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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

भारतीय भाषाओं का विकास succession of indian language

प्राचीन भारतीय साहित्य आम धारणा की अवज्ञा करता है कि यह वेदों  और उपनिषदों आदि  पवित्र ग्रंथों तक ही सीमित था। प्राकृत में साहित्य की भरमार है। जय धार्मिक लक्ष्यार्थ से अंसलग्न यथार्थवाद और नैतिक मूल्यों से भरा है। प्राचीन काल की रचनाओं का सबसे लोकप्रिय समूह वेद है। यह धार्मिक अनुष्ठानों के साथ ही दैनिक स्थितियों में उपयोग किए जाने वाले  पवित्र ग्रंथ हैं।

लेकिन साथ ही इस खंड में इस अवधि के दौरान प्राचीन काल की दो प्रमुख भाषाओं संस्कृत और प्राकृत मे रचित महाकाव्य और गीत आत्मक रचनाओं का भी समावेश है।

वेद


वेद शब्द  ज्ञान का प्रतीक है तुम्हें पृथ्वी और उससे परे अपने समस्त जीवन का संचालन करने हेतु मनुष्य को ज्ञान उपलब्ध है कराने के विषय में है। इसमें काव्यात्मक शैली में लिखा गया है और इनकी भाषा प्रतीक और मित्थको से भरी है। प्रारंभ में वेद ब्राह्मण परिवार की पीढ़ियों द्वारा मौखिक रूप से प्रदान किए जाते थे लेकिन इतिहासकारों द्वारा ही अनुमान लगाया जाता है कि3000 ईसा पूर्व 1000 ईसा के आसपास इन्हें संकलित किया गया। हिंदू परंपरा में इन्हें पवित्र माना जाता है क्योंकि इनकी उत्पत्ति देवी से  है जिन्हें सदैव मनुष्यों का मार्गदर्शन करने के लिए देवताओं द्वारा विहित किया गया है। हमारे जीवन पर इनका बड़ा प्रभाव है क्योंकि यह ब्रह्मांड और उसके निवासियों को एक बड़े परिवार का हिस्सा मानते हैं तथा वासुदेव कुटुंबकम का उपदेश देते हैं।


ऋग्वेद य ऋग्वेद जुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद चार प्रमुख वेद है। इन्हें मुख्य रूप से ऋषि कहलाने वाले उन वैदिक ऋषियों और कवियों द्वारा लिखा गया है जो ब्रह्मांड के रहस्यों की कल्पना करते थे और उन्हें संस्कृत कविता के रूप में लिख देते थे। सभी वेदों को यज्ञ को प्रमुखता दी गई है। ब्राह्मण उपनिषद और प्रत्येक वेदों  के साथ जुड़े हुए हैं।

ऋग्वेद


अन्य चारों में ऋग्वेद सबसे पुराना वर्तमान भेद है 1028 अलग-अलग संस्कृत सूक्त है। इसे किसी भी भारोपीय भाषा में पहली व्यापक रचना कहा जाता है जो हमारे अवलोकन के लिए बची हुई है। इतिहासकारों का तर्क है कि इसे 12 00 से 900  ईसा पूर्व के आसपास संकलित किया गया है । इस वेद का ध्यान सांसारिक समृद्धि और प्राकृतिक सुंदरता पर केंद्रित है। यह ग्रंथ अलग-अलग काल और लंबाई के 10 पुस्तकों में संगठित है जिन्हें मंडलों के रूप में जाना जाता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक मंडल में कई सूक्तियां श्लोक सम्मिलित होते हैं। यह समानता यज्ञ के प्रयोजनों के लिए है।

अधिकांश श्लोक  जीवन मृत्यु सृष्टि बंधन और दैवीय आनंद या सोम की आकांक्षा पर केंद्रित है। समस्त रिग वैदिक श्लोक कई देवताओं विशेष रूप से उनके मुख्य देवता इंद्र को समर्पित है। ऋग्वेद में वर्णित अन्य प्रमुख देवता अग्नि वरुण रूद्र आदित्य वायु अश्विन को सम्मिलित किया गया है।

