इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4 मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं। इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है। [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव: सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...
सूक्ष्म जीवों के अध्ययन की उपयोगिता ने आज शोधकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है क्योंकि स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का सूत्र पात्र इन्हीं सूक्ष्मजीवों के कारण होता है इनके प्रभाव इन से होने वाले नुकसान और इनके कैसे हम इनसे सफलतापूर्वक मुकाबला करें इसके लिए बकायदा शोध किए जा रहे हैं माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों की बदौलत हाल फिलहाल में कई संक्रामक बीमारियों जैसे जीका वायरस एचआईवी और स्वाइन फ्लू आदि की पहचान से लेकर का उपचार तक में कारगर कदम उठाए जा सके हैं बीते कुछ वर्षों में माइक्रोबायोलॉजी के अध्ययन में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की रुचि बढ़ी है स्थानीय स्तर पर क्षेत्र के लोगों को पर्याप्त अवसर मिले हैं..
गौरतलब है कि माइक्रोबायोलॉजी के अंतर्गत सूचना जियो जैसे प्रोटोजोआ एलजी बैक्टीरिया या वायरस का गहराई से अध्ययन किया जाता है इस विषय के जानकार लोग इस जीवाणु के जीव जगत पर अच्छे व बुरे प्रभाव को जानने की कोशिश करते हैं.
शुरुआती तैयारियां
चित्र में कदम रखने के लिए युवाओं को माइक्रोबायोलॉजी विषय से बैचलर होना जरूरी है इसके बैचलर इस तरह के विशिष्ट पाठ्यक्रमों में बायोलॉजी विषय से 12वीं पास करने वाले छात्रों को प्रवेश दिया जाता है इस क्षेत्र से संबंधित करीब दर्जनभर मास्टर स्तर के पाठ्यक्रमों में माइक्रोबायोलॉजी या लाइफ साइंस में स्नातक करने के बाद प्रवेश किया जा सकता है कई छात्र माइक्रोबायोलॉजी में मास्टर करने के बाद शोध की ओर कदम बढ़ाते हैं.
रोजगार के अवसर
घर में नई नई बीमारियों के सामने आने से आजकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट की जरूरत कई उद्योगों में पड़ रही है या उसे सरकारी व निजी दोनों क्षेत्रों में मिल रहे हैं इस क्षेत्र के जानकार दवा कंपनियों वाटर प्रोसेसिंग प्लांट चमड़ा व कागज उद्योग फूड प्रोसेसिंग फूड बेवरेज रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेक्टर बायोटेक बायोप्रोसेस संबंधी उद्योग प्रयोगशालाओं अस्पतालों होटल जन स्वास्थ्य के काम में लगे गैर सरकारी संगठनों के साथ ही अनुसंधान एवं अध्यापन के क्षेत्र में भी जा सकते हैं.
चुनौतियां एवं संभावनाएं
इस क्षेत्र में अपनी उपयोगिता बनाए रखने के लिए पेशेवरों को नियमित अध्ययन के अलावा हानिकारक जीवाणुओं का प्रभाव रोकने व पर्यावरण को दूषित होने से बचाने सरीखे चुनौतीपूर्ण कार्यों को संभालने का जज्बा होना चाहिए इस क्षेत्र के जानकारों को कारपोरेट जगत में सुनहरे अवसर तो मिलते हैं.
क्षेत्र में बुलंदी तक तभी पहुंचा जा सकता है जब खुद के अंदर कुछ नया खोज लेने का कौशल हो यानी छोटी से छोटी चीज को गहराई से पर रखते हुए किसी उद्देश्य तक पहुंचना क्षेत्र की साख और मांग है इसमें पैसे वालों के लिए काम के घंटे निर्धारित नहीं है घंटों प्रयोगशालाओं में बैठकर जुगाड़ हुआ भी सड़कों पर अध्ययन करना इनकी कार्यशैली में शामिल होता है.
इसमें निजी सेक्टर खासतौर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में सबसे अच्छा वेतन मिलता है मास्टर सिया पीजी डिप्लोमा कोर्स के बाद किसी चिकित्सा संस्थान से जुड़ने पर पैसे वालों को 40 से ₹45000 प्रति महीने मिलते हैं सोद्या अध्यापन में यही आमदनी 70 से ₹80000 प्रति माह हो जाती है.
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