Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते हुए तनाव के कारण बाकी सभी देशों की स्थिति cold waar between chaina and america
प्लास्टिक पार्क
रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने देश में 10 प्लास्टिक पार्क स्थापित करने के लिए मंजूरी दी है यह पाक 2019 में लांच की गई प्लास्टिक पार्क की योजना के तहत स्थापित किए जा रहे हैं या प्लास्टिक पार्क मध्य प्रदेश असम तमिलनाडु उड़ीसा झारखंड छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में स्थापित किए जाएंगे.
देश के पहले चिकित्सीय उपकरण पार्क का शिलान्यास केरल में किया गया. भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के श्री चित्र तिरुनल चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान और केरल सरकार की औद्योगिक एवं निवेश संवर्धन एजेंसी केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड की संयुक्त पहल के आधार पर संयुक्त चिकित्सीय उपकरण पार्क को स्थापित किया गया.
विश्व समुद्री दिवस
विश्व समुद्री दिवस प्रतिवर्ष सितंबर के अंतिम बृहस्पतिवार को मनाया जाता है विश्व समुद्री दिवस वर्ष 1958 में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन सम्मेलन के अनुकूल की तिथि चिन्हित करता है पहली बार इस दिवस को वर्ष 1978 में बनाया गया था संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन के मुताबिक दुनिया भर में करीब 80% व्यापार समुद्री मार्ग से होता है .
इस बार विश्व समुद्र दिवस की थीम थी “ सतत ग्रह के लिए सतत शिपिंग”
संसद ने गुजरात में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विधेयक पारित किया है राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक 2020 के तहत गुजरात के गांधीनगर स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के रूप में अपग्रेड किया जाएगा यह एक बहु विद्या विश्वविद्यालय होगा.
इनोवेशन इंडेक्स जी आईआई में भारत पहली बार शीर्ष 50 देशों में शामिल हुआ भारत में चार पायदान की छलांग लगाई और 48 में स्थान पर पहुंच गया है भारत वर्ष 2015 में 21वें स्थान पर 2016 में 66वें स्थान पर 2017 में सातवें स्थान पर 2018 में 57 स्थान पर 2019 में 52 स्थान पर था संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की यह सूची 131 देशों और अर्थव्यवस्थाओं के नोवेशन प्रदर्शन पर आधारित इस सूची में स्विट्जरलैंड ने अपनी शीर्ष रैंकिंग बरकरार रखी है.
केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के विरुद्ध नगर जिले को राज्य का पूरी तरह से डिजिटल अर्थव्यवस्था वाला पहला राज्य का जिला घोषित किया है जहां यह बड़ी संख्या में लघु और मध्यम उद्यम विशेषकर आतिशबाजी से संबंधित क्षेत्र के उद्यम में क्षेत्र सम्मिलित है.
इज ऑफ डूइंग बिजनेस 2019 रैंकिंग के मामले में आंध्र प्रदेश अपनी स्थिति बरकरार रखते हुए पहले स्थान पर है इस सूची में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा जबकि तेलंगाना तीसरे और मध्यप्रदेश को चौथा स्थान प्राप्त हुआ है इस सूची में झारखंड को पांचवा छत्तीसगढ़ को छठवां स्थान हिमाचल प्रदेश को सातवां राजस्थान को आठवां पश्चिम बंगाल को नवा तथा गुजरात को दसवां स्थान प्राप्त हुआ है.
शिवांगी सिंह को राफेल विमान के स्क्वाडर्न की पहली महिला पायलट बनने का गौरव हासिल हुआ है.
कनाडा की एक संस्था द्वारा प्रकाशित की जाने वाली वार्षिक तुलनात्मक रपट ग्लोबल इकोनामिक फ्रीडम इंडेक्स सूचकांक 2020 में भारत 6 स्थान नीचे खिसक कर 105 में स्थान पर आ गया पिछले वर्ष की तुलना में भारत का 79 स्थान पर था.
रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2020 21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5% की भारी गिरावट का अनुमान लगाया है चालू वित्त वर्ष की तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 23.9% की गिरावट दर्ज की गई है.