अथर्ववेद

इस भेद को ब्रह्मा वेद के रूप में भी जाना जाता है अथर्व और अंगिरा नामक दोषियों को श्रेय दिया जाता है इसके संबंध के कारण पुराने समय में अथर्व गिरेस भी कहा गया है जहां यह मुख्य रूप से मानव समाज की शांति और समृद्धि से संबंधित है और मनुष्य के दैनिक जीवन के सभी पहलुओं को बताता है वही यह विशेष रूप से कई रोगों के उपचार पर भी केंद्रित हैं इस ग्रंथ को लगभग 90 रोगों  के लिए उपचार परामर्श देने के लिए जाना जाता है।

यजुर्वेद

यदु शब्द यज्ञ का प्रतीक है और यह वेद वैदिक काल में प्रचलित विभिन्न प्रकार के यज्ञों के कर्मकांड और मंत्रों पर केंद्रित है यजुर्वेद के दो प्रमुख ग्रंथ शुक्ल और कृष्ण इन संस्थाओं को बाद सनी संहिता और तृतीय संहिता भी कहा जाता है यजुर्वेद मुख्य रूप से अनुष्ठान निक वेद है क्योंकि यह यज्ञ अनुष्ठान करने वाले पुजारियों के लिए मार्गदर्शक पुस्तक की भांति कार्य करता है ।

सामवेद


सामवेद का नामकरण समन के नाम पर किया गया है और यह राज्य गीतों पर केंद्रित है संपूर्ण ग्रंथ में 18 सो 75 श्लोक हैं इतिहासकारों का तर्क है कि 75 मूल है और शेष ऋग्वेद की शक्ल शाखा से लिए गए है

इसमें स्लो प्रथम छंद और 16000  रागनियां है इस ग्रंथ की इलाहाबाद प्रकृति के कारण इसे गायन पुस्तक भी कहा जाता है इसमें हमें पता चलता है कि वैदिक काल में भारतीय संगीत का विकास कैसे हुआ

“वेदों को पूर्ण रूप से समझने के लिए बेदाग हो  की शाखाओं के अंगों को पढ़ना आवश्यक है यह मूल वैद्य के लिए पूरा की भांति हैं और शिक्षा निरुक्त छंद ज्योतिष और व्याकरण जैसे विषयों पर केंद्रित है आगे चलकर कई लेखकों ने इन विषयों को चुना और उन पर ग्रंथ लिखे जिन्हें सूत्र कहा जाता है इन्हें ऐसे ग्रंथ या नियम निर्देशों के रूप में लिखा गया है जो मानव जाति के विचारों और व्यवहारों का नियमन करने वाले सामान्य नियमों को परिभाषित करते हैं इस प्रकार के साहित्य का एक सबसे प्रभावशाली उदाहरण संस्कृत व्याकरण के नियमों को प्रभावित करने वाला  है

ब्राम्हण

ब्राह्मण हिंदू श्रुति साहित्य का भाग है प्रत्येक बेड के साथ एक ब्राह्मण संघ लाइन है जो अनिवार रूपेण विशेष वेद पर टिप्पणियों वाले ग्रंथों का संग्रह ब्राह्मण सामान त्यागी ने 1 दिनों तक क्यों दर्शन और वैदिक अनुष्ठानों की विस्तृत व्याख्या का मिश्रण है


इनमें कुछ इस प्रकार के कर्म कारणों का संचालन करने और यज्ञ का विज्ञान उपचारित करने के विषय में निर्देशों का भी समावेश है इसके अतिरिक्त इसमें अनुष्ठानों में उपयोग किए जाने वाले पवित्र शब्दों का प्रतीकात्मक महत्व भी समझाया गया है


आराने भी वेदों से जुड़े ग्रंथ है और विभिन्न दृष्टिकोण से वेदों में सम्मिलित कर्मकांड और युगों का वर्णन करते हैं इन्हें जन्म और मृत्यु के चक्र के साथ-साथ आत्मा की जटिलता के विषय में कर्मकांड की सूचनाओं का संकलन कहां गया यह तर्क दिया जाता है कि वनों की सीमा के भीतर रहना पसंद करने वाले मुनि कहलाने वाले पवित्र और विद्वान पुरुषों ने इन्हें सिखाया था


उपनिषद

मजेदार बात यह है कि उपनिषद शब्द और पर और नी और सा यानी शिक्षक के समीप बैठना इस ग्रंथ का भली-भांति वर्णन करता है हमारे पास दो सौ से अधिक ज्ञात उपनिषद है और शिक्षक सामान त्यावर में अपने छात्रों को जब वे अपने सामने बैठे होते थे तो मौखिक रूप से इन्हें प्रेषित करते थे यह परंपरा गुरु शिष्य परंपरा का अंग है इस परंपरा के अनुसार शिष्य अपने गुरु के यहां रहता था और इस परंपरा को गुरुकुल परंपरा कहा जाता था इसमें ऋषि-मुनियों द्वारा अपने शिष्यों को सभी प्रकार के ज्ञान और प्रदान करने की प्रक्रिया के द्वारा इन्हें बताया गया है


