Skip to main content

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

Diabetes

डायबिटीज का रोग बहुत पुराना है आयुर्वेद में इसका वर्णन ढाई हजार साल पहले लिखे गए कालजई ग्रंथ और चरक संहिता सुश्रुत संहिता में बखूबी मिलता है इन ग्रंथों में ऋषि आचार्यों ने रोग के लक्षणों को  मधुमेह की संज्ञा देते हुए इसका कारण सहित बहुत वर्णन किया है पश्चात चिकित्सा जगत में भी डायबिटीज की प्रथम व्याख्या पहली सदी ईस्वी में ही कर दी गई थी यूनान के चिकित्सक ने रोग के लक्षणों के आधार पर इसे डायबिटीज मेलिटस नाम दिया है
         
            आधुनिक आयुर्विज्ञान में इसका इतिहास बहुत पुराना है बीती सदी के दूसरे दशक से ही शोध अनुसंधान कर रहे जय वैज्ञानिक रोक की परतों को खोलने और उनके कारक तत्वों का पता लगाने रोकथाम और उपचार में काम आने वाली दवाओं को खोजने और विकसित करने के पुण्य कार्य में लगे हुए हैं उनकी इस अथक साधना का ही नतीजा है कि आज हम डायबिटीज के बहुत से रास्तों को उजागर कर चुके हैं डायबिटीज कितने प्रकार की होती है किन किन कारणों से कैसे जन्म लेती है इसके क्या क्या रोग की पुष्टि करने के क्या-क्या तरीके और उपचार के क्या क्या सूत्र हैं आज हमें यह महापूर ज्ञान प्राप्त है फल स्वरुप हम डायबिटीज के रहते हुए भी अच्छे स्वास्थ्य के साथ सुखारी जीवन जी सकते जीवन में खुशियों की सहनाई की मूर्ति रहे और पूर्वजों का जीवेम शारदा शतम आशीष सच हो सके इसके लिए डायबिटीज के साथ जीने की कला सीख लेना जरूरी है.


       डायबिटीज दुनिया के हर हिस्से में पाई जाती है देवी कुछ दशक पहले तक इसकी गिनती मूलता विकसित देशों के रोग के रूप में की जाती थी किंतु नए सर्वेक्षण अनुसंधान अध्ययन के अनुसार अभी है विकासशील देशों में भी बहुत तेजी से फैल रही है आज भारत दुनिया में डायबिटीज का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है भारत के अधिकांश महानगरों में डायबिटीज की दर करीब 13% का आंकड़ा पार कर चुकी है सबसे अधिक डायबिटीज होगी दक्षिण भारत में प्रदेश के दूसरे नगरों में भी लोग का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है सबसे चिंताजनक बात यह है कि बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं है कि डायबिटीज में डेरा डाले हुए हैं.

  डायबिटीज की डेमोग्राफी


समान रूप से होने वाली डायबिटीज किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है पर प्राय आया वयस्क होने पर ही उत्पन्न होती है विकसित देशों में यह उम्र के 50 साल के बाद शुरू होती है पर भारत में 40 से 42 की उम्र में ही डायबिटीज से ग्रस्त होने वाले लोग बड़ी संख्या में है डायबिटीज बढ़ते आर्थिक तबके के लोगों में पाई जाती है यह सोच गलत है कि ऐसी अमीर लोगों को ही होती है हां यह अवश्य है कि अमीरों में यह बड़ी संख्या में होती है लेकिन गरीबों ने भी इससे कतई मुक्ति नहीं मिलती है.


दिलचस्प बात यह है कि कुछ खास समुदाय हो जैसे पारशी साई और दक्षिण भारती हिंदुओं में व्यय अधिक आम थी किसी वर्ग विशेष में डायबिटीज के अधिक आम होने के पीछे कारण हो सकते हैं कहीं कसूर रहन-सहन और खान-पान का होता है तो कहीं जींस का एक ही परिवार में विवाह करने की परंपरा विजय नैतिक दृष्टि से नहीं है.

