Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
यूरोप का अभिनव शहर भी आना ना तो बहुत से बदलाव देखे हैं पर आज यह यूरोप का सबसे आकर्षण और आकर्षित करने वाले शहरों में से यह है शांत वातावरण ट्रैफिक जाम से मुक्ति रेलो बसों और ट्रेनों से भरपूर यह सर कब कहां कैसे काम करता है पता ही नहीं चलता यह दिल्ली मुंबई जैसे सगन तो नहीं है फिर भी 415 वर्ग किलोमीटर फैले इस शहर में 1700000 लोग रहते हैं जो यूरोप के मानकों से ज्यादा ही हैं और फिर भी सुनियोजित और खुशनुमा है.
गर्मियों के दिनों मैं इस शहर में आराम से सूती कपड़ों में घूमा जा सकता है और पुराने नई जगहों का भरपूर मजा लिया जा सकता है.
डेन्यूब नदी के किनारे बसा शहर ऐल्प्स पर्वतों की तलहटी में है की आंखों का तारा रहा है काफी दशकों तक तो यह रोमन कैथोलिक पोपो का मुख्य शहर रहा है 1918 के बाद यहां जो समाजवादी सोच आई उसने शहर का रंग रुप ही बदल डाला.
एक आम पर्यटक को भी आना कि सोशल हाउसिंग का आभास नहीं होगा पर कैप्टन ईजम और सोशलिज्म का यह अनूठा मिश्रण है जिसमें शहर की बहुत बड़ी आबादी केवल 10% एक सुविधाजनक घर बना सकती है.
1918 के आसपास जब भी आना की बागडोर सोशल डेमोक्रेट्स के हाथों में आई तो उन्होंने शहर भर में रास्ते पर अच्छे मकान बनाने शुरू कर दिए और आज 62% लोग इन्हीं मकानों में रहते हैं किसी भी सूरत में यह ना तो दिल्ली की डीडीए के फ्लैट लगते हैं और ना ही मुंबई की चालें और ना ही अहमदाबाद की बस्तियां जिनको अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से से छिपाने के लिए नरेंद्र मोदी ने दीवारें बनाई थी.
आधुनिक आधुनिकता का प्रतीक
अमेरिका में देशभर में मुश्किल से 1% लोग हाउसिंग मकानों में रहते हैं भारत में तो यहां परंपरा कभी जन्म ही नहीं यूरोप के कुछ शहरों में है पर इतनी सस्ती और अच्छी कहीं नहीं यह पर्यटक को चाहे ना भाई पर भी आना की खूबसूरती और शांति का असर राज्य सोशल हाउसिंग ही है.
सोशल हाउसिंग यूरोपीय स्टैंडर्ड के गरीबों और मध्यवर्गीय दोनों के लिए इसका काफी खर्च तो किराए से ही निकलता है पर काफी पैसा इनकम टैक्स कारपोरेट टैक्स आदि से आता है पर उसका लाभ टैक्स देने वालों को तुरंत मिलता है क्योंकि कम किराए की वजह से भी आना दुनिया की टैलेंट को आकर्षित करता है आज भी जब शहर की आबादी पर निबंध सी हो गई है 13000 घर हर साल बनाए जा रहे हैं और पुराने मकानों की लगातार मरम्मत की जा रही है.
वियाना की सोशल हाउसिंग दूसरे शहरों की तरह घटिया कोनों में नहीं यह शहर भर में फैली है हर बिल्डिंग कांपलेक्स पर एक नाम है जो बताता है यह मकान सोशल हाउसिंग के हैं वरना तो इनके रंग उड़े हुए हैं ना ही गंदे कपड़े खिड़कियों पर नजर आते हैं.
साफ सड़कें पक्के रास्ते हरे बाग पेड़ इन कंपलेक्स को जिंदा बनाते हैं अब तो नए आर्किटेक्चर प्रयोग हो रहा है और रंग-बिरंगे मकान मॉडर्न आर्ट को साकार करते हैं..
ज्यादातर कांपलेक्स में 1918 से 1934 के बीच फर्स्ट रिपब्लिक के दौरान बने थे एक बड़ा गेट हुआ करता था जैसा हमारे यहां हवेलियां या छोटे किलो में होता है अंदर हर मकानों में जाने के लिए जीने और बच्चों के खेलने के लिए खेल पार्क वाह रे भरे मैदान कार्ल मार्क्स ऑफ इन कंपलेक्स में बड़ी मात्रा है और इनमें 1305 अपार्टमेंट है.