उपनिषद संस्कृत में लिखित ग्रंथ है और मुख्य रूप से मठ वासी और रहस्यमय अर्थों में वेदों का निवारण देते हैं क्योंकि सामान दिया यह वेदों के अंतिम भाग हैं इसलिए दांत के अंत के रूप में भी जाना जाता है इनको वेदांत या वेदों के अंत के रूप में भी जाना जाता है उपनिषद को मानव जीवन में विषय में सत्य और मानव मुक्ति या मोक्ष की ओर मार्ग दिखाने वाला कहा जाता है इसमें मानव जाति के सामने आने वाले अमूर्त और दार्शनिक समस्याओं विशेष रूप से इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति मानव जाति की उत्पत्ति जीवन और मृत्यु के चक्र और मनुष्य के भौतिक व आध्यात्मिक अन्वेषण के विषय में बात करना जारी रखा गया है

उपयुक्त 279 2 में से 108 उपनिषदों के समूह को मुक्तिका सिद्धांत कहा जाता है इसमें महापौर सिद्धांत माना जाता है क्योंकि यह 108 संख्या हिंदू माला में मूर्तियों की संख्या के बराबर है


महाभारत और रामायण

हिंदू महा रचनाओं को महाकाव्य भी कहा जाता है क्योंकि यह हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों की शाम में किस नदी का भाग बन गए हैं सामूहिक स्मृति का एक भाग के रूप में बन गए हैं और यह हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों और प्रेरक कहानियों के रूप में मशहूर हुए हैं और इनको इसी प्रकार की प्रसिद्ध दिया प्राचीन काल से बड़े से बड़े दार्शनिक को के द्वारा प्रदान की गई है?

रामायण


अब हम बात कर लेते हैं रामायण के बारे में और प्रतिष्ठित ग्रंथ रामायण नामक सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित ग्रंथ अभी आदिकवि या कवियों के प्रथम कहलाने वाले ऋषि मुनि ऋषि वाल्मीकि द्वारा रचित है आदि काव्य कविताओं में प्रथम भी कहा जाता है हालांकि रामायण के तिथि निर्धारण पर बहुत विवाद है लेकिन अधिकांश इतिहासकारों का तर्क है कि पहली बार 1520 वी के आसपास इसे संकलित किया गया इस महाकाव्य में आदर्श व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत राम की कहानी के माध्यम से हमें मानव जाति के चार उद्देश्यों को प्राप्त करने के विषय में निर्देश दिए गए हैं ज्योति रंजन दावत है जोकि निम्नलिखित है

धर्म अर्थ काम मोक्ष


रामायण में 24000 पद हैं और यह कांड अध्यायों में विभाजित है 7 अध्यायों में विभाजित है काबे माना जाता है इसे महाकाव्य माना जाता है राम की पत्नी सीता के अपहरण को लेकर भगवान राम और राक्षस राजा रावण के बीच युद्ध का विवरण प्रस्तुत किया गया है हनुमान लक्ष्मण विभीषण आदि जैसे कई प्रमुख पात्र इसमें मौजूद है जिन्होंने लंका में लड़े गए इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी इसमें राम ने रावण पर विजय प्राप्त की और अपनी पत्नी को वापस लाएं सफलता को बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है


महाभारत


महाभारत के कई संस्करण है लेकिन सबसे लोकप्रिय वेदव्यास द्वारा लिखित महाभारत है इसे संस्कृत में लिखा गया था आरंभ में 8806 थे इसमें 8000 के आसपास क्षण थे विजय की कहानी कहा जाता है इस संस्करण को जया विजय की कहानी जय या विजय की कहानी कहा जाता है इसके बाद कई कहानियों का संकलन किया गया और इस संग्रह में जोड़ा गया छंदों की संख्या बढ़ाकर के 24000 कर दी गई प्रारंभिक वैदिक जनजाति के नाम पर इसका नामकरण भारत किया गया वर्तमान रूप में लगभग एक लाख छंद हो चुके हैं जो इतिहास पुराण कहलाते हैं

