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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

Packing karke doguna munafaa kamaye

रहन-सहन में बदलाव ग्राहकों की पसंद खरीदना इस्तेमाल में आसानी के चलते खाने-पीने की पैकेट बंद चीजों का चलन दुनियाभर में बहुत तेजी से बढ़ रहा है बाजार के ताजा रुझान की खोजबीन में लगी संस्था यूरोमोनिटर इंटरनेशनल के मुताबिक पैकेट बंद चीजों का कारोबार तकरीबन 17 फ़ीसदी की दर से बढ़ रहा है अब 500000 करोड रुपए सालाना हो गया है.

                पैकेट बंद यानी पैकेजिंग करना उपज की कीमतों को बढ़ाने का अच्छा सा आसान तरीका इसकी तकनीक सीकर किसान गांव में ही इकाई लगाकर फल सब्जी मसाले व अनाज वगैरह की पैकेजिंग कर सकते हैं.

                         कुछ अपराधों को छोड़ दें तो ज्यादातर किसान अपनी उपज मंडी में ले जाकर थोक में बसते हैं लेकिन किसी भी फसल की बहू तैयार होने पर किसानों को मुनाफा मिलना तो दूर उस की वाजिब कीमत भी नसीब नहीं होती है यह किसानों की सबसे बड़ी समस्या है.

               इस समस्या से निपटने के लिए किसानों को खेती से एक कदम आगे बढ़कर मार्केटिंग के लिए गुण सीखने होंगे और उपज की कीमत बढ़ाने के लिए तरीके अपनाने होंगे.
        
                  ऐसा करना मुश्किल है नामुमकिन नहीं आए शुरू में यह काम सीख कर शुरुआती तौर पर कुल उपज के थोड़े से हिस्से से शुरू कर के वे धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है.

             कई बार लागत व मेहनत मिट्टी में मिलती देख गुस्साए किसान अपने आलू प्याज व टमाटर वगैरह को औने पौने दामों में बेचकर पीछा छुड़ाते हैं या उन्हें सड़कों पर यूं ही भेज देते हैं इससे नेताओं अफसरों के कानों पर तो कभी कोई जो नहीं रेंगती लेकिन किसानों को बहुत नुकसान होता है इसलिए सरकार के भरोसे रह कर कुछ होने वाला नहीं है.

 तकनीकी से तरक्की की ओर


अब जमाना नई तकनीक का है वह हर रोज नई मशीनों के इस्तेमाल करने का है इनकी मदद से खेती के नुस्कान को फायदे में बदलना कोई मुश्किल काम नहीं है जरूरत है अपना पुराना नजरिया बदल कर इस रास्ते पर पहल करने कि ऐसे बहुत ही उद्यमी है जो दलहन तिलहन फल सब्जी व मसाले वगैरा हो कि पैकेट बंदी करके बेचने में कामयाब हुए हैं अपना कारोबार बढ़ाकर खासी कमाई कर रहे हैं.

            गौरतलब है कि आम कार्यवाही तो बाजार से कच्चा माल खरीदकर पैक करते हैं तब उस पर मुनाफा कमाते हैं लेकिन किसानों के पास कच्चा माल अपना होता है इसलिए उन्हें लागत कम रहने से फायदे की गुंजाइश ज्यादा होती है अगर किसान मार्केटिंग के गुण अपनाएं तो इतना माल के लिए बाजार तलाशने हुआ उसमें पैर जमाना मुश्किल यह नामुमकिन नहीं है.

               दूसरी और पैकेट बंद की जो की कीमतें कई गुना बढ़ जाती है मसलन कई शहरों की थोक सब्जी मंडी में बाघ बानो को 10 किलोग्राम हरा धनिया के एक गट्ठर की कीमत बमुश्किल से 40 से ₹50 मिलती है जबकि यही धनिया मूंगा मोल या किसी बड़े स्टोर में पैक हो कर के ₹10 का 100 ग्राम यानी ₹100 किलो तक में आसानी से बिक जाता है.

