Skip to main content

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

जेनेटिक कोड

कॉब्रिज की कैवेंडिस  प्रयोगशाला के 24 वर्षीय वैज्ञानिक डॉक्टर जेम्स वाटसन और 36 वर्षीय ब्रिटेन के वैज्ञानिक डॉ फ्रांसिस क्रिक ने 2 अप्रैल 1953 को डीएनए की संरचना को रेखांकित किया था. प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका दी नेचर के संपादक को 900 शब्दों में लिखे गए संक्षिप्त पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया कि डीएनए एक दुई कुण्डलीनुम्मा  रचना है. बाद में डीएनए जैविक जगत का सर्वाधिक चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया। डॉक्टर वाटसन और डॉक्टर क्रिक इस खोज के लिए 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस पुरस्कार में उनके एक और सहभागी  लंदन किंग्स कॉलेज के डॉक्टर मॉरिस विकिलसन थे. जिन्हें डीएनए अणु का एक्सरे चित्र खींचने में सफलता मिली। पृथ्वी पर मानव जीवन के इतिहास में यह खोज महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि जीवन की मूलभूत इकाई न्यूक्लिक एसिड पृथ्वी पर अरबों वर्षों से विद्यमान था.




            दो कुंडलियों की संरचना वास्तव में जीवन का कुंडला कार सोपान है. यह तो कुंडला कार सोपान ग्लूकोज और फास्फेट के होते हैं और इस सोपान के स्तंभ नाइट्रोजन छार के होते हैं जिन्हें प्युरींस एवं  पायरीमिडिन्स कहते है ये छार  हाइड्रोजन बॉण्ड  से बंधित होते हैं. प्यूरिन  एडिनाइन से जुड़ा बनाते हैं इस प्रकार के विशिष्ट रासायनिक टैब पर आधारित अक्षरों के जोड़े इंगित करते हैं कि अगर इन्हें एक श्रंखला का क्रम दिया जाए तो दूसरी संख्या का क्रम सोता ही निश्चित किया जा सकता है डीएनए की पुनरावृत्ति के दौरान जो कि सभी जीवित प्राणियों के विकास और पुनर्जीवन की मूलभूत प्रक्रिया है डीएनए के दो तंतु कुछ अकुन दलित हो कर दो अलग पट्टियों में हो जाते हैं और प्रत्येक पट्टी के सम्मुख नए तंतु कुछ बन जाते हैं जो विद्यमान के संपूरक होते हैं डीएनए की पुनरावृति प्रक्रिया के द्वारा यदि किसी से वितरित या परिवर्तन आ जाते हैं तो यह आने वाली पीढ़ियों में भी स्थानांतरित होते रहते हैं


डीएनए की रचना के प्रकाश में आने से रासायनिक संदर्भ में जीन  के क्रियाकलापों को समझने का मार्ग प्रशस्त हुआ. डीएनए के द्वीप कुंडली नुमा मॉडल ने जैव रासायनिक विज्ञान में क्रांति ला दी और जैव रसायन अनुवांशिकी व दवाओं के क्षेत्र में  आश्चर्यजनक विकास हुआ.

जेनेटिक कोड

प्रजनन के माध्यम से मां-बाप के विशेष गुण उनकी संतानों में पहुंचते हैं यह गुण  माता-पिता और उनकी संतानों में विशेष प्रोटीन संरचनाओं द्वारा सुनिश्चित किए जाते हैं हालांकि माता-पिता विभिन्न निर्गुण निर्धारित करने वाले इनको टीमों को संतानों में नहीं भेजते बल्कि उनके द्वारा प्रदत्त डीएनए का कोटि बाद संदेश जो कि आनुवांशिक अन्य कार्य संपन्न करता है.

    डीएनए के न्यूक्लियोटाइड छार में जो एक विशेष क्रम में डीएनए में स्थित होते हैं जीवो की अनुवांशिक सूचनाएं संग्रहित रहती हैं यह विशिष्ट रूप से पंक्ति पद अमीनो अम्लों की लंबी पंक्तियों के रूप में स्थित प्रोटीन की विशिष्ट भाषा में कूट बंद किए जाते हैं. प्रोटीन की विशेषताएं अमीनो अम्लों की व्यवस्थाओं के अनुसार एक क्रम में रहती हैं और इन क्र मों का निर्धारण डीएनए में स्थित न्यूक्लियोटाइड द्वारा होता है. आरएन और अन्य एंजाइम प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जी न की कार्य विधियों की जैव रासायनिक प्रकृति डीएनए आरएनए और कुपोषण के प्रोटीन ओं की सहभागिता को रेखांकित करती है। वाटसन और क्रीक  के कार्य को डॉ हरगोविंद खुराना डॉक्टर नीरेनबर्ग और डॉक्टर हरली ने आगे बढ़ाया 1960 में इन्होंने कोर्स किया रसायन शास्त्र को विभिन्न संदर्भों में डीएनए द्वारा नियंत्रण की भूमिका का खुलासा किया। 