जेनेटिक कारणों से डायबिटीज कई परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी पाई जाती है पिता या माता में किसी एक को डायबिटीज हो तो संतान को डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है वह उम्र में शुरू होने वाली टाइप टू डायबिटीज में पिता के डायबिटीज होने पर संताने डायबिटीज की तरह 14% मार्केट डायबिटीज होने पर 19% और माता-पिता दोनों के डायबिटीज होने पर 2565 पाई जाती है भाई बहन को डायबिटीज हो तो 75% मामलों में दूसरे भाई बहन को भी डायबिटीज होती है जुड़वा भाइयों बहनों को एक को डायबिटीज हो तो 99% मामलों में दूसरे को भी डायबिटीज होती है.

       यह आंकड़े बचपन से शुरू होने वाली टाइप वन डायबिटीज से भिन्न ने उनमें पिता के डायबिटीज होने पर संतान के डायबिटिक की दर 9% मार्केट डायबिटीज होने पर 2% भाई बहन को डायबिटीज हो तो 10% और जुड़वा भाइयों और बहनों में एक को डायबिटीज हो तो दूसरे को 50% आंकी गई है.

 डायबिटीज है क्या?


डायबिटीज शरीर की अंतः स्रावी प्रणाली का रोग है इसमें हमारे शरीर की दौड़ रहे खून में शुगर की मात्रा बढ़ी हुई रहती है पर शरीर फिर भी उसका ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है यह प्रश्न है या है कि आखिर ऐसा क्यों होता है यह समझने के लिए हमें अपने शरीर की बायोकेमिस्ट्री पर नजर डालने की जरूरत है यदि हम भोजन की जैविक रासायनिक संरचना का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि उसका बहुत बड़ा हिस्सा कार्बोहाइड्रेट से बना होता है कार्बोहाइड्रेट शुगर का संयुक्त रुप है और तुम्हें पाचन क्रिया से गुजरने के बाद कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज और उस जैसी दूसरी संयुक्त शुगर में बदल जाता है शुगर के हाथों से रक्त में अवशोषित हो जाते हैं और धमनियों में दौड़ रहा है खून के साथ शरीर के हर भाग में पहुंच जाते हैं.


शरीर के अंदर सिरोही प्रणाली खून में ग्लूकोज की मात्रा को हर समय संतुलित बनाए रखती है पाचन क्रिया पूरी होने पर जब भारी मात्रा में ग्लूकोज आंखों से धमनियों में पहुंचता है तब भी अंतः स्रावी प्रणाली जिसे एक सीमा के पार नहीं जाने देती है.

ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने का यह काम इन्सुलिंस हारमोंस करता है जिसकी रचना उधर में स्थित अग्नाशय ग्रंथि से होती है अग्नाशय में खास को शिकायती होते हैं जिन्हें आईलेट ऑफ लैंगरहान कहते हैं उन में पाए जाने वाली विशेष बीटा कोशिकाओं में इंसुलिन बनता है जैसे ही खून में ग्लूकोज बढ़ता अदनान से से इंसुलिन छूट पड़ता है यह इंसुरेंस ग्लूकोस को शरीर की कोशिकाओं के भीतर भेज देता है फिर भी यदि खून में अतिरिक्त ग्लूकोज रह जाता है तो इंसुरेंस उसे ग्लाइकोजन में बदल देता है ग्लाइकोल हमारे शरीर चाइना ने यह हमारी जीवन रूपी अग्नि को प्रज्ज्वलित रखता है शरीर की असंख्य कोशिकाएं हो सभी अंग खून में घुले मिले ग्लूकोस से ही काम करने की शक्ति पाते हैं डायबिटीज में जाएगी या व्यवस्था बिगड़ जाती है या तो इंसुलिन बनाना ही बंद कर देता है या फिर उसका फीका पड़ जाता है.