अब हम बात कर लेते हैं महाभारत के कहानी के बारे में की महाभारत की कहानी में ऐसा क्या था कि यह इतना बड़ा ग्रंथ बन गया कहानियां तिल्हापुर के सिंहासन पर दावा करने के अधिकार को लेकर इसकी कहानी हस्तिनापुर के सिंहासन पर अधिकार करने के लिए कौरव और पांडव के बीच संघर्ष की कहानी को बताने वाली है इस कहानी के सूत्रधार के रूप में श्री कृष्ण को बताया गया है और यह कहानी श्री कृष्ण के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है और इस कहानी में अगर किसी व्यक्ति को सबसे शक्तिशाली बताया गया है तो वह कृष्ण कोई बताया गया है लेकिन और भी महारथी इसमें शामिल थे जिनको अलग अलग तरीके की है वरदान प्राप्त था महाभारत में हिंदुओं के महत्वपूर्ण उपदेश आत्मक ग्रंथ भगवत गीता का भी समावेश है यह ग्रंथ हिंदू धर्म के दार्शनिक सुविधाओं के लिए सुविधाओं के लिए संक्षिप्त मार्गदर्शिका की भांति है टर्की और यहां तक की धार्मिक जीवन जीने पर मानव जाति के लिए मार्गदर्शिका की भांति कार्य करता है इस ग्रंथ में से अधिकांश मनुष्य योद्धा और राजकुमार के कर्तव्यों के विषय में भगवान कृष्ण और पांडव राजकुमार अर्जुन के बीच संवाद

ऐसा बना इंसान वह अहिंसा बनाम हिंसा कर्म बनाओ अकरम समस्या पर और अंत में धर्म के विषय में प्रकाश डालते हैं यहां तक कि वेद धर्म के विभिन्न प्रकारों के बीच भी अंतर करते हैं और चाहते हैं कि अर्जुन और मानव जाति को निष्काम कर्म यानी निस्वार्थ रूप से परिवार और विश्व के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए


उपयुक्त दोनों महाकाव्य के भारतीय और विदेशी भाषाओं में दो राय गए इन्हें रंगमंच के साथ टेलीविजन पर भी फिल्माया गया है ऐसा केवल इसलिए नहीं क्योंकि इन दोनों कहानियों में मार्च सामाजिक परिकल्पना को दिखाया गया है बल्कि इसलिए क्योंकि यह मानव अस्तित्व की और मानवीय कर्मों की सकारात्मकता की आवश्यकता का सही मार्ग दिखाती है


पुराण


जैसा कि पुराण शब्द से पता चलता है यह ग्रंथ उसके विषय में बात करते हैं जो पुराने को नया बनाता है यह प्राचीन भारतीय पौराणिक ग्रंथ है इसमें ब्रह्मांड के निर्माण के विषय में कथा धमक कहानियां का खात्मा कहानियां है कथा मक कहानियां है और ब्रह्मांड के कल्पित विनाश तक इसके इतिहास का वर्णन करती हैं इसमें राजाओं नाइट को संतोष और यक्षिणी आदि की कहानियां है

क्या है

18 पुराण और प्रत्येक पुराण किसी विशेष देवता को प्रमुखता देता है और उनसे संबंधित दार्शनिक और धार्मिक अवधारणाओं की व्याख्या करता है कुछ अधिक प्रमुख और प्रसिद्ध पुराण हैं भागवत ब्रह्मा वायु अग्नि गरुड़ पदम विष्णु और मत्स्य इनमें अधिकतर भारत के सामाजिक सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन के विषय में व्याख्या की गई है इतिहासकारों को भूगोल इतिहास और वंश वादी बनसा वलियों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं

इन पुराणों को कहानियों के रूप में लिखा गया है जिसमें देवताओं के विषय में कई प्रकार के कहानियों को और दंत कथाओं को एक संयोजन के रूप में प्रदर्शित किया गया है और कहानी लेखन के सरल रुकने से सदैव चतुर्वेदी को समझना पाने वाले आम लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय बना दिया है

सभी ने कभी ना कभी विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र की कहानियों को सुना जरूर होगा इससे दंत कथाओं में जानवरों के माध्यम से विश्व के विषय में भौतिक शिक्षा और ज्ञान वाली कई कहानियां सम्मिलित है इसी शैली की एक और प्रसिद्ध रचनाएं नारायण पंडित द्वारा लिखित हितोपदेश इसमें भी मनुष्य को ज्ञान प्रदान करने वाले कई मानव और पशुओं के बीच का समावेश आपसी संबोधन को प्रदर्शित किया गया है