सोशल हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन अपनी उम्र के बावजूद चुस्त और दुरुस्त दिखते हैं उनको अपने शहर की इस उपलब्धि पर गर्व है आखिर वही तो यूरोप के सबसे बड़ी भवन निर्माता कंपनी भी आना हाउसिंग बोर्ड के कर्ताधर्ता होते हैं आज भी वह अगले कई सालों की योजनाएं बना रहे हैं और शहर में खाली हो रही जगहों को सोशल हाउसिंग के लिए अपना रहे हैं.
सबसे बड़ा आकर्षण के केंद्र
1840 और 1918 के बीच भी आना की आबादी बढ़कर 5 गुना हो गई थी और गरीबों की पूरी हालत थी वे आड़े तिरछे बने डब्बे नुमा मकानों में रहने को मजबूर थे हालांकि उनकी हालत तभी हमारे आज की मुंबई के धारावी और दिल्ली के गाजीपुर से अच्छी वाली थी पर वह सोशलिज्म की लहर पहुंच चुकी थी जो गरीब और अमीर दोनों प्रथम 1934 तक 348 जगह 65000 फ्लैट बना दिए गए और जिनमें से कुछ में आज भी लोग आराम से रह रहे हैं अब उस सोशल हाउसिंग में नए डिजाइन छोटे परिवार बच्चों का खासा ख्याल रखना जरूरी है मकान किराए पर ही मिलते हैं पर हमारे विकास प्राधिकरणों के मकानों की तरह कमजोर व घटिया नहीं है किराया कम है जहां पर इस किराए पर एक आम जन आय का 46% खर्चा करती है म्युनिख जर्मनी में से वहीं आस्ट्रेलिया के इस वियाना 21% ही खर्च करता है प्रति खर्च करता है.
सोशल हाउसिंग के लिए आजकल केवल 1% या कर लिया जाता है अब इसमें इसी फार्मूले पर प्राइवेट कंपनियों को भी मकान बनाने की अनुमति है.
वियाना सिटी हॉल
1883 बनाया हॉल आज भी दफ्तरों से भरा पड़ा है पर उससे ना तो हमारे नगर निगम के दफ्तरों से चहल-पहल हैं ना ही सिगरेट होते हुए लोगों की साफ-सुथरे कॉरिडोर से अभिनय मॉडर्न ऑफिसों में जाया जा सकता है एक कमाल यह है की पुरानी समय में बनाई गई एक लिफ्ट द्वारा जा सकता है सबसे कमाल बाद इस लिफ्ट की यह है कि यह लेफ्ट हमेशा चलती रहती है और जिस में दरवाजे नहीं है एक तरफ से ऊपर जाती है तो दूसरी तरफ से नीचे आती है.
वियना में घूमना बहुत आसान है ब से आराम दे हैं और मेट्रो और बस में एक बार सिटी का टूरिस्ट टिकट लेकर अपना बिना चेकिंग कराई टिकट की अवधि में घूम सकते हैं टिकट बार-बार ना दिखाना पड़ता है ना स्मार्ट मशीनों में डालना होता है.
भारतीय पाठकों को यदि का भारतीय खाना खाने की इच्छा हो तो इंडिया गेट इंडिया विलेज जयपुर पैलेस को नूरमहल इंडीज चमचम जैसी जगहों पर जा सकते हैं.
रिहाना के जाने-माने होटलों में पांच सितारा होटल होटलों में एक प्रसिद्ध इंपीरियल होटल है अमेरिका के मैरियट चीन का हिस्सा बन चुके इंपीरियल होटल का इतिहास काफी पुराना है खानदान के लिए बनाए गए इस घर को 18 73 में भी आना में हुई विश्व प्रदर्शनी के लिए होटल में बदल दिया गया था अंदर से इसमें भारतीय राज्य महलों का आभास होता है और कुछ कमरे देने सीधे हैं पर बेहद सुविधाजनक और चमचमाते हैं हां उनके ब्रेकफास्ट का मैन्यू काफी छोटा है भारतीय होटल जो इसी श्रेणी के बहुत अच्छा ब्रेकफास्ट देते हैं।
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