प्रणाम स्वरूप कोशिकाएं रक्त से ग्लूकोज को ग्रहण नहीं कर पाती हैं लोग के अधिक बिगड़ने पर शरीर ग्लूकोज के लिए तरस रही कोशिकाओं की बेचैनी दूर करने के लिए अपने भीतर जमा प्रोटीन और वसा से ग्लूकोज बनाना शुरु कर देता है इससे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा और बढ़ जाती है और शरीर की समूची बायोकेमिस्ट्री बुरी तरह बिगड़ जाती है.


               शरीर में दौरा कर रहा खून जब गुर्दों में साफ होने के लिए पहुंचता है तो गुरुदेव बड़े हुए ग्लूकोस को शरीर में नहीं रोक पाते और ग्लूकोज मूत्र में घोलकर नष्ट होने लगता है ग्लूकोस की उपस्थिति मूत्र की कुल मात्रा को बढ़ा देती है मूत्र में ना सिर्फ पानी बल्कि शरीर के खनिज और इलेक्ट्रोलाइट्स भी व्यर्थ जाने लगते हैं मूत्र में जल की मात्रा बढ़ने से बार-बार मूत्र त्याग करना पड़ता है ना सिर्फ दिन में रात में भी मूत्र त्याग के लिए उठना पड़ता है बार-बार मूत्र त्याग करने से शरीर की जल की खपत बढ़ जाती है जिससे पूरा करने के लिए बार बार पानी पीना पड़ता है बार-बार लघुशंका होना और प्यास लगना डायबिटीज के दो प्रमुख लक्षण है.

अध्यक्ष प्रचंड डायबिटीज में ठीक इलाज ना मिलने पर देह गले लगती है सही के प्रोटीन और वसा भंडार ग्लूकोस में बदलकर खत्म होते जाते हैं शरीर दुर्बल होता जाता है और पेशियां सूख कर काटा हो जाती है बड़ी मात्रा में प्रोटीन और वसा के टूटने से शरीर में हानिकारक रसायन पैदा होने लगते हैं और शरीर की अमृता बढ़ जाती है यह अवस्था कीटूएसिडोसिस कहलाती है इसमें रोगी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है.

डायबिटीज की किस्में


डायबिटीज का प्रत्येक मामला एक जैसा नहीं होता है दरअसल उसकी कई किस्में हैं जिन्हें मोटे तौर पर चार वर्गों में बांटा गया है.

टाइप वन डायबिटीज

ऑनलाइन किया बचपन या किशोरावस्था में ही शुरू हो जाती है इसमें अग्न्याशय इंसुलिन नहीं बना पाता और होगी को जीवित रहने के लिए इंसुलिन के टीचर लेने पड़ते इंसुलिन के उपलब्ध होने इससे पहले टाइप वन डायबिटीज के रोगी अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं पर अभी इंसुलिन के टीके खानपान व संयम और नियमितता ट्री देखरेख से टाइप वन डायबिटीज होने पर भी जीवन बहुत कुछ सामान्य रूप से जिया जा सकता है.

टाइप टू डायबिटीज


डायबिटीज के 9596 परिषद हो गया मिठाई पचरंगी डायबिटीज होती है या डायबिटीज बनाया 40 वर्ष की उम्र के बाद शुरू होती है इससे ग्रस्त होने वाले होगी प्राया स्कूल काय होते हैं और उनका जीवन सारिक निष्क्रियता पर बिकता है यह टाइप वन डायबिटीज की तुलना में कम उम्र होती है और कई रोगियों को वर्षों तक इसके होने का पता नहीं चलता टाइप टू डायबिटीज में आज्ञा से इंसुलिन बनता तो है पर यह तो इतनी अल्प मात्रा में बनता है या फिर उसकी ताकत इतनी घर जाती है कि यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित नहीं रख पाता है टाइप वन डायबिटीज की तुलना में टाइप टू डायबिटीज पर नियंत्रण पाने वालों में कुछ लोगों में तो लाइफ स्टाइल सुधारने मातृशक्ति ब्लू को सामान सीमा में लौट आता है स्थान पर नियमित व्यायाम और वजन घटाने में रक्त ग्लूकोज समान हो जाता है जिन लोगों से बात नहीं बनती उन्हें डायबिटीज होती गोरिया लेने की जरूरत पड़ती है ज्यादातर लोगों में इसी से डायबिटीज नियंत्रण में आ जाती है लेकिन कभी-कभी कुछ खास परिस्थितियों में इंसुलिन केटी को की भी जरूरत पड़ती है की भी जरूरत पड़ती है.

