सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं। भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...
बत्तख पालन का रोजगार अंडे एवं मांस के लिए किया जाता है इसमें बहुत ही कम खर्च पर अच्छी आमदनी हासिल की जा सकती है इस काम को किसान खेती पशुपालन वह घर के काम करने के साथ-साथ आसानी से कर सकते हैं.
मुर्गियों के मुकाबले बदक मुर्गियों के मुकाबले बदक ज्यादा अंडे देती है बदक के अंडे मुर्गियों के अंडे से बड़े होते हैं का वजन 70 से 75 ग्राम होता ह इनमें बीमारियों से लड़ने की ै लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है.
अंडे देने वाली बदक की नस्लों में खाकी कैंप बल इंडियन रनर नागेश्वरी वाइट बीच डेट आदि सम्मिलित है इनमें खाकी कैंपबेल अंडे देने के नजरिए से सबसे अच्छी नस्ल है.
मांस के लिए पाली जाने वाली नसों में बफ और पिंकर्टन वाइट पैकिंग रुई बगैरा है.
बदक को क्या खिलाना चाहिए? बदक का क्या दाना होना चाहिए?
बदक पानी में मौजूद छोटे-छोटे कीड़े व कीचड़ में केंचुए घोघा बगैर आसानी से खा ले अपनी है.
इसके अलावा उन्हें अलग-अलग विटामिंस व मिनरल्स देने चाहिए जिससे पोषक तत्वों की कमी की वजह से कोई बीमारी ना हो और वे ज्यादा से ज्यादा अंडे व मीट दे सकें.
बत्तख के रहने का निवास स्थान का प्रबंध
सही पानी मिले इसके लिए तालाब नदी नाले झील पोखरा के पास ही इनका पालन पोषण करना चाहिए करना चाहिए. दिन के समय बदक को घर से बाहर निकाल देना चाहिए जिससे वह पूरे टाइम पर घूम फिर कर पानी वगैरह में पैर करके रंजन और खेलकूद करने के बाद वह वापस घर वापस आ जानी चाहिए दिन में बदक का घर पानी रात में सूखी जगह होता है.
सूखी जमीन को 3 फुट ऊंचाई के जाली नुमा तार से गिर देता की बदक घर के अंदर ही रहे.
बदक में क्या-क्या बीमारियां हो सकती हैं
बदक को में बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होने से यह कम बीमार पड़ती हैं. फिर भी इनमें कुछ बीमारियां हो जाती है कुछ बीमारियां हो जाती हैं जिनसे उनको बचा कर रखना चाहिए.
डक प्लेग:
इस बीमारी के दौरान बतख की आंख नाक से पानी आना पंख झूल जाना सांस लेने में तकलीफ हरा पीला दस्त होना बगैरा परेशानियां होती हैं।
इस बीमारी से बचाव के लिए बतख को मे समय पर टीका लगवाना चाहिए पहला टीका 2हफ्ते पर दूसरा टीका ढाई हफ्ते पर और तीसरा टीका छठे हफ्ते पर लगाना चाहिए फिर हर 6 महीने में एक प्लेग का टीका लगवा दे रहे।
डक हेपेटाइटिस
यह बीमारी दो हफ्तों के चूजे को ज्यादा अपनी गिरफ्त में लेती है बीमारी चूजे दाना खाना बंद कर देते हैं उनकी गर्दन मुड़ जाती है वह बीमारी ज्यादा बढ़ने पर उनकी मौत हो जाती है इस बीमारी से बचाव के लिए समय पर टीका लगाना चाहिए.
रानीखेत
यह बीमारी भी बदक के चूजे पर ज्यादा हमला करती हैं. जवान बदक अंडे देना कम कर देती है बचाव के लिए समय पर टीका लगवाएं.
चेचक
इस बीमारी के दौरान के दौरान सिर आंख सोच के आसपास छोटी-छोटी फुंसियां निकल आती है इस बीमारी से पदकों को बचाने के लिए समय पर डपॉक्स का टीका लगवाएं.
ऑर्थोसिस
इस बीमारी में सबसे ज्यादा 3 हफ्ते की बदक बीमार होती है आंखों से पानी अंधापन व दस्त होने लगते हैं इस बीमारी के इलाज के लिए एंटीबायोटिक क्लोरो ट्रेक्टर राइस इन पीपीएम की दवा देने में मिला करते हैं.
फाउल का कालरा
यह बीमारी चार हफ्तों के बदक को भी बीमार करती है इस बीमारी के चलते पंखों का सिकुड़ जाना शरीर का तापमान बढ़ जाना दस्त होना घुटना भूल जाना जाना जैसे लक्षण पैदा होते हैं।
फाउल कालरा बीमारी से बदक को बचाने के लिए सेलफोन माई माई डेम एंटीबायोटिक क्लोरो टेट्रा साइन 5 पीपीएम की दवा दाना या पानी मिला कर दें साथ ही टीका लगाते रहे पहला टीका दो-तीन महीने बाद दूसरा टीका पहले टीकेके एक दो महीने बाद फिर हर 6 महीने में टीका लगाते रहे।
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