Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
अभी हाल ही में रिलीज हुई ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर इन 1 फिल्म लघुशंका जोकि सुर्खियों में बनी हुई है अगर हम बात फिल्म की कहानी यह करते हैं तो यह कहानी बिहार में बसे शादी के योग्य लड़की श्रुति की कहानियां जिसे रात में नींद में बिस्तर गिला करने की आदत है पिछले एक माह से होम्योपैथिक दवा के चलते सब ठीक था मगर फिर से ऐसा होने लगा उसकी इस बीमारी से स्वयं श्रुति और उसके माता-पिता भी हमेशा शर्मिंदगी महसूस करते हैं अब समस्या यह है कि 2 दिन बाद श्रुति की शादी होने वाली है और ससुराल पक्ष को नहीं बताया गया है कि श्रुति को नींद में बिस्तर गिला करने की आदत है पति का मानना है कि उसके होने वाले पति और ससुराल बच्चों को इस बात की जानकारी दे देनी चाहिए इस बात पर घर के अंदर बहस छिड़ जाती है जिसमें सुरती का में मेरा भाई अपने शब्दों के बाण से सोती वह पूरे परिवार को शर्मिंदा करने की कोशिश करता है मजाक करते हुए वह डायपर ला कर देता है तो श्रुति की मां कहती है डायपर पहनकर सुहागरात मनाएगी श्रुति के पिता चाहते हैं कि शादी कर दी जाए पूरे परिवार में जबरदस्त हंगामा होता एक निर्णय लेते हुए कहती है कि यह शादी होगी अब शादी के बाद क्या होगा इसके लिए तो लघु शंका देखनी पड़ेगी.
अगर हम फिल्म की समीक्षा की बात करें तो यह बेहतरीन तरीके से इस मुद्दे को उकेरा गया है यह एक संवेदनशील मुद्दे को सरल और आकर्षक बनाए रखने का भरसक प्रयास है उन्होंने परिवार के भीतर की चर्चा को सही अंदाज में दिखाया जहां परिवार के सदस्य व रिश्तेदार शादी ऐसे मौके पर बड़े संवेदनशील और रहस्यमई घटना की आस लगाए रहते हैं उन्होंने चल रही शादी की तैयारी के आसपास की अराजकता और हंगामा को सही मात्रा में हास्य के साथ जुड़ा है इसके लेखक तना हुआ और यह प्रवाह के साथ है लेकिन इसका चरमोत्कर्ष पूर्वानुमान की योग्य लेकिन क्लाइमेट में पहुंचते-पहुंचते लेखक व निर्देशक गए इस नाजुक मुद्दे पर गंभीर चर्चा आगे होनी चाहिए थी पर अचानक ही फिल्में ऐसे मोड़ पर खत्म होती है कि दर्शक ठगा सा महसूस करते हैं.
सुतिया किरदार के साथ श्वेता त्रिपाठी ने पूरा न्याय किया है और इस तरह के किरदार उन पर जाते हैं लेकिन जिस प्रकार से उन्होंने मिर्जापुर टू सीजन में किरदार निभाया उस तरह का किरदार उन पर नहीं चलता है उनके चेहरे के भाव और बॉडी लैंग्वेज के संवादों के मुंह से अधिक प्रभाव पड़ता है चिंतित माता पिता के रूप में कनुप्रिया पंडित और नरोत्तम वैद्य ने शानदार अभिनय किया है पति के किरदार में छोटी भूमिका में योगेंद्र विक्रम सिंह अपनी छाप छोड़ जाते हैं.
लेखक व निर्देशक निखिल महत्व प्रा की तारीफ जितनी की जाए वह कम है लेकिन वह पिक्चर को आखिर तक बांधने में असफल नजर आते हैं लेकिन उनकी लेखन चिंता और निर्देशन क्षमता पर अगर कोई टिप्पणी करने की बात है तो सिर्फ यह है कि उनको एक अच्छी भूमिका के लिए कलाकारों और उनके सहयोगियों द्वारा एक ठीक प्रकार से प्रदर्शित न कर पाने का एक वर्ग हमेशा ही बना रहेगा.
यह एक शॉर्ट फिल्म के रूप में है जिसकी अवधि मात्र 15 मिनट है.
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