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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

क्या हमने अपनी दिशा को दी है? टीवी और सोशल मीडिया के बहकावे में क्या हमारे सोचने और समझने की क्षमता नष्ट कर दी है?

आजादी के करीब 74 साल हो चुके हैं हमने अपना 73 वा स्वतंत्र दिवस भी बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया है. स्वतंत्र दिवस को देखकर ऐसा लगता है कि भारत में विश्व में अपना एक अलग ही मुकाम हासिल कर लिया भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चमक दमक जहां हमें यह मानने को विवश करती है कि हम एक संपन्न राष्ट्र हैं और आने वाले वक्त में जहां हम विश्व के शीर्ष देशों के नेतृत्व का सपना हमारे देश की सरकार के कुछ दूरदर्शी लोग यह बताते हैं कि आने वाले समय में भारत विश्व गुरु का तमगा लेकर चलेगा इस प्रकार की बातों को हमारे देश की मिडिल क्लास के लोगों खासतौर पर वे युवा इसको सत्यम समझते हैं जिनके मां-बाप जीवन भर नौकरी करके कुछ संपत्ति का आयोजन किया है कि आने वाले खराब वक्त में जो कि हर मां-बाप जो कि जमीनी हकीकत को पहचानता है कि जब वक्त का दौर खराब होगा तब मेरे द्वारा अर्जित की गई संपत्ति जरूरी समय में मेरे परिवार के काम आएगी ऐसी सोच हर मां-बाप की होती है.

                      लेकिन आज का युवा जिस प्रकार से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मीठे बोल में फंसता जा रहा है जिस प्रकार हमारा मीडिया सरकार से सवाल करने की बजाय वह देश के सामने विपक्ष से सवाल पूछता है यह आधुनिक राजनीति की पर पार्टी के लिए बेहद खतरनाक आने वाले समय में साबित हो सकती है हमारे देश के युवा को टीवी के माध्यम से उनके भविष्य के साथ धोखा किया जा रहा है यदि आप सरकार से सवाल नहीं पूछ सकते हैं तो भारतीय लोकतंत्र का क्या स्थिति बचेगा हमें यहां सोचना होगा कि मीडिया की कार्यशैली पूरी तरह से प्रश्नवाचक की भूमिका में होनी चाहिए ना कि सरकार के प्रवक्ता के रूप में कार्य करने की यदि आप इस देश को सही मायने में 1 दिन विश्व गुरु के रूप में देखना चाहते हो तो हमको सरकार से सवाल पूछना चाहिए ना कि विपक्ष से.


यदि विपक्ष इतना ही शक्तिशाली होता तो विपक्ष क्यों होता वह सत्तापति बन जाता बदलाव समय की मांग होता है यदि बदलाव नहीं होगा तो किसी की तरक्की नहीं होगी इसलिए यदि आपको जीवन में नई ऊंचाइयों को पहुंचना है तो हमें बदलाव की जरूरत है शपथ बदलाव ही जीवन में तरक्की का मार्ग बनाता है.

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