चीन और अमेरिका के बीच वैश्विक प्रभुत्व के लिए संघर्ष
अमेरिका व चीन विश्व की 2 सबसे बड़ी शक्तियां हाल के वर्षों में विशेषकर 2020 के आरंभ में अमेरिका तथा चीन के बीच जो तनाव बढ़ रहा है वह धीरे-धीरे विश्व प्रवृति के संघर्ष का रूप लेता जा रहा है दोनों के बीच संघर्ष का आयाम व्यापक तथा दूरगामी है इसमें दोनों के मध्य कई सामाजिक आर्थिक राजनीतिक तथा सांस्कृतिक आयाम शामिल है यह संघर्ष विश्व व्यवस्था को प्रभावित करने के साथ-साथ भारत जैसे देशों को प्रभावित कर रहा है भारत जैसे देशों को दोनों के बीच संतुलन की नीति को बनाए रखना अब अत्यंत कठिन हो गया है.
जिस प्रकार बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अमेरिका तथा सोवियत संघ व दोनों गुटों के मध्य वैचारिक राजनीतिक तथा सैनिक संघर्ष चला था उसी प्रकार 21वीं शताब्दी में चीन व अमेरिका के बीच संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है इस संघर्ष में अमेरिका जहां स्थापित विश्व शक्ति है वहीं चीन अमेरिका के बराबर अथवा उसे स्थापित कर विश्व शक्ति का दर्जा प्राप्त करना चाहता है विश्व राजनीति में एक स्थापित विश्व शक्ति नवोदित विश्व शक्ति किसे चुनौती का सामना करती है तो दोनों के बीच संबंधों के अविश्वास भय तथा प्रतिद्वंदिता का जो माहौल बनता है उसे thusidides trap के नाम से जाना जाता है इसमें जहां स्थापित विश्व शक्ति विश्व व्यवस्था में यथास्थिति को बनाए रखने का प्रयास करती है वही उदीयमान शक्ति विश्व व्यवस्था के ढांचे व मापदंड में बदलाव का प्रयास करती है वर्तमान में दोनों बड़ी शक्तियों के बीच चल रहे तनाव को समझने में यह धारणा उपयोगी है.
अमेरिका 2003 के बीच चल रहे तनाव का फलक बहुआयामी तथा दीर्घकालीन प्रभाव वाला है इसमें तनाव के आर्थिक राजनीतिक सांस्कृतिक तथा सामरिक सभी पहलू शामिल है इस तनाव के कारण विश्व व्यवस्था में एक नए ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति दिखाई देती है ध्रुवीकरण की इस प्रवृत्ति से विश्व की अन्य छोटी व बड़ी शक्तियां जैसे भारत जापान ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के यूरोपीय मित्र भी प्रभावित है भारत अभी तक अमेरिका रूस चीन ईरान आदि के साथ संतुलित संबंधों की नीति पर चल रहा था लेकिन अब उसके लिए ऐसा करना कठिन होगा भारत और चीन के बीच सीमा पर चल रहे सैनिक तनाव के आलोक में भी चीन और अमेरिका के संबंधों में बदलाव महत्वपूर्ण है.
अमेरिका व चीन संघर्ष व तनाव के क्षेत्र
वैसे तो अमेरिका तथा चीन का तनाव विश्व स्तर पर दोनों के लिए सामरिक पूरा भक्तों का तनाव है लेकिन इसकी अभिव्यक्ति दोनों के संबंधों के विभिन्न क्षेत्रों में देखी जा सकती है यह तनाव आर्थिक सामरिक तकनीकी आदि सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है कतिपय समीक्षकों ने इसे दोनों के बीच में शीत युद्ध के आगाज के रूप में भी देखा है वैसे तो अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में गत 4 वर्षों के कार्यकाल में यह तनाव लगातार विद्यमान रहे लेकिन चीन में कोविड-19 की उत्पत्ति तथा उसके को प्रबंधन के बाद यह तनाव अत्यधिक तीव्र रूप धारण कर गया दोनों के मध्य तनाव के कुछ प्रमुख क्षेत्र है.