माता-पिता से उत्तराधिकार में जिन ज़ीनो  का हम प्राप्त करते हैं वह हमारे अनुवांशिक विशेषताओं का निर्धारण करते हैं उत्तराधिकार में प्राप्त विभिन्न विश्लेषकों के लिए विभिन्न जीन उत्तरदाई होते हैं इस मामले में प्रत्येक जी ने उन दिनों से अलग स्वाधीन रूप से कार्य करता है किसी विशिष्ट विशेषक हेतु जीन गुणसूत्रों में विशेष स्थानों पर पाए जाते हैं गुणसूत्र धागे के समान होते हैं और वह कोशिका के नाभिक में पाए जाते हैं वे सदैव जोड़ने में होते हैं गुणसूत्रों की संख्या इस पेज के अनुसार भिन्न भिन्न होती है उदाहरण फल मक्खी में कुल मिलाकर 4 + 8 गुणसूत्र हरी मटर में 7 जोड़े कुल 14 चुहिया में 20 जोड़े और मानव में 23 + 46 गुणसूत्र होते हैं ना भी दो प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल और ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक अम्ल सूत्र में केंद्रित होता है जबकि आने में स्थित होता है यह दोनों नाभिक में होते हैं



कोशिका के प्रधान प्रकारों में से एक प्रकार प्रोटीन का भी निर्माण करना है मानव शरीर को विभिन्न प्रकार के हजारों को टीमों की आवश्यकता होती है इन सभी का निर्माण 20 अमीनो अम्ल से होता है प्रत्येक जीनिया डीएनए में विशिष्ट प्रोटीन का निर्माण करने हेतु अनुदेश होते हैं यह अनुदेश न्यूक्लियोटाइड के नियम लिस्ट अनुक्रम में कूट संकेत में होते हैं चौंकाने वाली है किसी प्रोटीन के निर्माण के समय कोर्ट में दिए गए अनुक्रम में अमीनो अम्ल आपस में जुड़ जाते हैं और उस विशेष प्रोटीन का संश्लेषण हो जाता है प्रत्येक कोशिका इस पेज के पूर्व व्यास का निर्माण करने की सामग्री और जानकारी से परिपूर्ण होती है



यदि किसी जीव के किसी अंग से कोई जीवित कोशिका उपलब्ध हो तो उस जीव का निर्माण संभव है यदि क्लोनिंग है क्लोनिंग या एक कुंजल अलैंगिक प्रजनन है इनमें संतान उत्पन्न करने के लिए नर और मादा के सम्मेलन की जरूरत नहीं होती है किंतु क्लोनिंग में नर से ली गई कोशिका के अंदर पैदा करेगी और मादा की कोशिका मादा इस कमी का प्रतिकार स्तर से हो जाता है कि संतान दाता की प्रतिकृति होगी

जीन क्लोनिंग

स्तर पर तथा आण्विक स्तर पर हमारा शरीर किस प्रकार काम करता है यह समझने में डीएनए की रचना की खोज से सहायता मिली है इससे रोगाणु के प्रतिरोध की आवश्यक क्षमता मनुष्य में पढ़ सकती मलेरिया कोड इनफ्लुएंजा तथा एड्स तक की रोकथाम के लिए विशेष प्रकार के वैक्सीन आज बाजार में उपलब्ध है बैक्टीरिया जैसी कोशिका में किसी अन्य डीएनए के छोटे तंत्र को प्रविष्ट करा देने पर उस तंत्र को कई गुना बढ़ाने की प्रक्रिया जिन्होंने इस प्रक्रिया के अनुसार इंसुलिन तथा कई प्रकार के अन्य दवाएं बनाने योग्य की सृष्टि करने की क्षमता आज विज्ञान में औद्योगिक तथा दवाएं बनाने वाली कई संस्थाएं इस कारण से विकसित हुई है जिनका करके उसे मिश्रित वाले जीव बनाए गए विज्ञान की बहुत बड़ी उपलब्धि है