डायबिटीज की विशिष्ट किस्में


कभी-कभी डायबिटीज किसी दूसरे लोग यार बेकार के अंश के रूप में उत्पन्न हो जाती है लंबे समय से चला आ रहा अग्नाशयशोथ अंतः स्रावी प्रणाली की व्याधियों जैसे एक रोमी गेली उसिंग सिंड्रोम क्रोमो साइड में हाइपर थायराइड इसमें कुछ दवाएं जैसे 53048 लेटिन निकोटीन एसिड थायराइड हार्मोन और इंटर फॉरेन लेने रहने से भी डायबिटीज के लक्षण प्रकट हो सकते हैं जिगर के सिर आशीष और हेपेटाइटिस में ब्लड शुगर बढ़ सकती है.


गर्भावस्था में डायबिटीज

गर्भावस्था में होने पर प्रकट होती है और बच्चों के जन्म के कुछ अब तो बस होता है छूमंतर हो जाती है इन स्त्रियों में डायबिटीज आगे कभी भी सिर उठा कर सकती है.

डायबिटीज क्यों और कैसे?


क्यों और कैसे शुरू होती है उसके होने पर इंसुलिन क्यों बनना बंद है या कम हो जाता है इंसुलिन क्यों और कैसे अपना असर गवा देता है जैसे यक्ष प्रश्न आज भी वैज्ञानिक शोध का विषय बने हुए अनुसंधान से मिले साक्षी यह दर्शाते हैं कि डायबिटीज की जाने बहु आयामी है.

वर्तमान वैज्ञानिक सोच रहा है कि डायबिटीज शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के बागी होने से उत्पन्न होती है इसमें कई करिया एक साथ मिलकर काम करती है इसकी पहली कड़ी व्यक्ति की खास जेनेटिक संरचना है जो रोग के लिए अंकुर स्थली साबित होती है वैज्ञानिक खोजों के अनुसार कुछ खास एच एल ए एन टी जनों का डायबिटीज से विशेष जुड़ा हुए इनके होने पर डायबिटीज होने की आशंका 30 गुना तक बढ़ जाती है.

         दूसरी कड़ी है कि कुछ खास वायरस जैसे मस हेपेटाइटिस इनफेक्शियस मोनोन्यूक्लियोसिस रूबेला और काशी की वायरस यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को आदमी है कि इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं पर धावा बोलने के लिए गुमराह कर देते हैं बेटा को शिकायत है इसने सो जाते हैं इंसुलिन बनना बंद हो जाता है और डायबिटीज प्रकट हो जाती है.


        डायबिटीज की जाने उलझी हुई हैं इस रोग में अग्नाशय इंसुलिन तो बनाता है पर यह तो इंसुलिन कम मात्रा में बनता है या उनकी रचना में कुछ ऐसी कमी होती है कि वह ठीक से काम नहीं करता कभी कभी समस्या बीटा कोशिकाओं के समय से इंसुलिन ना छोड़ पाने से जुड़ी होती है इस डायबिटीज की उत्पत्ति में अनुवांशिकी और मोटापा दो प्रमुख कारण तत्व है अनेक परिवारों में यह रोग वंशानुगत होता है और पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलता जाता है कभी-कभी एक पीढ़ी लोक से बच जाती है तो अगली पीढ़ी में लोग फिर उभर आता है इस डायबिटीज का मोटापे से भी गहरा जुड़ाव से ग्रसित रोगी मोटे होते हैं किंतु इसके रोगी बिल्कुल दुबले-पतले भी होते हैं.


