के कारण आतंकवाद पिछड़ेपन गरीबी और तबाही की गर्त में जा रहा है वहीं बांग्लादेश के वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर अपनी तरक्की का मार्ग प्रशस्त किया है.
राष्ट्रीय संकट से उभरता बांग्लादेश
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश ने तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान के कारण बड़ी त्रासदी के लिए बंटवारे में पूर्व और पश्चिम मुस्लिम बहुल इलाके पाकिस्तान तो घोषित किए गए लेकिन दोनों इलाकों के मुसलमान में काफी फर्क था पूर्वी पाकिस्तान जिसे आज बांग्लादेश कहते हैं और पश्चिमी पाकिस्तान के मुसलमानों में यह फर्क है जातिगत रहन-सहन खान-पान और भाषा के थे पाकिस्तान के गठन के समय पश्चिमी क्षेत्र में सिंधी पठान बलोच और मुझे अहीरों की बड़ी संख्या थी जिसे पश्चिमी पाकिस्तान कहा जाता है जबकि पूर्व वाले हिस्से में बंगाली बोलने वालों का बहुमत था जिसे पूर्व पाकिस्तान कहा जाता है.
बांग्ला भाषी मुसलमानों का रहन-सहन खान-पान और बोली पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों से भिन्न थे इस मामले में वह पश्चिम बंगाल के रहवासियों के ज्यादा करीब के बंगालियों का मार्च बहुत प्रिय भोजन था और उनकी औरतें बंगाली औरतों की तरह साड़ी पहनने का संघार करने की शौकीन टी बुर्के का चलन है मगर उस तरह नहीं जैसा कि पाकिस्तान में है अधिकतर महिलाएं बिना बुर्के के रहने में सांवलिया समझती है पूर्व पाकिस्तानी यारी बांग्लादेश के लोगों में ना तो धार्मिक कट्टरता है और ना ही उन्होंने कभी अपनी औरतों को इस तरह चारदीवारी में कैद रखा है जैसा कि पाकिस्तान का आम रवैया है.
बांग्लादेश में राजनीतिक चेतना की भी कमी नहीं है वहां औरतों का भी राजनीति की तरफ खासा रुझान था खालिदा जिया शेख हसीना जैसी नेत्रों बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व लंबे समय से करती आ रही हैं.
वर्ष 1971 में आजादी हासिल करने के बाद से बांग्लादेशी महिलाओं ने मार्ग प्रगति हासिल की है तस्लीमा नसरीन जैसी नामी लेखिका इसी मिट्टी में जन्मी है जिन्होंने पुरुषों द्वारा औरतों के लिए रची हर जंजीर को तोड़ने का हौसला दिखाया पिछले चार दशकों में वहां महिलाओं के लिए राजनीतिक सशक्तिकरण में वृद्धि हुई है बेहतर नौकरी की संभावनाएं शिक्षा के अवसर बढ़े हैं और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए नए कानूनों को अपनाया गया है.
2018 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री संसद के अध्यक्ष विपक्ष के नेता महिलाएं भी ये तमाम बातें दर्शाती है कि बांग्लादेश पाकिस्तान की तरह संकुचित दिल दिमाग वाला रूढ़िवादी कट्टरपंथी कट मुल्लों का राष्ट्र नहीं है बल्कि आधुनिक और वैज्ञानिक सोच रखने वाले देश है जो लकीर का फकीर ना हो कर समय की गति के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है.
आर्थिक संपन्नता
पाकिस्तान बांग्लादेश से क्षेत्रफल में 5 गुना बड़ा है लेकिन विदेशी मुद्रा उसके पास बांग्लादेश के मुकाबले लगभग 5 गुना ही कम है पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार $8000000000 है जबकि बंगला देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 35 अरब डालर है बांग्लादेश की वृद्धि दर 8 फ़ीसदी है जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पांच से छह फ़ीसदी के बीच जूझ रही है ना काल के आगमन से पहले भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर भी घटकर 4 फ़ीसदी रह गई थी बांग्लादेश के प्रति व्यक्ति कर्ज $434 जबकि पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति कर्ज $974 है.
एक और हैरान करने वाली बात यह है कि 1951 की जनगणना के अनुसार पूर्व पाकिस्तानी यानी आज के बंगला देश की आबादी 4.2 करोड़ थी और पश्चिमी पाकिस्तान की आबादी 3.37 करोड़ थी वहीं आज बांग्लादेश की आबादी 16.5 करोड़ है जबकि पाकिस्तान की आबादी 20 करूंगा या नहीं बांग्लादेश में कुछ हद तक परिवार नियोजन के महत्व को समझा और अपना आया उसने अपनी आबादी को नियंत्रित किया जो पाकिस्तान और भारत नहीं कर पाया पाकिस्तान में तो परिवार नियोजन इस्लाम के विरुद्ध माना जाता है.
वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के अनुसार तो बांग्लादेश की 120 से ज्यादा कंपनियां आज $1000000000 से ज्यादा की सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी दुनिया के 35 देशों में निर्यात कर रही है बांग्लादेश ने आर्थिक प्रगति के उन हिस्सों में भी मजबूती से दस्तक देना शुरू कर दिया जहां भारत का दबदबा रहा है ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टिट्यूट के अनुसार बांग्लादेश दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश है जहां ऑनलाइन वर्कर सबसे ज्यादा है.
दक्षिण एशिया में भारत की बादशाहत को बांग्लादेश चुनौती दे रहा है हाल के एक दशक में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और सच्चे बीजेपी की वार्षिक दर से आगे बढ़ रही थी बांग्लादेश की आबादी 1.1 फ़ीसदी दर से प्रति वर्ष भर रही थी जबकि पाकिस्तान की 2 फ़ीसदी की दर से बढ़ रही है इसका मतलब यह भी है कि पाकिस्तान की तुलना में बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय भी तेजी से बढ़ रही है साल 2018 के जून महीने में वृद्धि दर 7.6 फ़ीसदी तक पहुंच गई थी.
1974 में भयानक अकाल के बाद 16.6 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाला बांग्लादेश खाद्य उत्पाद के मामले में आज आत्मनिर्भर बन चुका है बांग्लादेश में बड़ी संख्या में लोग गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं लेकिन विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन 1.25 डॉलर में अपना जीवन चलाने वाला कुल 19 फ़ीसदी लोग थे जो अब नौ फ़ीसदी ही रह गए हैं अभी सुबह के आंकड़ों के अनुसार 2017 में बांग्लादेश में जिन लोगों का बैंक खाता है उनमें से 34.1 फ़ीसदी लोगों ने डिजिटल लेनदेन किया है जो दक्षिण एशिया में औसतन 27.8 फ़ीसदी है भारत में ऐसे लोगों की तादाद 48 फ़ीसदी है जिनके पास बैंक खाता तो है लेकिन उनसे कोई लेन-देन नहीं किया करते हैं ऐसे खातों को डीमैट अकाउंट नया खाता कहा जाता है दूसरी तरफ बांग्लादेश में से सिर्फ 10.4 फ़ीसदी लोग ही हैं यही वजह है कि बंगलादेश को आज टाइगर कहकर पुकारा जा रहा है.
कपड़ा एक्सपोर्ट
यूं तो ज्यादातर मूर्तियों पर बांग्लादेश प्रदर्शन के मामले में अपने सरकारी लक्ष्यों से आगे निकल चुका है मगर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर फरवरी सबसे ज्यादा ध्यान दे रहा है कपड़ा उद्योग में बांग्लादेश का प्रमुख तो दुनिया भर में बढ़ रहा है इस मामले में बांग्लादेश चीन के बाद दूसरे नंबर पर भारत के कपड़ा एक्सपोर्ट पर भी आज बांग्लादेश छा गया है बांग्लादेश में बनने वाले कपड़ों का निर्यात सालाना 15 से 17 फ़ीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है 2018 में जून महीने तक कपड़ों का निर्यात 36.7 अरब डॉलर तथा 2019 के लिए यह लक्ष्य $39 रखा गया है और माना जा रहा है कि 2021 में बांग्लादेश जब अपनी 50 वीं वर्षगांठ मनाई जाती यह आंकड़ा $50 तक पहुंच जाएगा हालांकि कोरोनावायरस ने इस उम्मीद को पूरा होने में थोड़ी रुकावट डाल दी है.
बांग्लादेश की आर्थिक सफलता में रेडीमेड कपड़ा उद्योग की सबसे बड़ी भूमिका मानी जाती है कपड़ा उद्योग यह बंगला देश के लोगों को सबसे ज्यादा रोजगार भी मुहैया करा रहा है कपड़ा उद्योग से बांग्लादेश में 40 दशमलव 500000 लोगों को रोजगार मिल रहा है बांग्लादेश में कपड़ों की सिलाई का काम व्यापक पैमाने पर होता है और इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल है 2013 के बाद से वहां ऑटोमेटेड मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है कपड़ा फैक्ट्रियों को अपडेट किया गया है और उन में काम करने वाले कामगारों की स्थिति में बेहतर करने के लिए कई कदम सरकार ने उठाया 2009 में बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय तीन गुनी हो गई है.
बढ़ते उद्योग धंधों व टेक्नोलॉजी
देश की सरकार देश भर में 100 विशेष आर्थिक क्षेत्रों का नेटवर्क तैयार करना चाहती है इनमें से 11 बनकर तैयार हो चुके हैं और 79 पर काम चल रहा है चीन कई मोर्चों पर बांग्लादेश को वन बेल्ट वन रोड पर योजना के तहत मदद कर रहा है चीन बांग्लादेश के कई बड़े प्रोजेक्टों में आर्थिक मदद भी मुहैया करा रहा है 2018 में चीन ने बांग्लादेश के ढाका स्टॉक एक्सचेंज का 25 फ़ीसदी हिस्सा खरीद लिया था इसे खरीदने की कोशिश भारत ने भी की थी लेकिन चीन ने इसकी ज्यादा कीमत चुकाई और भारत के हाथ से यह सौदा निकल गया.
