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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

मोबाइल श्रेडर और अनार farming

इस काम में काफी मेहनत और खर्चा भी होता है इस फसल अवशेषों का प्रबंध कृषि यंत्रों से किया जाए तो फसल कटाई के बाद फसलों की जड़े खेत में रह जाती हैं जिन्हें खेत में मिलाना या उखाड़ना मुश्किल काम होता है किसान के लिए यह काम आसान हो जाता है.

एक कृषि यंत्र बनाने वाली कंपनी का कहना है कि खेत में फसल के डंठल का सफाया करने के लिए प्रति एकड़ 4 एकड़ जनशक्ति की जरूरत पड़ती है खेत की फसल के डंठल को बाहर खींचने काटने जमा करने और सुखाने व जलाने का काम बड़ा ही मुश्किल है और समय लेने वाला होता है साथ ही यह तरीका ईदन संसाधनों को बर्बाद करने वाला भी है.

इसला सकते हैं. आपा ट्रॉली में इकट्ठा कर सकते हैं इनाम के रूप में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
 काम को आसान बनाने वाला कृषि यंत्र मोबाइल क्रिएटर है ते हुए डंठल फसल अवशेष खेत में फैला कर मि
इस मोबाइल श्रेडर से इन कृषि अवशेषों से पेपर लकड़ी को औद्योगिक इकाइयों में भी उपयोग में लाया जा सकता है

या मोबाइल श्रेडर यंत्र फसल में जड़ों को बारीक काटकर खेत में फैलाने में सच्चा में नष्ट किए गए फसल अवशेषों से खेत में ही जैविक खाद बनाई जा सकती है जिससे खेत की मिट्टी में सुधार होता है मिट्टी में नमी बनी रहती है और खेत में घास फूस खरपतवार कोई भी रोकथाम होती है.

इस मोबाइल श्रेडर यंत्र को 40 पावर वाले ट्रैक्टर के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है जो 1 घंटे में 1 एकड़ खेत को कवर कर सकता है. हॉर्स


अनार की खेती

अनार में ताकत का भरपूर खजाना है अनार की कोई चीज ऐसी नहीं जो बेकार जाती है इसके दाने छिलके और जड़ वगैरह सभी चीजें काम में आती हैं अनारसे है तो और ज्यादा आमदनी देने वाला फल है भारत में इसकी खेती बहुत कम किसानों के द्वारा की जाती है.

देश के ज्यादातर हिस्सों में यह किचन गार्डन में ही उगाया जाता है इसके फूल सुंदर लाल रंग के होते हैं इसलिए इसे सजावटी पौधे के रूप में भी उगाया जाता है.

अनार पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर जायकेदार फल है इसका रस खट्टा मीठा ठंडक देने वाला होता है गर्मियों में अनार का शरबत बहुत ही जायकेदार और ताजगी भरा होता है.

इसके अलावा अनार से जली भी बनाई जाती है और इसके रस को महफूज रखा जा सकता है इस के छिलकों का इस्तेमाल कपड़ों की रंगाई में भी किया जाता है

जंगली अनार का बाग सभी जगहों पर आसानी से तैयार किया जा सकता है बढ़िया क्वालिटी वाले फलों के लिए ठंडे और गर्म दोनों मौसमों की जरूरत होती है जाड़े के मौसम में सामान्य ठंडक वह गर्मियों के दिनों में गर्म वस्तु की आबोहवा इसकी बागवानी के लिए बढ़िया मानिए गई है इसी वजह से राजस्थान गुजरात व महाराष्ट्र के अनार बढ़िया क्वालिटी वाले होते हैं.

फलों के विकास के लिए 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान अच्छा होता है मीठे और जायकेदार फलों के लिए गर्म आबोहवा अच्छी होती है फलों के पकने के समय पर साथिया अब हवा में नमी होने से फलों की क्वालिटी में कमी आती है ना बाबू हवा वाले इलाकों में पौधों की बढ़त ज्यादा और फल कुछ कम मीठे होते हैं.

अनार की अच्छी बढ़त वा ज्यादा पैदावार के लिए जल निकासी वाली बालवीर2 मडवा गहरी दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है लकी मिट्टी में फलों का रंग क्वालिटी और मिठास अच्छी होती है.

अनार के पेड़ जमीन के नमकीन पन के प्रति सहनशील होते हैं कार वाली मिट्टी में इसकी बागवानी की जा सकती है अच्छी देखभाल के साथ इसकी बागवानी पहाड़ियों की तलहटी में भी की जा सकती है लेकिन मिट्टी में 1 मीटर की गहराई तक कोई सख्त परत ना हो तो नहीं तो जड़ों पर बुरा असर पड़ता है.

पौधों को तैयार किस प्रकार से करते हैं?


