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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

विकासशील चुनाव और जनता

देश में इस वक्त राष्ट्रीय मुद्दा क्या चल रहा है बिहार में किसकी सरकार बिहार में किसकी सरकार बनेगी जीत का सेहरा किसके सर पर बनेगा बिहार में इस बार का मुख्यमंत्री कौन होगा क्या नीतीश कुमार द्वारा सत्ता में वापस आएंगे यार वह नरेंद्र मोदी को फिर एक बार जीत के लिए आगे करेंगे या स्वयं वह इस जीत का सेहरा अपने सिर पर बनेंगे यदि हार होती है तो भारतीय जनता पार्टी इस हार के लिए जिम्मेदार किसको ठहराया की क्या वह नीतीश कुमार को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया की जो कि लॉकडाउन के समय केंद्र सरकार की नीतियां जो कि सुनने में आया है कि मजदूरों को उनके घर तक नहीं पहुंचाया गया उन नीतियों के कारण क्या नीतीश कुमार बिहार का चुनाव हार जाएंगे.


            मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश कुमार दोबारा से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे क्या यह मीडिया रिपोर्ट जमीनी हकीकत को बताता है या सिर्फ इनका एक तर्क है कि नीतीश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री बनेंगे क्या नीतीश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री बनेंगे इसके पीछे सबसे बड़ा कारण नरेंद्र मोदी होंगे नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार की नीतियां होंगे और केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई योजनाओं के कारण ही नीतीश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे लेकिन दूसरी तरफ अगर कुछ और मीडिया रिपोर्टों की माने तो बिहार की जनता बदलाव चाहती है वे नीतीश कुमार के 15 साल के सुशासन को बदलना चाहती है फिर एक प्रकार से लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी को मौका देना चाहती है क्या आरजेडी इतनी सक्षम है कि वह मुख्यमंत्री के दावेदार को सत्ता तक पहुंचाने में सक्षम है.

लेकिन यहां सोचने वाली बात यह है कि जिस प्रकार से एनडीए से चिराग पासवान ने अपना गठबंधन तोड़कर के नीतीश कुमार के विरोध में अपना झंडा ऊंचा कर रखा है क्या वही नीतीश कुमार और एनडीओ को हानि पहुंचाने की स्थिति में है क्या चिराग पासवान की वजह से नीतीश कुमार अपनी सत्ता को बैठेंगे क्या चिराग पासवान में इतनी क्षमता है कि वह रामविलास पासवान की जगह ले सके रामविलास पासवान की नेतृत्व क्षमता और चिराग पासवान की नेतृत्व क्षमता हूं में समानता है क्या चिराग पासवान अपनी पार्टी को इतना सक्षम मानते हैं कि वह इन चुनावों में 10 से 15 सीटें ले सकते हैं यदि चिराग पासवान ने 10 से 15 सीटें ले ली तो वह बिहार के मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों की दौड़ में सबसे आगे दिखाई देंगे यदि ऐसा होगा तो बिहार का नक्शा और दिशा बदलने की बात जो चिराग पासवान करते रहे हैं क्या भाई से जमीनी हकीकत दे पाएंगे.

सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली नाम जो कि नीतीश कुमार की टक्कर में है वह लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव का तेजस्वी यादव का नेतृत्व क्षमता को जिस प्रकार से कांग्रेस ने माना है और कांग्रेस तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार हो गई है जिस प्रकार से बिहार में कांग्रेस ने अपना बड़ा भाई आरजेडी को माना है उस प्रकार कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर भी एक प्रश्न चिन्ह लगता जा रहा है क्या कांग्रेस में कोई भी ऐसा नेता नहीं बचा है जो अपनी पार्टी को बिहार और उत्तर प्रदेश में एक अच्छा नेतृत्व क्षमता प्रदान कर सकें क्या नरेंद्र मोदी ने जब से 2014 में लोकसभा का चुनाव जीत कर के क्या वास्तव में कांग्रेस को इतना कमजोर कर दिया है कि यह कांग्रेस इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की समय की कांग्रेस नहीं बची है क्या कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इतना कमजोर हो चुका है कि वह अपनी विरासत को भी नहीं संभाल पा रहे हैं सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस किसी भी तरह से सत्ता में वापसी जाती है चाहे वह महाराष्ट्र हो या बिहार लेकिन यदि कांग्रेस सत्ता में वापसी करती भी है तो क्या कांग्रेस केंद्र में भी वापसी कर सकेगी क्योंकि कांग्रेस ने हर प्रदेश में छोटे भाई की ही भूमिका निभाई है वह बड़ा भाई बनने का क्या उसका शीर्ष नेतृत्व समाप्त हो चुका है क्या राहुल गांधी में इतनी क्षमता नहीं बची है कि वह अपनी पार्टी को पुनः जीवित कर सकें क्या राहुल गांधी को सलाह देने वाले चाटुकार ओं की संख्या अधिक उनके आसपास रह रही है या राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का इतिहास ही नहीं पता है यह सवाल राहुल गांधी को सोचना चाहिए कि सत्ता पाने के लिए आप अगर आप अपना मुकाबला नरेंद्र मोदी से करना चाहते हैं तो आपको भी उनके जैसा क्षमता वान होना पड़ेगा 2014 से लेकर के 2019 तक हमने देखा है कि जिस प्रकार से नरेंद्र मोदी जी द्वारा अपने आप को जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का जो गुण नरेंद्र मोदी के पास है वह हिंदुस्तान में अभी तक किसी भी नेता के पास नहीं है क्या राहुल गांधी नरेंद्र मोदी का विकल्प नहीं है यह राहुल गांधी को स्वयं में सोचना होगा राहुल गांधी को यह भी विचार करना होगा कि किस प्रकार से हर प्रदेश में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में हो या बिहार में हो या महाराष्ट्र में हो उस जगह कांग्रेस का और उसकी पार्टी का उसके नेताओं का स्तर छोटा होता जा रहा है जिस प्रकार से उसके बड़े नेता अभी हाल ही में जब हमने देखा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस पार्टी को छोड़ कर के भाजपा में शामिल होकर के जिस प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में गिरा दी गई उस प्रकार क्या कांग्रेस सत्ता हीन होती चली जाएगी या कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.