शास्त्रीय संस्कृत साहित्य


अधिकार संस्कृत साहित्य वैदिक और शास्त्रीय श्रेणियों में विभाजित है दोनों महाकाव्य महाभारत और रामायण जी शास्त्री सिटी के आगे की मुख्य धार्मिक महत्व के कारण अलग से उनकी चर्चा की गई है हिंदू धर्म के निमित्त अपनी केंद्रीय भूमिका से इन महाकाव्य संस्कृत का नाटक और चिकित्सा शासन का व्याकरण खगोल विज्ञान गणित अन्य ग्रंथों का पूर्व माना जाता है इस संस्कृत साहित्य के अधिकांश भाग को परिणी के अष्टाध्याई के रूप में जाना जाता ह


संस्कृत नाटक

काव्य और गधी की सबसे लोकप्रिय शैलियों में से एक लोकप्रिय रोमांटिक कहानियां है जिनका एकमात्र उद्देश्य जनता का मनोरंजन करना है इन्हें सामान्य कहानियों के रूप में लिखा गया था फिर भी इनमें जीवन पर अद्वितीय दृष्टिकोण दिया गया था इनको रंगमंच स्थलों पर लोगों की भाव बदमा के आधार पर प्रदर्शित किया जाता है यहां पर भाव भंगिमा का तात्पर्य है कि उनके हाव-भाव मंच निर्देश और अभिनय के संबंध में नियमों का एक विशेष और अनुशासित प्रदर्शन करना

संस्कृत काव्य


अब हम बात कर लेते हैं संस्कृत महाकाव्यम के बारे में इस शैली को काबे या कविता भी कहा जाता है नाटक खंड में जहां कहानी ग्रंथ का मुख केंद्र बिंदु होती है वहीं इसमें कविता प्रकार शैली अलंकारों आदि पर अधिक केंद्रित होती है सबसे महानतम संस्कृत कवियों में से एक कालिदास है उन्होंने कुमारसंभव और रघुवंश लिखा था उन्होंने मेघदूत और ऋतुसंहार नामक 2 लंबी कविताएं भी लिखी थी

काल के दौरान दिखने वाले गुप्त काल के दौरान लिखने वाले हरिषेण जैसे कवियों के योगदान का उल्लेख करना भी नहीं भूलना चाहिए उन्होंने समुद्रगुप्त की वीरता की प्रशंसा में कई कविताएं लिखी और यह इतनी सराहनीय थी कि उन्होंने पर भी अंकित किया गया था इलाहाबाद स्तंभ पर भी इनको अंकित किया गया था अत्यधिक लोकप्रिय संस्कृत जो की 12 वीं सदी के आसपास गीत गोविंद लिखने वाले जयदेव थे यह भगवान कृष्ण के जीवन और शरारती पर केंद्रित है इस ग्रंथ में भगवान कृष्ण राधा के प्रति उनके प्रेम और प्रकृति की सुंदरता के प्रति समर्पण के तत्वों का संयोजन किया गया है

विद्वान एक विद्वानों के लाभ के लिए संस्कृत में विज्ञान और राज्य शासन के विषय में लिखित कई पुस्तकें थी उनका तर्क है कि 500 और 200 ईसा पूर्व के बीच कानून पर कई पुस्तके लिखी गई थी इन्हें धर्मसूत्र कहा जाता था इन्हें धर्म शास्त्रों के रूप में ज्ञात स्मृतियों के साथ संकलित किया गया था यह अधिकांश हिंदू और राज्यों के विषयों का प्रशासन करने वाले कानूनों के आधार थे इनमें केवल उन नियमों को ही स्पष्ट नहीं किया गया था जिनके अनुसार संपत्ति का धारण विक्रय हस्तांतरण किया जा सकता था बल्कि धोखाधड़ी से लेकर हत्या तक के अपराधों के लिए दंड परसा विस्तार प्रकाश डाला गया था एक अन्य प्रमुख ग्रंथ मनुस्मृति है यह समाज में स्त्रियों और पुरुषों की भूमिका सामाजिक स्थलों पर उनकी बातचीत और उस आचार संहिता को परिभाषित करता है जिसका पालन करने की उसने अपेक्षा की जाती थी इस ग्रंथ को मानव जाति के पूर्वज मनु द्वारा दिए गए प्रवचन के रूप में लिखा गया है मनुस्मृति को संभवत 200 ईसा पूर्व और 200 ईसवी के दौरान लिखा गया था मौर्य काल के शासनकाल के विषय में एक सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ कौटिल्य का अर्थशास्त्र यह मौसम राज्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर केंद्रित है सैन्य रणनीति को उचित मात्र दिया गया है जिसका राज्य द्वारा उपयोग किया जाना चाहिए इस ग्रंथ में उल्लेख है कि कौटिल्य ने इसे लिखा था इतिहासकारों का तर्क है कि यह दोनों नाम सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहने वाले विद्वान चाणक्य के उपनाम कौटिल्य और विष्णु पुत्र थे विष्णुगुप्त थे


