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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

आस्ट्रेलिया मे आग बढने के कारण

दक्षिण पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के जंगल भीषण आग की चपेट में है.6 सितंबर 2019 को सबसे पहले न्यू साउथ वेल्स के पास आग भड़की यहां से शुरू हुई है दवाई अभी तक जारी है ऑस्ट्रेलिया में इस बार लगी आग आमतौर पर लगने वाली जंगल की आग से ज्यादा भीषण इन जंगलों के आसपास 260 किलोमीटर का इलाका खाली करा दिया गया है क्योंकि हवा के झोंकों के साथ आग लगातार फैलती जा रही है कभी लगता है कि एक इलाके में आग पर काबू पाने में सफलता मिल रही है तो दूसरे इलाके में आग भड़क उठती है.


             ऑस्ट्रेलिया में लगभग हर वर्ष जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं और इसे पुष्ट फायर सीजन के तौर पर जाना जाता है लेकिन इस वर्ष आग ना केवल बुश फायर सीजन से पहले शुरू हो गई बल्कि पिछले वर्षों के मुकाबले अधिक भीषण भी है आंख से पुरे एरिया का तापमान लगभग 2 से 2.5 सिम सेल्सियस तक बढ़ गया और आसमान में धुंध छाई हुई है शिरीनी की हवा सितंबर दिसंबर 2018 के मुकाबले 11 गुना ज्यादा खतरनाक है.


ऑस्ट्रेलिया में जैव विविधता

इकलौता देश है जो अपने आप में एक देश भी है और एक महाद्वीप भी हालांकि अधिकांश ऑस्ट्रेलिया अर्ध शुष्क मरुस्थल है इसमें अल्पाइन झाड़ियों से लेकर उसने देसी एवरशार्प राजुर वन के विभिन्न आवासीय श्रेणी है और इसे बहू विविधता वाला देश माना गया है आस्ट्रेलिया विश्व के 17 बड़े जय विविधता वाले देशों में से एक है महाद्वीप के इतने पुराने होने के कारण इसके अत्यधिक अस्थिर मौसम नमूने और इसकी लंबी अवधि का भौगोलिक ऑस्ट्रेलिया का और भिन्न-भिन्न प्रकार का है.


             लगभग 85% फूल पौधे 84% स्तनपाई 45 से ज्यादा चिड़िया और 89% जलचर समशीतोष्ण क्षेत्र की मछलियां यहां मौजूद है.755 जातियों के साथ ऑस्ट्रेलिया में किसी भी देश से ज्यादा सर प्राण सील जंतु है इस क्षेत्र के अंतर्गत ऑस्ट्रेलिया के कई पारिस्थितिकी क्षेत्र और जातियां मनुष्य के क्रियाकलापों और नई किस्म के पौधों और जानवरों के कारण खतरे में है संघीय वातावरण सुरक्षा और जैव विविधता संरक्षण कानून 1 999 खतरे में पड़े प्रजातियों के संरक्षण का एक कानूनी ढांचा है अनूठे पारितंत्र की सुरक्षा और उसे बचाने के लिए राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य योजना के अंतर्गत ईमित्र सुरक्षा क्षेत्र बनाए गए हैं.

64 आद्रता युक्त भूमि को रामसर समझौते के अंतर्गत पंजीकृत किया गया है और 16 विश्व विरासत स्थल निर्मित किए गए हैं आस्ट्रेलिया को 2005 के विश्व पर्यावरण निरंतरता सूचकांक में 13वां स्थान हासिल है ऑस्ट्रेलियाई जंगलों में बहुधा विविन किसके नीलगिरी क्रश है और ज्यादातर उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में स्थित है हाल के वर्षो में जलवायु परिवर्तन ऑस्ट्रेलिया का बड़ा चिंता का विषय बन गया है साथ में कई ऑस्ट्रेलिया यू का मानना है कि पर्यावरण की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मसला है अभी जिसका सामना कर रहा स्ट्रेलिया को कंगारुओं का देश कहा जाता है क्योंकि यहां पर इंसानों से ज्यादा आबादी कंगारुओं की है. ऑस्ट्रेलिया में कंगारुओं की कई प्रजातियां है इनमें से लाल कंगारू देश का राष्ट्रीय पशु है.


ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग को देश के इतिहास की सबसे भयानक आग माना जा रहा है ऑस्ट्रेलिया में विनाशकारी आग में अब तक 28 लोगों की जान ले ली है और 25 सौ से अधिक घरों को नष्ट कर दिया है और जंगलों एवं खेतों को बोल कार्य के आकार का बना दिया है 1 अरब से अधिक जानवरों के मारे जाने का अनुमान है और देश के कुछ अद्वितीय वनस्पतियों और पारिस्थितिक तंत्रों को जलाकर भस्म कर दिया है ऑस्ट्रेलिया में आग लगने से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यू साउथ वेल्स है यहां लगभग 50 लाख हेक्टेयर इलाके में आग लग चुकी है और 13 घर तबाह हो गए हैं विक्टोरिया राज्य में 800000 हेक्टेयर जमीन आग में जल चुकी है ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया राज्य में लगी आग का स्वरूप कितना भयावह है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 4 महीने के भीतर 63 लाख हेक्टेयर और नेशनल पार्क हो चुके हैं इंग्लैंड जितना बड़ा इलाका है इससे पहले कि इतनी बड़ी घटना कभी नहीं हुई है. आग इतनी भीषण है कि इसका असर 2000 किलोमीटर दूर पड़ोसी देश न्यूजीलैंड पर भी देखने को मिल रहा है आज से निकल लेते हुए की वजह से न्यूजीलैंड के ऑकलैंड हैमिल्टन वार को हुआ था और कई को वे शहरों में अंधेरा छाया हुआ है इन शहरों में आसमान का रंग दिन में तीन बार बदलता है और कभी-कभी नारंगी हो जाता है तो कभी घने पूरे रंग का तो कभी हल्के रंग का वैसे हमें यह समझने की जरूरत भी है कि यह भयावह आग केवल आस्ट्रेलिया का मसला ही नहीं यह पूरी दुनिया के लिए बड़ी चेतावनी है.


 विविधता से होने वाली हानियां

जंगल की आग में सबसे अधिक हानियां जानवरों और विभिन्न पक्षियों की प्रजातियों को हुआ है. पौधों की लंबी सूची जैसे आर्केड की खास प्रजाति है जो छोटे-छोटे इलाकों में ही केवल पाए जाते हैं आग से खत्म हो गए हैं सिडनी यूनिवर्सिटी का प्रारंभिक अनुमान है कि इस आग में जंगलों और नेशनल पार्क में रहने वाले 50 करोड़ से ज्यादा वन्य प्राणियों को नष्ट कर दिया है आंख का सबसे बुरा प्रभाव को आला पर पड़ा है न्यू साउथ वेल्स के मध्य उत्तरी इलाके में सबसे अधिक कोयला रहते हैं खासकर यह प्रजाति का ग्वाला आखिरी दुर्लभ प्राणी है और न्यू साउथ वेल्स से 80000 वाला आग में जलकर खाक हो गए है यह आंकड़े और भी बढ़ सकते हैं ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में कभी कभी इनकी संख्या बहुत अधिक हुआ करती थी लेकिन बीसवीं शताब्दी में दक्षिण आस्ट्रेलिया में ज्यादातर कॉल मार दिए गए बाद में जब लगा कि यह प्रजाति ही खत्म हो रही है तो इन्हें संरक्षित करने का अभियान शुरू हुआ इन जंगलों में बड़ी संख्या में कंगारू भिजलेले मौका और आस्था में शहरों की तरफ भागे लेकर पहुंचते भी तो इतने जल गए क्यों नहीं पचा पाना मुश्किल था कि आप जैसे कम नजर आने वाले जंतुओं का भी आकर चलते सफाया हो जाने की आशंका है.


इंसानों पर भी पड़ा इस का असर

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग से जय विविधता का नमस्कार इंसान पर कई तरीके से असर होता है ऐसी प्रजातियां खत्म हुई जो केवल ऑस्ट्रेलिया में ही पाई जाती थी इनके खत्म होने के मतलब है कि वैश्विक नुकसान क्योंकि यह प्रजातियां दुनिया में और कहीं पाई ही नहीं जाती थी प्राकृतिक में इनका योगदान था परिस्थितियों पर इसका बुरा असर पड़ेगा जंगलों के आसपास रहने वाले लोग भी ऐसा के शिकार हुए और हजारों लोग आग से बचने के लिए समुद्री तटों की ओर भाग गये लेकिन दर्जनों लोग मारे भी गए हजारों मकान नष्ट हो गए आस्ट्रेलिया के शहरों में भी लोग धोखे से परेशान हैं सैकड़ों किलोमीटर तक आकाश धुएं से भर गया है यहां तक की राजधानी कैनबरा में तेजी से फैल रहा है आज पड़ोसी देश न्यूजीलैंड तक पहुंच चुका है वहां के आसमान में नारंगी रंग के ज्यादातर हिस्सों को ढक लिया है और पूरी तरह सफेद नजर आने वाला हिम्न आफ भूरे रंग का दिखने लगा है जंगलों में लगी आग ने नवारा के पास उत्तरी किनारे पर खुद की मौसम प्रणाली विकसित कर ली है जो कि खतरे की घंटी है यह आगे बढ़े क्षेत्र में फैली है कि इसकी वजह से बड़े-बड़े बादल बन रहे हैं जिनसे बिजली कड़क रही है यह पूरे मौसम को बदल देने वाली घटना है आमतौर पर ज्वालामुखी फटने से ऐसा होता है.