अनार की पौधे कलम अंगूठी से तैयार की जाती है कलम अगुठी से तैयार पौधे द्वारा तैयार पौधों के मुकाबले जल्दी फल देने लगते हैं किसानों को चाहिए कि जिस टाइनी से कलम तैयार करें उसकी उम्र 6 महीने से ज्यादा हो लेकिन 18 महीने से कम हो अगर टाइम नहीं हो की कमी है तो पौधों के तनों से निकलने वाली जड़ों यानी छोटे फोटो को भी कलम बनाने के लिए उसका उपयोग किया जा सकता है.

दक्षिण भारत में तकरीबन 20 25 सेंटीमीटर लंबी कलम मानसून के मौसम में और उत्तरी भारत में मानसून है फरवरी-मार्च महीने में नर्सरी में लगा दी जाती है कला में लगी पत्तियों को काटकर अलग कर ले कलम के अच्छे जमाव के लिए इंडोल ब्यूटीरिकम लेकर 5000 पीपीएम के घोल में डुबोकर लगाएं इससे जड़ें आसानी से निकलती है तकरीबन 2 हफ्तों बाद कल मुंह में जड़े निकलनी शुरू हो जाती है और 9 महीने में कल में रोपाई लायक हो जाती है लेकिन एक 2 साल पुरानी कल में रोपाई के लिए ज्यादा अच्छी मानी जाती हैं.

भारत के ज्यादातर हिस्सों में 20 द्वारा पौधे तैयार किए जाते हैं लेकिन इन पौधों से बढ़िया क्वालिटी वाले फल हासिल नहीं हो पाते हैं और कम पैदावार मिलती है इसके लिए अगस्त सितंबर महीने में पके हुए फलों से बीज निकालकर क्यारियों में वो जाते हैं जब पौधे और 10 महीने के हो जाते हैं तो वे रोपन लायक हो जाते हैं.

अनार के पौधे गूटी से भी तैयार किए जाते हैं इसमें गोटी बांधने की जगह पर लेने नींद पेस्ट के साथ आई बी ए के 10000 पीपीएम वाले गोल से पौध तैयार करते हैं गूटी बांधने का काम बरसात के मौसम में किया जाता है.

पौधे लगाने का उचित समय


तैयार की गई पौधों को लगाने का सही समय बरसात का मौसम है लेकिन सिंचाई की सहूलियत होने पर फरवरी महीने में भी पौधे लगाए जा सकते हैं.

पौधे लगाने से 1 महीने पहले 3000 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोदे जिनकी लंबाई चौड़ाई व गहराई 60 सेंटीमीटर हो इन गड्ढों को 10 से 20 दिन धूप में खुला छोड़ने के बाद मिट्टी में 15 20 किलोग्राम गोबर की खाद और 100 ग्राम कुलीना पास मिलाकर गड्ढे को भर दे बारिश शुरू होने पर जुलाई महीने में कूदकर गड्ढों में पौधे लगाकर सिंचाई कर देनी चाहिए रोपाई के 10 15 दिन बाद हर 3 दिन के अंतर पर सिंचाई करें.

रोपाई के वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर ज्यादा पैदावार हासिल कर सकते हैं इसमें पौधे की शुरू में 10 मीटर की दूरी को निकालकर 4 मीटर तक कर ली जाती है जैसे जैसे पौधों की तादाद बढ़ाई जाती है वैसे वैसे पैदावार भी बढ़ती जाती है जबकि फसल की क्वालिटी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है.


सिंचाई की प्रक्रिया


पौधे लगाने के बाद सिंचाई करनी चाहिए अनार सूखे के प्रति सहनशील होते हैं फिर भी पौधों को हर रोज पानी लेने की जरूरत होती है जब तक वह अच्छी तरह से चढ़ना पकड़ने फूल लगने पर सिंचाई नहीं करनी चाहिए फल के लगने से लेकर पकने तक नी में सिंचाई की जरूरत होती है इसलिए बरसात के मौसम को छोड़ बाकी समझ 10 से 12 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए नहीं तो फल झड़ने फल छोटे रहने और फल खराब होने की समस्या पैदा हो सकती है.

अनार के बाग को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए समस्या पर निराई गुड़ाई करनी जरूरी होती है गुड़ाई असली करनी चाहिए जिससे पौधों की जड़ों को नुकसान ना पहुंचे.

खाद की मात्रा मिट्टी आबोहवा के संभव पौधों की उम्र पर निर्भर करती है 1 साल के पौधे में तकरीबन 10 किलोग्राम गोबर की खाद सौ ग्राम नाइट्रोजन ढाई सौ ग्राम फास्फोरस और ढाई सौ ग्राम पोटाश दे पौधे के फैलाव के नीचे एक 1 मीटर के दायरे में 15 सेंटीमीटर की गहराई पर खाद को अच्छी तरह से मिट्टी में मिलाना चाहिए.

