इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4 मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं। इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है। [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव: सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...
क्या हमने अपनी दिशा को दी है? टीवी और सोशल मीडिया के बहकावे में क्या हमारे सोचने और समझने की क्षमता नष्ट कर दी है?
आजादी के करीब 74 साल हो चुके हैं हमने अपना 73 वा स्वतंत्र दिवस भी बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया है. स्वतंत्र दिवस को देखकर ऐसा लगता है कि भारत में विश्व में अपना एक अलग ही मुकाम हासिल कर लिया भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चमक दमक जहां हमें यह मानने को विवश करती है कि हम एक संपन्न राष्ट्र हैं और आने वाले वक्त में जहां हम विश्व के शीर्ष देशों के नेतृत्व का सपना हमारे देश की सरकार के कुछ दूरदर्शी लोग यह बताते हैं कि आने वाले समय में भारत विश्व गुरु का तमगा लेकर चलेगा इस प्रकार की बातों को हमारे देश की मिडिल क्लास के लोगों खासतौर पर वे युवा इसको सत्यम समझते हैं जिनके मां-बाप जीवन भर नौकरी करके कुछ संपत्ति का आयोजन किया है कि आने वाले खराब वक्त में जो कि हर मां-बाप जो कि जमीनी हकीकत को पहचानता है कि जब वक्त का दौर खराब होगा तब मेरे द्वारा अर्जित की गई संपत्ति जरूरी समय में मेरे परिवार के काम आएगी ऐसी सोच हर मां-बाप की होती है.
लेकिन आज का युवा जिस प्रकार से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मीठे बोल में फंसता जा रहा है जिस प्रकार हमारा मीडिया सरकार से सवाल करने की बजाय वह देश के सामने विपक्ष से सवाल पूछता है यह आधुनिक राजनीति की पर पार्टी के लिए बेहद खतरनाक आने वाले समय में साबित हो सकती है हमारे देश के युवा को टीवी के माध्यम से उनके भविष्य के साथ धोखा किया जा रहा है यदि आप सरकार से सवाल नहीं पूछ सकते हैं तो भारतीय लोकतंत्र का क्या स्थिति बचेगा हमें यहां सोचना होगा कि मीडिया की कार्यशैली पूरी तरह से प्रश्नवाचक की भूमिका में होनी चाहिए ना कि सरकार के प्रवक्ता के रूप में कार्य करने की यदि आप इस देश को सही मायने में 1 दिन विश्व गुरु के रूप में देखना चाहते हो तो हमको सरकार से सवाल पूछना चाहिए ना कि विपक्ष से.
यदि विपक्ष इतना ही शक्तिशाली होता तो विपक्ष क्यों होता वह सत्तापति बन जाता बदलाव समय की मांग होता है यदि बदलाव नहीं होगा तो किसी की तरक्की नहीं होगी इसलिए यदि आपको जीवन में नई ऊंचाइयों को पहुंचना है तो हमें बदलाव की जरूरत है शपथ बदलाव ही जीवन में तरक्की का मार्ग बनाता है.
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