         पैकेजिंग के बिजनेस के होनहार और मा हीरो का कहना है कि 10 इंच लंबी और 6 इंच चौड़ी पॉलिथीन में 50 ग्राम हरा धनिया की डंडी रखकर अगर लाइनों में 12 छेद कर दिए जाएं तो उसे ठंडक में आसानी से हफ्ते भर तक रखा जा सकता है ऊपर से मुंह चिपकाने वाली ऐसी थैली अब आसानी से बाजारों में मिल जाती है बस किसानों को नए खुल रहे बड़े बड़े बाजारों में जाकर के पैकेजिंग के तरीके देखने और सीखने होंगे.

           पैकेट बंदी करने का सबसे सस्ता हुआ आसान उपाय है पॉलीबैग हालांकि कई राज्यों में पॉलिथीन पर पाबंदी है लेकिन पैक्ट ताकतों के इस्तेमाल पर छूट है.

             पहले मोमबत्ती की लौ से गर्म करके पन्नी की थैलियों का मुंह बंद कर दिया जाता था फिर बिजली से चलने वाला हॉट प्लेट आई स्टेप लकी पिन लगी अब तो हर साइज की तैयार थैलियां मिलती है जिनके मुंह पर लगी छोटी सी महीन परत हटाने के बाद उन्हें चिपकाकर आसानी से बंद किया जा सकता है.

           1 बड़े शहर के टोंक में खजूर खरीदकर उन्हें ढाई सौ ग्राम के पैकेट में बंद कर फल वालों कान फैंड्री वालों का किराना कार्य वालों को सप्लाई करना शुरू किया धीरे-धीरे उसका यह धंधा चल निकला तो उसने खजूर की गुठली निकाल कर उसमें एक काजू रख दिया इससे उसकी बिक्री दोगुनी हो गई इसलिए इस धंधे में उसने अपने भाइयों को भी लगा लिया ऐसी प्रक्रिया है और भी कई छोटे-छोटे दुकानदारों ने यह हुनर सीख लिया है जिसकी वजह से उनकी महीने की आमदनी अच्छी खासी हो रही है.

             इसी तरह से एक दूसरे व्यक्ति ने एक चीनी मिल से गन्ने के मेले को तैयार जैविक खाद के बोरे खरीदे उनमें से ढाई सौ ग्राम से 500 ग्राम 1 किलो ग्राम व दो किलो ग्राम के पैकेट बनाए हुए नक्सलियों को सप्लाई किया और नौकरों से कालोनियों में आवाज लगाकर भी को आया तो चौगुनी कीमत मिली ऐसे में एक-दो नहीं बल्कि बहुत से लोग हैं जो पैकेट बंदी के काम में था अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.


                 सावधानियां क्या बरतनी चाहिए?


      ज्यादातर ग्राहक बाजार में मौजूद खाने-पीने की चीजों में मिलावट की समस्या से परेशान है मुंह मांगी कीमत देने के बावजूद भी शुद्धता की गारंटी नहीं मिलती है इसलिए पैकेट बंदी में सबसे पहला वह जरूरी कदम है ग्रेडिंग यानी छटाई व सफाई ताकि माल खाली सुषमा क्वालिटी का और धूल मिट्टी वाकणकर रहे तुम साथ ही उसकी पैकेजिंग अच्छी हो व कीमत भी वाजिब होने से बाजार में सांप जल्दी वह अच्छी बन जाती है ग्राहकों का भरोसा बढ़ने पर माल की कीमत भी अच्छी मिलती है.

          बाजार में पैकेट बंद चीजों की मांग लगातार बढ़ रही है शहरों में खुल रहे बड़े बड़े मॉल में ज्यादातर चीजें पैकेट बंद बिकती हैं सब्जी मंडी व खेलों पर बिकने वाली मशरूम मटर के दाने वह अंकुरित अनाज वगैरा के पैकेट कहीं भी देखे जा सकते हैं इसलिए किसान अपने मोटे अनाज साबुत या होने पर सेवाकर सब्जी फल व मसाले वगैरा पैकेट में बंद करके भेज सकते हैं.