जहां संस्कृत प्राचीन काल में दरबार की प्रमुख भाषा की वही इसे गुप्त काल में भी प्रोत्साहन मिला जिसने महान कवियों नाटककार और विभिन्न विषयों के विद्वानों को नियोजित किया था इस अवधि में संस्कृत और शिक्षित लोगों की संचार की प्रमुख भाषा बन गई थी आगे चलकर कुषाण काल में कई प्रमुख संस्कृत विद्वानों को संरक्षण मिला अश्वघोष ने चरित्र बुद्ध चरित्र जिसमें बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डाला गया है हालांकि मध्यकाल में संस्कृत में साहित्य का उतरना चलन नहीं रह गया था तो भी राजस्थान और कश्मीर में कुछ प्रमुख रचनाओं में इस भाषा का उपयोग किया गया था मध्ययुगीन कश्मीर की दो सबसे उल्लेखनीय रचनाएं कश्मीर के राजाओं का विस्तृत विवरण देने वाली कल्हण की राजतरंगिणी और सोमदेव की कथा सती सागर है


अब हम बात कर लेते हैं मध्ययुगीन या मुगलकालीन साहित्य के बारे में मध्यकाल में कई विभिन्न समितियां उमरी जिन्होंने उभरने वाली भाषाओं और बोलियों का प्रभावित किया प्रमुख परिवर्तन दिल्ली सल्तनत मुगल तलवार के लेखन के रूप में फारसी भाषा का उदय हुआ इस अवधि में प्राचीन भाषा हिंदी का भी विकास दिखाई देता है


फारसी भाषा  विकास

काहालांकि फारसी भाषा की जड़े संस्कृत जितनी पुरानी है लेकिन 12 वीं शताब्दी में तुर्क और मंगोल ओं के आगमन के साथ यह भारत आई असम के दौरान फारसी उनके शासन के दौरान फारसी भाषा को दरबार के संचालन की प्रमुख भाषा के रूप में चुना गया सबसे श्रेष्ठ हाथों में से फारसी कवियों में से एक अमीर खुसरो लव इन थे गैलरी थे देवी थे अपने दिमाग के अतिरिक्त अपने दीवान के अतिरिक्त उन्होंने सीपीएस उन्होंने दिल्ली सल्तनत में फारसी में कई ग्रंथ लिखे गए इनमें से अधिकांश शासकों के लिए इतिहास की रचना करने से संबंधित थी जियाउद्दीन बरनी इस अवधि के शीर्ष इतिहासकारों में से थे और उन्होंने तारीख है फिर वह सारी लिखें उन्होंने तारीख ए फिरोजशाही की रचना की अन्य प्रमुख इतिहासकारों में से इब्नबतूता जोकि मोरक्को का यात्री था करण उसने अपनी यात्राओं के बारे में लिखें फारसी में साहित्य की रचना और प्रचार प्रसार में तेजी आई मुगल काल में फारसी में साहित्य की रचना और प्रचार-प्रसार में तेजी आई मुगल बादशाह बाबर ने तुर्की में अपनी आत्मकथा तुजुक ए बाबरी लिखी थी एक अन्य महत्वपूर्ण रचना हुमायूं की सौतेली बहन गुलबदन बेगम द्वारा लिखित हुमायूंनामा है इसमें हुमा के जीवन और सिंहासन पाने के संघर्ष की कहानी को बताया गया है


