Skip to main content

इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

विकासशील चुनाव और जनता

देश में इस वक्त राष्ट्रीय मुद्दा क्या चल रहा है बिहार में किसकी सरकार बिहार में किसकी सरकार बनेगी जीत का सेहरा किसके सर पर बनेगा बिहार में इस बार का मुख्यमंत्री कौन होगा क्या नीतीश कुमार द्वारा सत्ता में वापस आएंगे यार वह नरेंद्र मोदी को फिर एक बार जीत के लिए आगे करेंगे या स्वयं वह इस जीत का सेहरा अपने सिर पर बनेंगे यदि हार होती है तो भारतीय जनता पार्टी इस हार के लिए जिम्मेदार किसको ठहराया की क्या वह नीतीश कुमार को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया की जो कि लॉकडाउन के समय केंद्र सरकार की नीतियां जो कि सुनने में आया है कि मजदूरों को उनके घर तक नहीं पहुंचाया गया उन नीतियों के कारण क्या नीतीश कुमार बिहार का चुनाव हार जाएंगे.


            मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश कुमार दोबारा से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे क्या यह मीडिया रिपोर्ट जमीनी हकीकत को बताता है या सिर्फ इनका एक तर्क है कि नीतीश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री बनेंगे क्या नीतीश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री बनेंगे इसके पीछे सबसे बड़ा कारण नरेंद्र मोदी होंगे नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार की नीतियां होंगे और केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई योजनाओं के कारण ही नीतीश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे लेकिन दूसरी तरफ अगर कुछ और मीडिया रिपोर्टों की माने तो बिहार की जनता बदलाव चाहती है वे नीतीश कुमार के 15 साल के सुशासन को बदलना चाहती है फिर एक प्रकार से लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी को मौका देना चाहती है क्या आरजेडी इतनी सक्षम है कि वह मुख्यमंत्री के दावेदार को सत्ता तक पहुंचाने में सक्षम है.

लेकिन यहां सोचने वाली बात यह है कि जिस प्रकार से एनडीए से चिराग पासवान ने अपना गठबंधन तोड़कर के नीतीश कुमार के विरोध में अपना झंडा ऊंचा कर रखा है क्या वही नीतीश कुमार और एनडीओ को हानि पहुंचाने की स्थिति में है क्या चिराग पासवान की वजह से नीतीश कुमार अपनी सत्ता को बैठेंगे क्या चिराग पासवान में इतनी क्षमता है कि वह रामविलास पासवान की जगह ले सके रामविलास पासवान की नेतृत्व क्षमता और चिराग पासवान की नेतृत्व क्षमता हूं में समानता है क्या चिराग पासवान अपनी पार्टी को इतना सक्षम मानते हैं कि वह इन चुनावों में 10 से 15 सीटें ले सकते हैं यदि चिराग पासवान ने 10 से 15 सीटें ले ली तो वह बिहार के मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों की दौड़ में सबसे आगे दिखाई देंगे यदि ऐसा होगा तो बिहार का नक्शा और दिशा बदलने की बात जो चिराग पासवान करते रहे हैं क्या भाई से जमीनी हकीकत दे पाएंगे.

सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली नाम जो कि नीतीश कुमार की टक्कर में है वह लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव का तेजस्वी यादव का नेतृत्व क्षमता को जिस प्रकार से कांग्रेस ने माना है और कांग्रेस तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार हो गई है जिस प्रकार से बिहार में कांग्रेस ने अपना बड़ा भाई आरजेडी को माना है उस प्रकार कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर भी एक प्रश्न चिन्ह लगता जा रहा है क्या कांग्रेस में कोई भी ऐसा नेता नहीं बचा है जो अपनी पार्टी को बिहार और उत्तर प्रदेश में एक अच्छा नेतृत्व क्षमता प्रदान कर सकें क्या नरेंद्र मोदी ने जब से 2014 में लोकसभा का चुनाव जीत कर के क्या वास्तव में कांग्रेस को इतना कमजोर कर दिया है कि यह कांग्रेस इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की समय की कांग्रेस नहीं बची है क्या कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इतना कमजोर हो चुका है कि वह अपनी विरासत को भी नहीं संभाल पा रहे हैं सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस किसी भी तरह से सत्ता में वापसी जाती है चाहे वह महाराष्ट्र हो या बिहार लेकिन यदि कांग्रेस सत्ता में वापसी करती भी है तो क्या कांग्रेस केंद्र में भी वापसी कर सकेगी क्योंकि कांग्रेस ने हर प्रदेश में छोटे भाई की ही भूमिका निभाई है वह बड़ा भाई बनने का क्या उसका शीर्ष नेतृत्व समाप्त हो चुका है क्या राहुल गांधी में इतनी क्षमता नहीं बची है कि वह अपनी पार्टी को पुनः जीवित कर सकें क्या राहुल गांधी को सलाह देने वाले चाटुकार ओं की संख्या अधिक उनके आसपास रह रही है या राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का इतिहास ही नहीं पता है यह सवाल राहुल गांधी को सोचना चाहिए कि सत्ता पाने के लिए आप अगर आप अपना मुकाबला नरेंद्र मोदी से करना चाहते हैं तो आपको भी उनके जैसा क्षमता वान होना पड़ेगा 2014 से लेकर के 2019 तक हमने देखा है कि जिस प्रकार से नरेंद्र मोदी जी द्वारा अपने आप को जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का जो गुण नरेंद्र मोदी के पास है वह हिंदुस्तान में अभी तक किसी भी नेता के पास नहीं है क्या राहुल गांधी नरेंद्र मोदी का विकल्प नहीं है यह राहुल गांधी को स्वयं में सोचना होगा राहुल गांधी को यह भी विचार करना होगा कि किस प्रकार से हर प्रदेश में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में हो या बिहार में हो या महाराष्ट्र में हो उस जगह कांग्रेस का और उसकी पार्टी का उसके नेताओं का स्तर छोटा होता जा रहा है जिस प्रकार से उसके बड़े नेता अभी हाल ही में जब हमने देखा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस पार्टी को छोड़ कर के भाजपा में शामिल होकर के जिस प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में गिरा दी गई उस प्रकार क्या कांग्रेस सत्ता हीन होती चली जाएगी या कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.