बांग्लादेश पाकिस्तान के बाद चीन से सेना तैयार खरीदने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है.
धर्म और बांग्लादेश
बांग्लादेश ने कभी भी धर्म को अपनी उन्नति में बाधक नहीं बनने दिया है कट मूल्यों और उनकी साड़ी अपनी बातों को कभी तवज्जो नहीं दी गई है बांग्लादेश ने महिलाओं की शिक्षा गर्भनिरोध के प्रचार व्यवसायिक और तकनीकी शिक्षा के माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर अधिक जोर दिया डिस्टल व्यवस्था की और उसने कदम तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में शेख हसीना ने डिजिटल बांग्लादेश लांच किया था ताकि टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया जा सके शेख हसीना ने अपने कार्यकाल में डिजिटल व्यवस्था को काफी दुरुस्त किया है इसके लिए अमेरिका में पड़े शेख हसीना के बेटे सजीव अहमद की भूमिका को काफी अहमियत दी जाती है उनके प्रयासों से बंगलादेश में सूचना टेक्नोलॉजी का काफी विस्तार हुआ और देशभर में इससे जुड़े 12 हाईटेक पार्क बनाए गए हैं.
बांग्लादेश आज आईटी सेक्टर में भारत से मुकाबला कर रही है सॉफ्टवेयर कंपनी टेक्नो है 1 और बांग्लादेश एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड इनफार्मेशन सर्विसेज के सह संस्थापक हबीब अल्लाह करीम के मुताबिक बांग्लादेश में बीते साल 30 जून तक आईटी सर्विसेज और सॉफ्टवेयर का निर्यात $800000000 तक पहुंच गया है सरकार ने 2021 तक इसका लक्ष्य $5000000000 रखा है जो कि काफी चुनौतीपूर्ण है बांग्लादेश में आईटी सेक्टर में कई काम हुए हैं और यहां एयरलाइंस होटल बुकिंग और इंश्योरेंस क्लेम सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है दुनिया भर में जेनेरिक दवाइयों के निर्यात में भारत का नाम है लेकर बांग्लादेशी क्षेत्र में चुनौती दे रहा है अल्पविकसित देश का दर्जा होने के कारण बांग्लादेश को पेटेंट के नियमों में छूट मिली है इसके कारण बांग्लादेश की दवाइयों के निर्माण में भारत को चुनौती दे रहा है बांग्लादेश जेनेरिक दवाइयों के निर्माण में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है और 60 देशों में इन दवाइयों का निर्यात कर रहा है.
बांग्लादेश में महिलाओं का सशक्तिकरण तेजी से हो रहा है कपड़ा उद्योग में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या अधिक है बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं का विशेष योगदान है अर्थ व्यवस्था को दुरुस्त करने में विदेशों में काम करने वाले करीब 25 लाख बांग्लादेशियों की भी बड़ी भूमिका रही है यह विदेशों से जो पैसा कमा कर भेजते हैं उनमें सालाना 18 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हो रही है 2018 में यह $15 तक पहुंच गया है बांग्लादेश के लिए एक पल काफी निर्णायक रहा जब संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश को अलग देश की सीडी से निकालकर 2024 में विकासशील देशों की पंक्ति में खड़ा करने की बात कही है अल्पविकसित शिर्डी से बाहर निकालना बांग्लादेश की आत्मनिर्भर और उम्मीदों की मजबूती के लिए बहुत खास है आज आप निचले दर्जे में रहते हैं तो प्रोजेक्ट और प्रोग्राम पर बातचीत भी उन्हीं की शर्तों के हिसाब से होती है.
ऐसे में आप दूसरों की दया पर ज्यादा निर्भर रहते हैं एक बार जब आप उस श्रेणी से बाहर निकल जाते हैं तो किस की दया पर नहीं रहते हैं बल्कि अपनी क्षमता के दम पर रहते हैं बांग्लादेश भारत के लिए एक बड़ी मानसिक चुनौती बन रहा है जिन बांग्लादेशियों को भारत में भूखे नंगे कहा कर अपमानित किया जाता था और उन पर घुसपैठियों होने का आरोप लगता था वह अब फक्र से सिर उठाकर चलेंगे बांग्लादेश से भाग कर आने वाले तो कम हो ही जाएंगे उल्टे भारतीय बंगाली अपने को बंगलादेशी कहकर बांग्लादेश में काम ढूंढने घुसने लगे हैं तो बड़ी तादाद ना होगी भारत की आंतरिक स्थिति बेहद नाजुक है जबकि बांग्लादेश से गुजर चुका है नागरिकता संशोधन कानून जैसे करुणा भारत के लिए बेमानी हो गए हैं क्योंकि इनके सारे भारतीयों को बांग्लादेश में जाने का मौका मिलेगा.
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