 जलवायु परिवर्तन का ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग से संबंध

जलवायु परिवर्तन की वजह से दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में गर्मी बढ़ती जा रही है और नमी खत्म हो रही है तापमान में भी परिवर्तन हो रहा है तमाम जगहों पर अत्यधिक ठंड या अत्यधिक गर्म मौसम के साथ सूखा और अचानक बारिश से हालात भी देखने में आए हैं 2019 में ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा गर्मी और सूखा मौसम रिकॉर्ड किया गया था 2018 में सूखा भी पड़ा है जो कि 2019 में भी कायम रहा है इस वजह से जंगलों में आग आसानी से लगी इन सब की भविष्यवाणी 2008 में ही कर दी गई थी उसी समय अनुमान लगाया गया था कि 2020 के आसपास जंगलों में भीषण आग लग सकती है.


आखिर में आग कैसे लगी और इतनी विकराल कैसे हो गई?

ऑस्ट्रेलिया में झाड़ियों और सूखी घास में आग की घटनाएं होती रहती हैं लेकिन मौजूदा आपात स्थिति के पीछे वजह तापमान में रिकॉर्ड पर होती है और गंभीर सूखे को माना जा रहा है हर वर्ष गर्मियों के दौरान जंगलों में आग लगती है गर्मियों के दौरान जंगलों में सूखे पेड़ों की संख्या बढ़ जाती है बिजली गिरने आसपास में सूखी लकड़ियां रगड़ने से आग लग जाती है जो फैलती जाती है आमतौर पर बारिश होने से या जंगल के किसी के लिए तक पहुंचने पर ही आग शांत हो पाती है लेकिन आस्ट्रेलिया के मामले में ऐसा नहीं हुआ दरअसल आंख तो कई बार इंसानी हरकतों से भी लगती और बहुत बार प्राकृतिक घटनाएं भी इसके लिए जिम्मेदार होती हैं कहीं सूखी झाड़ियों पर यदि आकाशीय बिजली गिर जाए तो आग लग जाती है कि आग जंगल की कहीं भीतर होती है इसलिए शुरू में इस पर ध्यान नहीं जाता है हवा इस आग को दूसरे इलाकों में भी फैला देती है अब होता है कि आज कुछ ज्यादा फैल जाए तो इससे बचने या इससे बनने वाला दुआ बादलों में एकत्रित हो जाता है इसे आकाशी बिजली गिरने की स्थिति पैदा होती है या फिर दूसरी जगह आग लगा देती है एक इलाके में एक जगह आग लगी हुई थी ऐसी स्थिति में दमकल कर्मियों का आज तक पहुंच पाना भी मुश्किल हो जाता है माना जाता है कि ऑस्ट्रेलिया में यही स्थिति बनी है तो आग को फैलने का और मौका मिल रहा है वैसे भी ऑस्ट्रेलिया पिछले साल में औसत तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है दिसंबर 2019 के अंतिम सप्ताह में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास था वैसे भी जंगलों में लगी आग आसपास की हवा को इतना गर्म कर देती है कि वहां और आग भड़कने की पूरी गुंजाइश रहती है. आप यदि कुछ इलाकों तक भर्ती हो तो पानी का हवाई छिड़काव कारगर हो सकता है लेकिन जब आग विकराल हो तो वह पानी को 8:00 तक पहुंचने से पहले ही वास बना देती है सितंबर 2019 में लगी आग पर 4 महीने बाद जनवरी में भी काबू नहीं पाया जा सका है.

100 साल के इतिहास में 2019 सबसे गर्म वर्ष

ऑस्ट्रेलिया के 100 साल के इतिहास में 2019 सबसे गर्म वर्ष रहा मौसम विभाग ने इसकी पुष्टि की है विभाग ने जब से रिकॉर्ड मापना शुरू किया तब से लेकर अब तक 2019 सबसे गर्म वर्ष रहा बता दें कि विभाग ने 1910 में यह रिकॉर्ड मापना शुरू किया था आस्ट्रेलिया ने दिसंबर 2019 में दो बार अपने तापमान का रिकॉर्ड तोड़ा है 17 दिसंबर 2019 को औसत अधिकतम तापमान 40 पॉइंट 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया इसके अगले दिन तापमान 41 पॉइंट 9 डिग्री सेल्सियस था 2 दिन 2013 के 40 पॉइंट 3 डिग्री सेल्सियस तापमान का रिकॉर्ड टूटा है दिसंबर 2019 के अंत तक हर राज्य में 40 डिग्री से ऊपर तापमान दर्ज किया गया इसमें तस्मानिया राज्य भी शामिल है जो आमतौर पर इलाकों के मुकाबले ठंडा रहता है.

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