व्यापार का क्षेत्र
3 वर्षों में अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव अत्यधिक बढ़ गया है चीन अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार देश है दोनों के बीच वस्तुओं तथा सेवाओं का कुलपति व्यापार 737 billion-dollar है जिनमें अमेरिका को प्रतिवर्ष 378 बिलियन डालर का घाटा हो रहा है यदि इसमें से सेवाओं के व्यापार को घटा दिया जाए तो अमेरिका का कुल व्यापार घाटा 419 बिलियन डालर है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम मानते हैं कि यह व्यापार घाटा चीन की गैरकानूनी व्यापारिक गतिविधियों का परिणाम है इसमें चीन द्वारा अमेरिका बौद्धिक संपदा की चोरी चीन द्वारा अपनी मुद्रा का जानबूझकर चीन में अमेरिकी उत्पादों पर कई तरीके के प्रतिबंध लगाया जाना शामिल है अमेरिका इस व्यापार घाटे को संतुलित करना चाहता है चीन द्वारा अपेक्षित उपाय ना अपनाए जाने पर राष्ट्रपति ने चीन से आयात होने वाली अधिकांश वस्तुओं पर शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है चीन ने भी बदलने में अमेरिका से आने वाले अधिकांश वस्तुएं पर कस्टम शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी इसमें दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया था.
दोनों देशों ने व्यापारिक तनाव को कम करने के लिए आपसी बातचीत का क्रम भी आरंभ किया इसके परिणाम स्वरूप जनवरी 2020 में दोनों देशों के मध्य एक अंतरिम व्यापारिक समझौता हुआ जिससे फेज 1 समझौते के नाम से जाना जाता है इस समझौते के अंतर्गत चीन ने इस बात की सहमति दिखाई है कि वह प्रति वर्ष 2017 की तुलना में अमेरिका से 200 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त वस्तुओं की आयात करेगा जिसमें अमेरिका का व्यापार घाटा कम हो सकेगा इस समझौते में यह भी तय हुआ था कि चीन अमेरिका के बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण करेगा दोनों देशों ने समझौता करने के लिए आगे से बातचीत जारी रखने पर सहमति व्यक्त की है लेकिन इसी बीच अमेरिका में कोविड-19 का प्रकोप बढ़ गया तथा राष्ट्रपति ने इस बीमारी की उत्पत्ति तथा उसके को प्रबंधन के लिए चीन पर दोषारोपण कर दिया था इसमें दोनों देशों के मध्य तनाव बढ़ गया तथा वैसे भी कोविड-19 के वैश्विक प्रकोप के कारण विश्व व्यापार में प्रतिबंध लग गया है तथा फेज वन व्यापारिक समझौते का क्रियान्वयन खटाई में पड़ गया था बढ़ते तनाव को बिट महामारी तथा अमेरिका में हो रहे चुनाव के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति चीन के साथ व्यापारिक बातचीत करने से मना कर दिया था इसके साथ ही अमेरिका ने चीन की कंपनियों पर अमेरिका में प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि उसका मानना है कि यह कंपनियां अमेरिकी तकनीकी चोरी करती है तथा चीन की सरकार को अमेरिका की गुप्त सूचनाएं पहुंचाती है दोनों देशों ने इसी वर्ष एक दूसरे के 11 वाणिज्य दूतावास को भी बंद कर दिया व्यापारी गतिरोध बरकरार है.
दक्षिण चीन सागर में सैनिक तनाव
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव के साथ हिंदू प्रशांत क्षेत्र में भी सैनिक तनाव में वृद्धि हुई है जिसका वर्तमान में मुख्य केंद्र दक्षिण चीन सागर है या तनाव वास्तव में अमेरिका की वैश्विक हिंद प्रशांत नीति का ही एक पहलू है अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक निवासी सैनिक शक्ति रहा है अमेरिका ने इस क्षेत्र के देशों यथा जापान दक्षिण कोरिया कोरिया तथा फिलिपिंस आदि में अपने सैनिक अड्डों की स्थापना भी की है अता चीन का आर्थिक व सैनिक उदय क्षेत्र में अमेरिका के प्रभाव को सीमित करने वाला है.