डीएनए की अंगुली छाप

जीनों की पहचान में डीएनए एक सहायक है यह जीवो के कूट संकेत की जानकारी हमें देता है अर्थात हर एक जीव को अलग पहचानने का आधिकारिक तथा विश्वसनीय तरीका है एक व्यक्ति में असाधारण रूप से दिखाई देने वाली अनुवांशिक लक्षणों की पहचान के लिए अंगुली छाप विद्या का प्रयोग होता है दो अलग-अलग व्यक्तियों की के डीएनए का पार्श्व चित्र एक प्रकार का नहीं होता 1985 में डॉक्टर अलग जफरी नामक वैज्ञानिक ने इस विद्या को विकसित किया करीब 2 वर्षों के बाद ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में इसको वैज्ञानिक स्वीकृति मिली 1988 में डॉ बीके कश्यप ने भारत में सर्वप्रथम इसकी कानूनी स्वीकृति के लिए सिद्ध करने के लिए 1989 में केरल के एक प्रसिद्ध मुकदमे में यह रीति सफल मद्रास हाईकोर्ट में इस तकनीक को अपनाया गया


सैद्धांतिक रूप से डीएनए एक अंगुली छाप तकनीकी सरल जान पड़ने पर भी प्रयोग में बहुत चतुर है अपराध संबंधी बातों में डीएनए अंगुली छाप बहुत ही संवेदनशील तकनीक है लेकिन शोध कार्य तथा बीमारी के निर्णय में आरपीएलएस विश्लेषण बहुत ही साधारण तौर पर इस्तेमाल किया जाता है डीएनए परीक्षण में प्राप्त एक्स किरण फिल्म को ऑटो रेडियोग्राफ कहते हैं उनमें समूह में दिखाई पड़ने वाले भागों को डीएनए छाप कहते हैं यदि दोनों के एनटीआर की लंबाई एक समान है तो वह एक ही व्यक्ति से प्राप्त है इस प्रकार अधिकारी नमूनों के विश्लेषण से सही निर्णय पर पहुंचा जा सकता है
.

जीन चिकित्सा
अनुवांशिकी इंजीनियरिंग की एक शाखा है जीन चिकित्सा हेतु व्यक्ति की सफेद रक्त कोशिकाओं को शरीर से निकालकर उपचारित चीजों से युक्त कोशिका उसके शरीर में प्रविष्ट कराई जाती है इसमें व्यक्ति के शरीर से श्वेत रक्त कोशिकाओं को अलग कर उन्हें सामान्य जनों को प्रविष्ट कर आते हैं निरोग अथवा बीमारी से मुक्त कोशिकाओं को व्यक्ति के शरीर में वापस सन्नी विष्ट करते हैं किसी विशेष जिनके अभाव वाली बीमारियों में 19 जनों को प्रदान करने का सिद्धांत इस समय मौजूद है कोशिका के केंद्र में जिनको प्रविष्ट करा देना जीन चिकित्सा की प्रथम प्रक्रिया है इस हेतु किसानों का इस्तेमाल किया जाता है विषयों के कारणों को हटाकर आवश्यक जीन लगाकर मानव कोशिका में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं विषाणु द्वारा कोशिका में प्रवेश करने तथा अपने साथ लाए गए अनुवांशिक पदार्थ को कोशिका के प्रतिष्ठित की प्रक्रिया संपन्न हो जाती है आ गए हैं अब तो जीने की बीमारियों के बारे में किया जा सकता है अब तो जीन कोर्ट से गर्भ में ही बच्चे की बीमारियों के बारे में जानकर उनका निदान किया जा सकता  है। 

Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण का क्या अर्थ है ?इसकी विशेषताएं बताइए।

पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

लोकतंत्र में नागरिक समाज की भूमिका: Loktantra Mein Nagrik Samaj ki Bhumika

लोकतंत्र में नागरिकों का महत्व: लोकतंत्र में जनता स्वयं अपनी सरकार निर्वाचित करती है। इन निर्वाचनो  में देश के वयस्क लोग ही मतदान करने के अधिकारी होते हैं। यदि मतदाता योग्य व्यक्तियों को अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करता है, तो सरकार का कार्य सुचारू रूप से चलता है. एक उन्नत लोक  प्रांतीय सरकार तभी संभव है जब देश के नागरिक योग्य और इमानदार हो साथ ही वे जागरूक भी हो। क्योंकि बिना जागरूक हुए हुए महत्वपूर्ण निर्णय लेने में असमर्थ होती है।  यह आवश्यक है कि नागरिकों को अपने देश या क्षेत्र की समस्याओं को समुचित जानकारी के लिए अख़बारों , रेडियो ,टेलीविजन और सार्वजनिक सभाओं तथा अन्य साधनों से ज्ञान वृद्धि करनी चाहिए।         लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है। साथ ही दूसरों के दृष्टिकोण को सुनना और समझना जरूरी होता है. चाहे वह विरोधी दल का क्यों ना हो। अतः एक अच्छे लोकतंत्र में विरोधी दल के विचारों को सम्मान का स्थान दिया जाता है. नागरिकों को सरकार के क्रियाकलापों पर विचार विमर्श करने और उनकी नीतियों की आलोचना करने का ...