स्टाल का महान सम्राट अकबर था इस कालका महान सम्राट अकबर को माना जाता है और उसके दरबारी इतिहासकार अबुल फजल द्वारा लिखित आईने अकबरी और अकबरनामा इस अवधि के साहित्य का सबसे अच्छा उदाहरण है अकबर ने फारसी में रामायण भगवत गीता और अनेक हिंदू ग्रंथों को फारसी में अनुवाद करने का आदेश दिया एक प्रमुख उदाहरण महाभारत के जिसे फारसी में अनुवाद किए जाने पर रज्मनामा कहां गया इस अवधि के अत्याधिक सचित्र रचनाओं में से को हम्जानामा कहां जाता है इसमें पौराणिक भारती गायक फारसी नायक आमिर हजमा को दर्शाया गया है इसी अवधि में मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा अपनी प्रमुख रचना पद्मावत की रचना की थी इस अवधि के अन्य प्रमुख लेखकों में राजनीतिक नियम की नैतिकता पर लिखने वाले बदायूं में और फारसी कविता के मास्टर माने जाने वाले फैजी सम्मिलित हैं

उर्दू


भाषा भी दो का तर्क है कि उर्दू फारसी और हिंदी की होने वाली अंतर किया विशेष रूप से तुर्की सेना की बैंकों में के माध्यम से विकसित हुई थी अर्थात हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं यह भाषा आरसी और हिंदी फारसी और हिंदी भाषाओं को मिलाने से उत्पन्न होने वाली एक नई प्रकार की भाषा उर्दू का रूप में अवतरित हुई सबसे बड़े उर्दू कवियों में से एक उर्दू में दीवान की रचना करने वाले मिर्जा गालिब थे और अमीर सौदा दर्द और मीर तकी मीर कई अन्य उर्दू के विद्वान कवियों में से एक थे बीसवीं सदी में उर्दू साहित्य लेखन में एक बड़ी हस्ती इधर आ बंग इधर आ लिखने वाले कवि इकबाल थे वह सारे जहां से अच्छा लिखने के लिए प्रसिद्ध है जो भव्य राष्ट्रवादी गीत बंजारा उर्दू में मैं भी लिखने वाले बहादुर शाह जफर जैसे मुगल साम्राज्य के अंतिम सम्राटों के अतिरिक्त अवध के नवाबों ने भी उर्दू में रचना करने वाले कई विद्वानों को अपने यहां संरक्षण दिया था 20 वीं सदी में आधुनिकीकरण के कारण सर सैयद अहमद खान द्वारा भी इसे बढ़ावा दिया गया उन्होंने उर्दू और अंग्रेजी में कई शिक्षाप्रद और राष्ट्रवादी ग्रंथ लिखे थे


हिंदी और उसकी बोलियां


हिंदी जैसा आज हम इसे जानते हैं साथ में और 14वीं सदी के बीच प्राकृत से विकसित होने वाली अप फ्रेंड से विकसित हुई थी किस भाषा को इसका सबसे बड़ा प्रसाद उस भक्ति आंदोलन में मिला जिसने संस्कृत उपयोग त्याग दिया इस भाषा को सबसे बड़ा प्रोत्साहन उस भक्ति आंदोलन से मिला जिसने संस्कृत का उपयोग त्याग दिया था ब्राह्मणों की भाषा थी और आप लोग इसका उपयोग नहीं करते थे उन्होंने लोगों की भाषा में लिखना प्रारंभ किया और 12 वीं शताब्दी के बाद हमें बंगाली हिंदी मराठी गुजराती आदि क्षेत्रीय भाषाओं का चलन तीव्र गति से दिखाएं देता है लंबे समय तक हिंदी साहित्य अपनी पूर्ववर्ती संस्कृत की छाया में रहे पृथ्वीराज रासो पहली हिंदी पुस्तक थी और इसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन के बारे में बताया गया है