काट छांट करने की प्रक्रिया


अनार के पौधे झाड़ी की तरह बढ़ते हैं पुराने समय में एक तने वाला पौधा होता था लेकिन आजकल बहुत तकनीक का चलन हो जाने के कारण किसी भी वजह से एकता ना खत्म हो जाए तो दूसरे तने में फल मिलते रहते हैं अनार में तना छेदक कीट का हमला होता है एक पल ना होने की दशा में किले के हमले से कभी-कभी पूरा पानी खत्म हो जाता है इसलिए एक पौधे में चार से पांच तने रखते हुए सफाई करना फायदेमंद होता है इन दलों पर चारों तरफ फैली हुई 34 टहनी प्रति तन्हा छोड़ कर बाकी को हटा देना चाहिए पहली कहनी जमीन से 60 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर होनी चाहिए.

अनार को तोड़ने की प्रक्रिया


अनार के पेड़ों में साल में तीन बार बुलाते हैं कारोबारी नजरिए से केवल एक बार पढ़ लेना ठीक होता है जुलाई महीने में आने वाले फल को लेना चाहिए क्योंकि यह बारिश के पानी पर आधारित होती है इसलिए ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है इसे मेरा के बाहर कहते हैं इस बहार को लेने के लिए प्राणों की दिसंबर से लेकर अप्रैल महीने तक सिंचाई नहीं करनी चाहिए इससे मार्च महीने तक पत्तियां झड़ जाती है और पौधा मई महीने तक इसके बाद बगीचे की जुताई कर खा दी जाती है.

इसके बाद अगर बारिश नहीं होती है तब एक-दो हल्की सिंचाई करनी चाहिए ऐसा करने से पौधे में जून जुलाई महीने में फूल आते हैं आप जिस महीने में बहार लेनी है उसके लिए दो-तीन महीने पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए पौधे लगाने के 3 साल बाद पेड़ फल देता है फुलाने के पंजे महीने बाद फल तोड़ने लायक हो जाते हैं जब फल पकने लगते हैं तब उनका छिलका भूले हल्के पीले रंग का और कभी-कभी गुलाबी रंग का हो जाता है उस समय फल को तोड़ना चाहिए.

10 साल की उम्र के पेड़ के तकरीबन 10 20 किलोग्राम फल मिलते हैं 25 साल तक पेड़ों में फल मिलते हैं थोड़ा ही के बाद खराब फलों को हटाकर अच्छे फूलों को बांस की छोकरिया लकड़ी के बॉक्स में रखते हैं इन डिब्बों में 10 से 20 फल और सूखी घास बिछा कर रखते हैं अनार की स्टोरेज को बहुत अच्छी होती है फलों को 4 सेंटी डिग्री तापमान और 80 से 85 भेज देना मैं पर 2 महीने तक महफूज रखा जा सकता है.


फलों का फटना


का फटना एक आम बात है इससे फलों का फंगस और बैक्टीरिया पर हमला बढ़ता है यह शिकायत मिट्टी में नमी हवा के तापमान नमी में बदलाव और सूत है के बाद अचानक भारी सिंचाई के चलते होती है जब फल छोटे होते हैं तो बोरोनिया कैल्शियम बगैरा की कमी के चलते अनियमित सिंचाई या अनियमित बारिश और तापमान के उतार-चढ़ाव होने पर फल पढ़ते हैं इसको रोकने के लिए 0.2 फ़ीसदी बोरेक्स का छिड़काव करना चाहिए.


कीट व रोगों की रोकथाम


मक्खियां फल छेदक अनार का यह कीट शुरू करता है माधव तितली छोटे बालों पर अंडे देती है इसके बाद इल्ली अंडों से निकलकर फलों में गुजराती और बीजों को खाती है फिर छोटा सा छेद कर लकीर बाहर निकल जाता है इससे फलों में बैक्टीरिया वापर बूंदी का हमला हो जाता है फल्स करने लगते हैं और गिर जाते हैं या पकने से पहले सूखने लगते हैं इसकी रोकथाम के लिए बीमार फलों को खत्म कर दें और पूरी बनते समय कार बोरिया पास था मीटर दवा का छिड़काव करें विकसित या बड़े फलों को पनिया कपड़े की थैली से ढकने से किया जा सकता है.

अनार के रस का इस्तेमाल स्किन की बीमारी को दूर करने के लिए किया जाता है अनार खाने से पेट की बीमारियों से निजात मिलती है और यह खून साफ करने का काम करता है अनार का शरबत पेशाब की जलन को मिटाता है इसके छिलके को पानी से लेने से ज्यादा पेशाब की समस्या कम हो जाती है नाक से खून आने पर नसों में अनार का रस डालना फायदेमंद रहता है बच्चों में पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए अनार के छिलकों को पानी में उबालकर पिलाया जाता है इसकी जड़ों के कड़े में अलकोला ऐड होता है जो फीता कर्मी को खत्म करने के लिए बहुत असरदार होता है दांतों से खून बंद करने के लिए फूलों के सूखे पाउडर का मंजन करना अच्छा होता है दिल्ली और यकृत की कमजोरी उल्टी और दस्त पेट के दर्द यह सभी परेशानियां अनार खाने से ठीक हो जाती है अनार खट्टा और मीठा होने से पाचन ताकत को बढ़ाता है और भूख को बढ़ाता है

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