      अब हम बात दोबारा से बिहार चुनाव की करते हैं बिहार चुनाव में जिस प्रकार से तेजस्वी यादव ने अपनी नेतृत्व क्षमता को दिखाया है जिस प्रकार से उन्होंने अपने वादों से जनता को लुभाया है कि उनकी सत्ता आते हैं रोजगारों की भरमार लगा देंगे हर व्यक्ति के पास रोजगार होगा खाने के लिए रोटी होगी अपनी बीवी को दिखाने के लिए सिनेमा होगा माता-पिता हो की दवाइयों का खर्च उठाने के लिए पैसा होगा इस प्रकार का बिहार उन्होंने देने की बात की है.

       जनता युवा होने के कारण तेजस्वी यादव को एक बार मौका देना चाहती है लेकिन जनता विशेष को यह भी ध्यान रखना पड़ेगा कि जिस प्रकार से लालू प्रसाद यादव जी ने बिहार को 15 साल शासन करने के बाद उस बिहार को जंगलराज की याद दिला कर के जिस प्रकार नरेंद्र मोदी ने भाषण को संबोधित किया था क्या वास्तव में उस तरह का जंगलराज दोबारा तेजस्वी यादव यदि सत्ता में आते हैं तो वापस आएगा या तेजस्वी यादव ने जो सपनों के बिहार की बात की है उस बिहार को वह वास्तविक रूप से बना सकेंगे.

सोशल मीडिया और टीवी रिपोर्ट के मुताबिक जनता इस बार एक तरफा नीतीश को हराने के लिए तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए एक तरफा वोट करने के लिए कह रही है जिस प्रकार से तेजस्वी यादव की रैलियों में भीड़ इकट्ठा हो रही है क्या यह भीड़ तेजस्वी यादव के लिए वोट जुटा पाएगी या दोबारा से यह भीड़ वोट में नरेंद्र मोदी को देख कर के नीतीश कुमार के पक्ष में वोट करेगी यहां यदि हम बात करें कि यहां मैच कौन खेल रहा है तो इस मैच में 12वीं खिलाड़ी के रूप में नीतीश कुमार स्टेडियम के बाहर हैं और इसकी कप्तानी नरेंद्र मोदी संभाले हुए हैं नरेंद्र मोदी और तेजस्वी यादव के बीच में यह चुनाव होने वाला है यदि बिहार का चुनाव नीतीश कुमार हार जाते हैं तो भाजपाई इसका ठीकरा नीतीश कुमार पर डाल सकेंगे.

यह तो बिहार के चुनाव नतीजे ही बता पाएंगे कि बिहार में सत्ता किसकी है क्या बिहार में दोबारा है जंगलराज वापस आएगा या सुशासन बाबू अपना चमत्कार द्वारा दिखा पाएंगे या तेजस्वी यादव युवाओं के सपने पूरे कर सकेंगे या हिंदुस्तान की तकदीर बदलेगी या फिर यह सब वादे चुनावी जुमले रहकर ही बने रहेंगे जो जुमले 70 सालों से नेता लोग जनता को देते रहे हैं आगे कौन जीतेगा कौन हारेगा यह तो बिहार के चुनाव नतीजे दिवाली के पहले घोषित हो जाएंगे.

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