              अब पैकेजिंग तकनीक में इतने ज्यादा सुधार और बदलाव हुए हैं कि तीन लकड़ी वर्क गत्ते की भारी पैकेजिंग अब बीते जमाने की बात हो गई अब ऊपर प्लीज सिरे से बंद होने वाली पॉलिपैक छोटे-बड़े पाउच थरमोकोल की हल्की प्लेट वह उस पर चिपकी महीन पॉलीफिल्म जैसी सब लेते वाली किफायती पैकेजिंग के तरीके ज्यादा अपनाए जाने लगे हैं पैकेट बंदी शुरू करने से पहले यह तय करना जरूरी है क्या मैं किस चीज की पैकेजिंग करनी है उत्पाद तरल ठोस दानेदार या पाउडर किस किस का है प्रति पीस कितने वजन की पैकेजिंग करनी है इसे कोई इकाई बाजार तक पहुंचाने के लिए किस तरह के डब्बे में रखना होगा कि वह महफूज रहा है और आसानी से पहुंचा जा सके खाने-पीने की चीजों की पैकेट बंदी करने में इस बात की खास सावधानी बरतनी है कि अंदर रखी चीजें रंग वगैरा की वजह से खराब ना हो.

जानकारियां


 खाने पीने की चीजें तैयार करने में उन्हें टिकाऊ बनाने से लेकर पैक करने तक के बारे में तकनीकी जानकारी केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान यानी सीएफटीआरआई मैसूर कर्नाटक से हासिल की जा सकती है.

                    इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैकेजिंग सरकारी संस्था है यह उद्यमियों की जरूरत के मुताबिक बेहतर पैकेजिंग करने की ट्रेनिंग तक नहीं की मशीनों की जानकारी व राय मशवरा की सहूलियत मुहैया कराती है पैकेट बंदी करने के लिए इच्छुक किसान व उद्यमी संस्था के फोन नंबर 91 22 2821 9803 पर जानकारी हासिल कर सकते हैं.

           बाजार


   किसी भी माल को खपाने व उसकी वाजिब कीमत पाने के लिए बाजार की जरूरत पड़ती है राहत की बात यह है कि खाने-पीने की चीजों का खुद रावत थोक बाजार ज्यादातर इलाकों में पसरा हुआ है बशर्ते अपने उत्पाद का कोई ब्रांड नेम रखने ताकि उसकी अलग पहचान बन सके शहरी इलाकों में लगी इकाइयों को जिला उद्योग केंद्र व गवाही इलाकों में इकाइयों को बाजार दिलाने में राज्यों के ग्राम उद्योग बोर्ड मदद करते हैं.

   किसान खुद का बिक्री केंद्र खोल करके भी अपने बच्चों को रोजगार का मौका दे सकते हैं आसपास के शहरों में खुले मॉल डिपार्टमेंट स्टोर सुपर बाजार थोक व खुदरा दुकानदारों से बीसी देवा संपर्क कर सकते हैं.

   उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश राजस्थान वगैरा राज्यों में कृषि उपज की मार्केटिंग के लिए हर तहसील लेवल पर सरकारी क्रय विक्रय समिति यहां वह बहुत से सरकारी उपभोक्ता संघ भी काम कर रहे हैं इसलिए उनका भी फायदा उठाया जा सकता है.



टेक्नोलॉजी का भी कर सकते हैं इस्तेमाल


लगने वाली सप्ताहिक पैट मेला प्रदर्शनी में स्टाल लगाकर अपना प्रचार व बिक्री कर सकते हैं शहरी कालोनियों में रिक्शा ठेला पर घूम-घूम कर कमीशन बेस पर घरेलू सामान बेचने वाले हैं गैरों की मदद ली जा सकती है अब तो व्हाट्सएप वगैरह सोशल मीडिया पर घरेलू चीजों की होम डिलीवरी करने वाले ग्रुप भी बन गए हैं

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