2017 में घोषित अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में चीन तथा रूस को अमेरिका के वैश्विक हेतु तथा प्रभाव का सबसे बड़ा विरोधी बताया गया है अमेरिकी राष्ट्रपति के पहले भी ओबामा के कार्यकाल में अमेरिका द्वारा उभरते चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए 2011 में एशिया 58 नामक नीति का प्रतिपादन किया गया था जिसके अंतर्गत अमेरिका की 60% 9 सेनाओं को एशिया प्रशांत क्षेत्र में तैनात किया जाना था इस संबंध में ट्रंप ने चीन के प्रति क्षेत्र में अधिक आक्रामक नीति का अनुसरण करते हुए 2017 में 4 देशों में भारत अमेरिका जापान तथा आस्ट्रेलिया के बीच इस क्षेत्र में सामरिक सहयोग बढ़ाने के लिए कौन नामक सामरिक मंच की शुरुआत की है वर्तमान में उसका स्तर विदेशी मंत्रियों के मध्य संवाद तक बढ़ा दिया गया है.
ओके साबरी की स्थिति के आलोक में चीन व अमेरिका के बीच सैनिक तनाव का मुख्य क्षेत्र दक्षिण चीन सागर है जिसके 90% क्षेत्र पर चीन अपना दावा बताता है जबकि क्षेत्र में पांच अन्य देश ताइवान वियतनाम ब्रूनेई मलेशिया तथा फिलीपींस भी उन्हीं क्षेत्रों का दावा करते हैं जिन्हें चीन अपना मानता है चीन ने इस क्षेत्र में अपने सैनिक जांचों का विकास कर भय और तनाव का वातावरण बना दिया है दूषित अब अमेरिका क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए निरंतर सैनिक बस्ती करता रहता है आरंभ में अमेरिका चीन तथा उसके पड़ोसियों के संप्रभुता संबंधी विवाद पर तरह की नीति बनाई लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुलकर चीन के दावों का विरोध किया अमेरिका ने अत्याधुनिक नौसैनिक पोत के क्षेत्र में चल रही तनातनी के बीच भारत ने भी अगस्त 2020 में अपना नौसैनिक पोत दक्षिण चीन सागर में इस प्रकार दक्षिण चीन सागर वर्तमान में अमेरिका और चीन के बीच अधिक सैनिक तनाव का क्षेत्र बन गया है.
तनाव के अन्य क्षेत्र
अमेरिका और चीन के उक्त तनाव के अलावा अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी हाल के महीने में तनाव बढ़ गया यह मुद्दे हैं हांगकांग में लोकतंत्र का आंदोलन ताइवान कोचीन की निरंतर मिल रही धमकी चीन में जिनजियांग प्रांत में कोई गैर मुस्लिम समुदाय के मानवाधिकारों का हनन तिब्बत की स्वायत्तता का प्रश्न तथा कोविड-19 में चीन काकू प्रबंधन हाल में हांगकांग में जून 2020 से ही लोकतंत्र की स्थापना के समर्थन में आंदोलन चल रहा था बिगड़ती स्थिति को देखते हुए चीन ने वहां वैश्विक विरोध के बावजूद नया सुरक्षा कानून लागू कर दिया जिसके अंतर्गत विरोध कर रहे लोगों को छीन ले जाकर गंभीर मुकदमें चलाए गए 1997 में जब ब्रिटेन से हांगकांग का अधिकार प्राप्त किया था तो यह सहमति बनी थी कि अगले 50 वर्षों तक चीन यथा स्थिति में परिवर्तन नहीं करेगा लेकिन चीन अब इस समझौते को नहीं मार रहा है हमें रिका में ऐसे सभी चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध की घोषणा की है जो हांगकांग में लोकतंत्र के दमन के लिए उत्तरदाई हैं इसी तरह अमेरिका ने तिब्बत में उसकी श्वेता को समाप्त करने के दोषी वही घर मुस्लिम समुदाय के मानव अधिकारों का हनन के लिए चीनी नेताओं व अधिकारियों के विरूद्ध प्रतिबंध की घोषणा की है चीन अमेरिका के इन प्रतिबंधों को अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताकर अमेरिका की चीन ताइवान को अपना बताता है लेकिन अमेरिका वतन देश मानकर उसके साथ कूटनीतिक संबंधों को बढ़ाने के साथ उसे सैनिक हथियार भी उपलब्ध करा रहा है इसी तरह अमेरिका ने कोई के प्रबंधन करने तथा उसकी उत्पत्ति के संबंध में सूचना छिपाने के लिए चीन को दोषी माना है कुल मिलाकर इन मुद्दों के कारण दोनों देशों के बीच तनाव चरम सीमा पर पहुंच गया है जिसे कई समीक्षक एक तरह से शीत युद्ध की शुरुआत मानते हैं.