      अब हम बात दोबारा से बिहार चुनाव की करते हैं बिहार चुनाव में जिस प्रकार से तेजस्वी यादव ने अपनी नेतृत्व क्षमता को दिखाया है जिस प्रकार से उन्होंने अपने वादों से जनता को लुभाया है कि उनकी सत्ता आते हैं रोजगारों की भरमार लगा देंगे हर व्यक्ति के पास रोजगार होगा खाने के लिए रोटी होगी अपनी बीवी को दिखाने के लिए सिनेमा होगा माता-पिता हो की दवाइयों का खर्च उठाने के लिए पैसा होगा इस प्रकार का बिहार उन्होंने देने की बात की है.

       जनता युवा होने के कारण तेजस्वी यादव को एक बार मौका देना चाहती है लेकिन जनता विशेष को यह भी ध्यान रखना पड़ेगा कि जिस प्रकार से लालू प्रसाद यादव जी ने बिहार को 15 साल शासन करने के बाद उस बिहार को जंगलराज की याद दिला कर के जिस प्रकार नरेंद्र मोदी ने भाषण को संबोधित किया था क्या वास्तव में उस तरह का जंगलराज दोबारा तेजस्वी यादव यदि सत्ता में आते हैं तो वापस आएगा या तेजस्वी यादव ने जो सपनों के बिहार की बात की है उस बिहार को वह वास्तविक रूप से बना सकेंगे.

सोशल मीडिया और टीवी रिपोर्ट के मुताबिक जनता इस बार एक तरफा नीतीश को हराने के लिए तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए एक तरफा वोट करने के लिए कह रही है जिस प्रकार से तेजस्वी यादव की रैलियों में भीड़ इकट्ठा हो रही है क्या यह भीड़ तेजस्वी यादव के लिए वोट जुटा पाएगी या दोबारा से यह भीड़ वोट में नरेंद्र मोदी को देख कर के नीतीश कुमार के पक्ष में वोट करेगी यहां यदि हम बात करें कि यहां मैच कौन खेल रहा है तो इस मैच में 12वीं खिलाड़ी के रूप में नीतीश कुमार स्टेडियम के बाहर हैं और इसकी कप्तानी नरेंद्र मोदी संभाले हुए हैं नरेंद्र मोदी और तेजस्वी यादव के बीच में यह चुनाव होने वाला है यदि बिहार का चुनाव नीतीश कुमार हार जाते हैं तो भाजपाई इसका ठीकरा नीतीश कुमार पर डाल सकेंगे.

यह तो बिहार के चुनाव नतीजे ही बता पाएंगे कि बिहार में सत्ता किसकी है क्या बिहार में दोबारा है जंगलराज वापस आएगा या सुशासन बाबू अपना चमत्कार द्वारा दिखा पाएंगे या तेजस्वी यादव युवाओं के सपने पूरे कर सकेंगे या हिंदुस्तान की तकदीर बदलेगी या फिर यह सब वादे चुनावी जुमले रहकर ही बने रहेंगे जो जुमले 70 सालों से नेता लोग जनता को देते रहे हैं आगे कौन जीतेगा कौन हारेगा यह तो बिहार के चुनाव नतीजे दिवाली के पहले घोषित हो जाएंगे.

Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण का क्या अर्थ है ?इसकी विशेषताएं बताइए।

पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है किंतु उसका सार एकात्मक है . इस कथन पर टिप्पणी कीजिए? (the Indian constitutional is Federal in form but unitary is substance comments

संविधान को प्राया दो भागों में विभक्त किया गया है. परिसंघात्मक तथा एकात्मक. एकात्मक संविधान व संविधान है जिसके अंतर्गत सारी शक्तियां एक ही सरकार में निहित होती है जो कि प्राया केंद्रीय सरकार होती है जोकि प्रांतों को केंद्रीय सरकार के अधीन रहना पड़ता है. इसके विपरीत परिसंघात्मक संविधान वह संविधान है जिसमें शक्तियों का केंद्र एवं राज्यों के बीच विभाजन रहता और सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं भारतीय संविधान की प्रकृति क्या है यह संविधान विशेषज्ञों के बीच विवाद का विषय रहा है. कुछ विद्वानों का मत है कि भारतीय संविधान एकात्मक है केवल उसमें कुछ परिसंघीय लक्षण विद्यमान है। प्रोफेसर हियर के अनुसार भारत प्रबल केंद्रीय करण प्रवृत्ति युक्त परिषदीय है कोई संविधान परिसंघात्मक है या नहीं इसके लिए हमें यह जानना जरूरी है कि उस के आवश्यक तत्व क्या है? जिस संविधान में उक्त तत्व मौजूद होते हैं उसे परिसंघात्मक संविधान कहते हैं. परिसंघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व ( essential characteristic of Federal constitution): - संघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व इस प्रकार हैं...