डायबिटीज के लक्षण



डायबिटीज में मूत्र की मात्रा बढ़ने से बार-बार और अधिक मात्रा में पेशाब आता है साथ ही प्यास भी बार-बार लगती है भूख भी अधिक लगती है फिर भी वजन घट सकता है.

कुछ लोगों में आए स्पष्ट से लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं जैसे हर समय थकान बनी रहना कमजोरी महसूस करना स्वभाव के विपरीत बात-बात पर खींचना जख्म भरने में समय लगना बार बार फोड़े फुंसी होना तो चार जननांग और पेशाब में बार-बार संक्रमण होना दांत और मसूड़ों में पायरिया हो ना पिंडलियों में दर्द होना और नींद से छाई रहना कुछ मरीजों में नजर कमजोर हो ना चश्मे का नंबर बार-बार बदलने से डायबिटीज होने का संकेत मिलता है कुछ मरीजों में अंगों के सुनने हाथ पैरों में सोनिया से चलने और झनझनाहट होने से रोग होने की आशंका जागृत होती अधेड़ उम्र में पहली बार टीबी होने पर भी जांच करवा लेना अच्छा रहता है.


कब-कब स्क्रीनिंग करवाएं


कल लेने के बाद नहीं हमसे हर वर्ष स्वास्थ्य की जांच करवा लेना अच्छा रहता है इससे कई लोग समझने से पकड़ में आ जाते हैं यह स्क्रीनिंग कुछ खास है तुझे मैं बहुत जरूरी है


परिवार के दूसरे सदस्यों से माता-पिता भाई-बहन के डायबिटिक होने पर

शरीर का मोटापा होने पर

 पहली गर्भावस्था के समय ब्लड शुगर बढ़ने पर

कोलेस्ट्रॉल बिगड़ने पर

खाली पेट ब्लड शुगर में 111, 125 मिलीग्राम प्रति देसी लीटर के बीच होने पर
हर समय थकान सी बनी रहने पर बार-बार संक्रमण होने पर जख्म भरने में बहुत समय लगने पर टीवी होने पर

Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण का क्या अर्थ है ?इसकी विशेषताएं बताइए।

पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

लोकतंत्र में नागरिक समाज की भूमिका: Loktantra Mein Nagrik Samaj ki Bhumika

लोकतंत्र में नागरिकों का महत्व: लोकतंत्र में जनता स्वयं अपनी सरकार निर्वाचित करती है। इन निर्वाचनो  में देश के वयस्क लोग ही मतदान करने के अधिकारी होते हैं। यदि मतदाता योग्य व्यक्तियों को अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करता है, तो सरकार का कार्य सुचारू रूप से चलता है. एक उन्नत लोक  प्रांतीय सरकार तभी संभव है जब देश के नागरिक योग्य और इमानदार हो साथ ही वे जागरूक भी हो। क्योंकि बिना जागरूक हुए हुए महत्वपूर्ण निर्णय लेने में असमर्थ होती है।  यह आवश्यक है कि नागरिकों को अपने देश या क्षेत्र की समस्याओं को समुचित जानकारी के लिए अख़बारों , रेडियो ,टेलीविजन और सार्वजनिक सभाओं तथा अन्य साधनों से ज्ञान वृद्धि करनी चाहिए।         लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है। साथ ही दूसरों के दृष्टिकोण को सुनना और समझना जरूरी होता है. चाहे वह विरोधी दल का क्यों ना हो। अतः एक अच्छे लोकतंत्र में विरोधी दल के विचारों को सम्मान का स्थान दिया जाता है. नागरिकों को सरकार के क्रियाकलापों पर विचार विमर्श करने और उनकी नीतियों की आलोचना करने का ...