अमेरिका चीन तनाव के वैश्विक प्रभाव
की 2 सबसे बड़ी शक्तियां होने के साथ-साथ दो बड़ी सैनिक शक्तियां भी है जहां अमेरिका स्थापित विश्व महाशक्ति है वहीं चीन 2049 तक अपने प्रभाव को बढ़ाकर विश्व की महाशक्ति बनने की इच्छा रखता है चीन ने अपनाया लक्ष्य 2017 की 19 में पार्टी कांग्रेस की बैठक में निर्धारित किया था इसे ही चीन के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चीनी सपना कहा जाता है इस सामरिक प्रतिद्वंदिता में तनाव होना सामान्य बात है दोनों के मध्य निरंतर बढ़ रहे तनाव के निम्न वत वैश्विक परिणाम देखने को आए हैं
इस तनाव के कारण विश्व में सामरिक ध्रुवीकरण की गति बढ़ गई है इससे विश्व के देशों को किसी एक पक्ष में अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित होने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है इसका सबसे प्रमुख उदाहरण मध्य पूर्व में बढ़ना ध्रुवीकरण अमेरिका ने ईरान के परमाणु समझौते को 2018 में रद्द करते हुए ईरान के विरुद्ध कई सामरिक व सैनिक प्रतिबंध भी लगा दिया है उधर चीन ने अगस्त 2020 में ईरान के 25 वर्षों का एक सामरिक समझौता भी कर लिया तथा ईरान को आर्थिक सैनिक मदद प्रदान कर रहा है इसमें भारत को भी परेशानी हो रही है ईरान मानता है भारत ने अमेरिका के प्रतिबंधों का पालन करते हुए उसे यहां से तेल आयात करना बंद कर दिया लिहाजा ईरान ने चार हार बंदरगाह से अफगानिस्तान की सीमा तक जाने वाली रेल लाइन परियोजना को भारत को अलग कर दिया है इससे भारत की चाबहार परियोजना खटाई में पड़ गई है कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो जहां चीन कई देशों जैसे पाकिस्तान ईरान उत्तर कोरिया तुर्की व रूस आदि के साथ मिलकर नया सामरिक मोर्चा तैयार कर रहा है वहीं अमेरिका अन्य देशों जैसे जापान आस्ट्रेलिया भारत का नाडा तथा और भी यूरोपीय देशों के साथ मिलकर दूसरा सामरिक मोर्चा तैयार कर रहा है इन दोनों मोर्चों का भविष्य दोनों देशों के बीच बढ़ रहे तनाव के भविष्य पर निर्भर करता है.
दो बड़ी शक्तियों के मध्य चल रहे तनाव के कारण वैश्विक विकास हुआ चुनौतियों के समाधान में बाधा उत्पन्न हो रही है वैसे भी कोविड-19 मारी के कारण विश्व की सभी अर्थव्यवस्था में मंदी व बेरोजगारी की चुनौती का सामना कर रही है लेकिन दोनों के तनाव के चलते इसमें वैश्विक चुनौतियों के समाधान हेतु आपसी सहयोग की आशा कमजोर हो रही है जलवायु परिवर्तन तथा संयुक्त राष्ट्र में सुधार जैसे प्रश्नों पर दोनों देशों में गहरा मतभेद उभर आया है कोविड-19 में अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया था उसने संगठन में अपनी सदस्यता समाप्त करने की घोषणा भी कर दी थी व्यापारिक तनाव व प्रतिबंधों के चलते कई कंपनियों का कारोबार भी प्रभावित हुआ तथा विश्व के आर्थिक विकास व्यापार तथा निवेश पर इसका विपरीत प्रभाव दिखाई दे रहा है कुल मिलाकर अमेरिका व चीन के बीच चल रहा आर्थिक व सैनिक तनाव विश्व शांति व विकास के लिए शुभ संकेत नहीं है क्योंकि दोनों देश आर्थिक व सैनिक शक्तियां अन्य देशों पर भी इसका विपरीत प्रभाव दिखाई दे रहा है.
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