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Showing posts from December, 2020

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

मराठा साम्राज्य और संघ (maratha empire)

17 वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया प्रारंभ होने के साथ ही भारत में स्वतंत्र राज्यों की स्थापना शुरू हो गई नए-नए स्वतंत्र राज्यों में मराठों का उद्भव एक महत्वपूर्ण घटना है. एक शक्तिशाली राज्य के रूप में मराठों के उत्कर्ष ने अनेक कारणों का योगदान रहा है जिनमें भौगोलिक परिस्थिति औरंगजेब हिंदू विरोधी नीतियां और मराठा संत कवियों की प्रेरणा महत्वपूर्ण कारक है. प्रारंभ में मराठे सिपहसालार और मनसबदार के रूप में बीजापुर और अहमदनगर राज्यों में नौकरी करते थे.                               शिवाजी (1627 - 1680)                    शिवाजी का जन्म पूर्णा के निकट शिवनेर के किले में 20 अप्रैल 1627 ईस्वी को हुआ था शिवाजी शाहजी भोंसले और जीजा बाई के पुत्र थे. . शिवाजी ने एक हिंदू स्वतंत्र राज्य की स्थापना करके हिंदू धर्म उद्धारक और गैर ब्राह्मण प्रतिपालक उपाधि धारण की. शिवाजी के संरक्षक और शिक्षक कोणदेव तथा समर्थ रामदास गुरु थे. शिवाजी ने ...

भारत में एक साथ चुनाव से अर्थात लोकसभा और और राज्य विधानसभाओं (loss of simultaneous election in India: UPSC)

एक साथ चुनाव (simultaneous election) आखिरकार यह मुद्दा चर्चा में क्यों है सबसे पहले हम इस मुद्दे को बारीकी से विश्लेषण करते हैं अभी हाल ही में प्रधानमंत्री ने लोकसभा और राज्य विधान सभा के चुनाव एक साथ कराने पर बड़ा जोर दिया है उन्होंने यह कहा है कि आप अपने देश का प्रधानमंत्री के साथ साथ अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक ही वर्ष में चुन सकते हैं और बार-बार इलेक्शन की प्रक्रिया से बचा जा सकता है. एक साथ चुनाव के बारे में (simultaneous election know about) इसका अर्थ है कि भारतीय निर्वाचन चक्र को इस तरह से व्यवस्थित करना कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव एक साथ करवाया जा सके जिसके तहत निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता एक ही साथ दोनों के लिए मतदान कर सकें. इससे पहले एक साथ चुनाव की व्यवस्था वर्ष 1967 तक जारी रही थी लेकिन वर्ष 1968 में और उस वर्ष 1969 में कुछ विधानसभाओं में और वर्ष 1970 में लोकसभा के विघटन के बाद राज्य विधान सभा और संसद के एक 7 चुनाव का क्रम टूट गया दोनों के चुनाव अलग-अलग समय में होने लगे. बाद में निर्वाचन आयोग ने वर्ष 1983 में एक साथ चुनाव का सुझाव प्रस्तावित किया था इस...

ब्रिटिश भारत के गवर्नर, गवर्नर जनरल और वायसराय (british India governor, governor general and varsha Rai)

बंगाल के गवर्नर  लॉर्ड क्लाइव (1757 - 1760 ईसवी एवं 1765 - 1767) लार्ड क्लाइव को भारत में अंग्रेजी शासन का संस्थापक माना जाता है. ईस्ट इंडिया कंपनी ने क्लाइव को 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला प्रथम गवर्नर था.         भारत में अंग्रेजी शासन की स्थापना में निर्णायक माना जाने वाला 1757 का प्लासी का युद्ध क्लाइव के नेतृत्व में लड़ा गया.         बंगाल के गवर्नर के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में बरार को बरार के युद्ध में ने मुगल सम्राट का शाह आलम द्वितीय से इलाहाबाद की संधि की.          1764 में ऐतिहासिक बक्सर युद्ध के समय “वसि़ंटार्ट 176065 ईसवी में बंगाल का गवर्नर था।        इलाहाबाद की संधि के बाद क्लाइव ने बंगाल में द्वैध शासन की नींव रखी है. द्वैध शासन के दौरान कंपनी के अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार को कम करने के लिए लॉर्ड क्लाइव ने सोसायटी आफ ट्रेड की स्थापना की . बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग (1772 - 1785 ईसवी) 1772 ...

दिल्ली सल्तनत (1206 - 1526): Delhi sultanat aur Ghulam Vansh

कुतुबुद्दीन ऐबक तराइन के द्वितीय युद्ध में विजय के उपरांत मोहम्मद गोरी गजनी लौट गया और भारत का राजकाज अपने विश्वस्त गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया भारत में तुर्की शासन की स्थापना 1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया गुलाम वंश का था 1206 से के मध्य दिल्ली सल्तनत के सुल्तान गुलाम वंश के सुल्तानों के नाम से विख्यात हुए.           गुलाम वंश को मामलूक्ट वंश भी कहा जाता है स्वतंत्र माता-पिता से उत्पन्न हुए दास यह अभिप्राय स्वतंत्र रूप से जन्म लिए हुए मामलों को वंशको गुलामों को इस श्रेणी में देशराज ने मिनाल उद्दीन सिराज ने कुतुबुद्दीन ऐबक को एक भी रहे हो उदार हृदय सुल्तान बताया उस की असीम उदारता के लिए उसे लाख बख्श कहा जाता था कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में कुवैत उल इस्लाम और अजमेर में अड़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण कराया था अब अपने सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर दिल्ली में कुतुब मीनार की नींव डाली जिसे इल्तुतमिश ने पूरा किया. अब अगले साम्राज्य विस्तार से अधिक ध्यान राज्य के सुंदरीकरण में दिया उसने लाहौर को अपनी राजधानी...