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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

Indian first lady Doctor Aanandi gopal joshi

जिस जमाने में महिलाओं के लिए स्कूल तक की पढ़ाई करना बेहद मुश्किल हुआ करता था ऐसी निकली जिन्होंने न केवल स्कूल की पढ़ाई पूरी की बल्कि देश विदेश जाकर के डॉक्टर की डिग्री भी हासिल की और भारत की पहली डॉक्टर महिला बनी.

हमारे देश में ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने कुछ ऐसा महान कर दिखाया है जिसका नाम आज भी इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से लिखा जाता है क्योंकि उन्होंने हमारे देश को अपने कारनामे से गर्व महसूस कराया है महिलाओं को कुछ कर दिखाने की इच्छा जताई है आज हम ऐसी महिला के बारे में बात करेंगे जिसने अपनी हिम्मत और हौसले से भारत की पहली महिला डॉक्टर बन कर दिखाया अब आप सोच रहे होंगे वह महान महिला आखिर कौन थी तो आपको बता दें उस महिला का नाम आनंदी गोपाल जोशी है जिन्हें आनंदीबाई जोशी के नाम से भी जाना जाता है.

आनंदीबाई जोशी का जन्म 31 मार्च 18 सो 65 को महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुआ था नंदी बाई का विवाह सिर्फ 9 साल की उम्र में करवा दिया गया था इसके बाद जब वह 14 साल की हुई तो उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया 10 दिन बाद ही उसकी मौत हो गई इस घटना के घटने के बाद से ही आनंदीबाई सदमे में चली गई और उस मुश्किल भरी घड़ी में उन्होंने सोचा कि वह डॉक्टर बनेगी क्योंकि जब उनके बच्चे की तबीयत खराब हुई थी तो उसे देखने वाला कोई डॉक्टर वहां मौजूद नहीं था यानी उनके आस पास ऐसा कोई डॉक्टर नहीं था जो उसका इलाज कर सके यही बात आनंदीबाई को असहनीय साबित हुई और उन्होंने ठान लिया कि वह डॉक्टर बनकर रहेंगे.

पति बने प्रेरणा स्रोत


आनंदीबाई के पति गोपाल राव ने भी उन्हें डॉक्टर की पढ़ाई करने के लिए काफी प्रोत्साहित किया 1880 में जब आनंदीबाई के डॉक्टर की पढ़ाई करने की बात चल रही थी तो आनंदीबाई की तबीयत थोड़ी खराब थी आनंदीबाई का स्वास्थ्य कमजोर हो रहा था उन्हें कमजोरी सिर दर्द कभी बुखार और कभी-कभी सांस लेने में भी दिक्कत होती रहती थी.

कमजोर स्वास्थ्य के बावजूद आनंदी बाई के पति गोपालराव ने उन्हें अमेरिका भेजने का फैसला दिया क्योंकि वह चाहते थे कि आनंदीबाई उच्च शिक्षा प्राप्त करके दूसरी महिलाओं के लिए एक उदाहरण बन सके.

आनंदीबाई 18 सो 86 में डॉक्टर बनकर वापस आई जिसमें उनके पति गोपाल राव ने उनका बहुत साथ दिया था.

हालांकि दुख की बात यह है जब वह भारत में उठी तो उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और सिर्फ आई साल की उम्र में टीवी जैसी खतरनाक बीमारी की वजह से उनकी मृत्यु हो गई यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्य डाक्टरी की डिग्री हासिल की थी उसमें वह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई लेकिन उन्होंने समाज में वह स्थान प्राप्त कर लिया जो आज भी एक मिसाल है आनंदी गोपाल ने समाज की रूढ़िवादी बेड़ियों को तोड़कर स्त्री सशक्तिकरण की एक नई इबारत लिखी जिसे देश दुनिया में पहचान मिली और इस वजह से आनंदी गोपाल जोशी को भारत की पहली डॉक्टर महिला होने के रूप में जाना जाता है.

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