अधिकांश रखे नायक कबीर जैसे भक्ति लेखकों के द्वारा लिखित कविताएं सारांश रचना है अधिकांश रचनाएं कबीर जैसे भक्ति लेखकों द्वारा लिखित कविताएं हैं वह अपने दोनों के लिए प्रसिद्ध है भारत के आम लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है तुलसीदास ने ब्रज में तो की रचना की थी और इस एफआरसी से 36 बनाया गया था और इसे फारसी में तीक्ष्ण बनाया गया था सबसे प्रतिष्ठित हिंदू ग्रंथों में से एक रामचरितमानस लिखकर अमर हो गए थे भगवान कृष्ण का जीवन भी सूरदास जैसे विभिन्न मध्ययुगीन कवियों द्वारा विषय बनकर अमर हो गए उन्होंने कृष्ण के बचपन और गोपियों के साथ किशोरावस्था के प्रसंगों के विषय में सूरसागर लिखना दूसरा और रसखान ने भी रहीम भूषण ने भी भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति के विषय में लिखा मीराबाई की ऐसी स्त्री के रूप में प्रसिद्ध है जिसने भगवान कृष्ण के लिए विश्व का त्याग कर दिया और उनके लिए भक्ति कविताएं लिखी थी बिहारी की सत्संग इस संबंध में प्रसिद्ध है


अब हम बात कर लेते हैं आधुनिक भारत में कवियों का और हिंदी और अंग्रेजी भाषा का एक सम्मिलित रूप में कवियों के द्वारा लिखित भारतीय प्रेरक कहानियां और जीवनी यों के बारे में

हिंदी


अंग्रेजों के आगमन के साथ साहित्य का केंद्र बिंदु परिवर्तित हो गया यह परिवर्तन अद्भुत रूप से हिंदी गद्य लेखन में हुआ जिसमें शास्त्रीय की ओर जाने और संस्कृत से प्रेरित होने का उत्साह था यह उत्साह राष्ट्रवादी उत्साह के साथ जुड़ गया भारतेंदु हरिश्चंद्र अट्ठारह सौ पचास के दशक में अपना सबसे प्रसिद्ध नाटक अंधेर नगरी लिखा और यह प्रमुख नाटक बन गया एक और प्रसिद्ध राष्ट्रवादी रचना भारत दुर्दशा है एक अन्य प्रमुख लेखक महावीर प्रसाद द्विवेदी जिनके नाम पर हिंदी लेखन के पूरे चरण का नामकरण किया गया है आधुनिक काल नामक हिंदी के आधुनिक काल में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हैं जो क्षेत्रीय को जोड़ती है का नेतृत्व स्वामी दयानंद ने किया था हालांकि उन्होंने गुजराती में काफी अधिक लिखा था लेकिन हिंदी में उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना सत्यार्थ प्रकाश थी निराला त्रिपाठी मैथिलीशरण गुप्त जैसे अनेक हिंदी लेखकों ने समाज में रूढ़िवादिता पर प्रश्न उठाया प्रेमचंद हिंदी और उर्दू में अनेक संग्रहण की रचना की और उनकी प्रसिद्ध कृतियों में से गोदान बड़े भैया गबन नमक का दरोगा पूस की रात आदि शामिल है

हिंदी के अंदर लेखकों में से सुमित्रानंदन पंत रामधारी सिंह दिनकर हरिवंश राय बच्चन जिन्होंने मधुशाला लिखी है बीसवीं सदी में हिंदी की सबसे प्रसिद्ध महिला लेखकों में से एक महादेवी वर्मा थी उन्होंने हिंदी में उनके लेखक और समाज में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालने के कारण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था

राजा राममोहन राय बंगाली और अंग्रेजी में लिखने वाले पहले लोगों में से थे उनकी कृतियों को व्यापक रूप से पढ़ा जाता था कहानी लेखन ईश्वर चंद्र विद्यासागर अक्षय कुमार दत्त थे लेकिन राष्ट्रवादी बंगाली साहित्य की पराकाष्ठा बंकिम चंद्र चटर्जी के लेखन से प्राप्त हुई है उनकी कृति आनंदमठ इतना अधिक लोकप्रिय हैं की वंदे मातरम हमारा राष्ट्रीय गीत इस उपन्यास से लिया गया है


नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय भी बंगाली में लेखन रविंद्र नाथ टैगोर थे उन्होंने 1913 में अपनी बंगाली कृति गीतांजलि के लिए यह पुरस्कार 


    

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पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

लोकतंत्र में नागरिक समाज की भूमिका: Loktantra Mein Nagrik Samaj ki Bhumika

लोकतंत्र में नागरिकों का महत्व: लोकतंत्र में जनता स्वयं अपनी सरकार निर्वाचित करती है। इन निर्वाचनो  में देश के वयस्क लोग ही मतदान करने के अधिकारी होते हैं। यदि मतदाता योग्य व्यक्तियों को अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करता है, तो सरकार का कार्य सुचारू रूप से चलता है. एक उन्नत लोक  प्रांतीय सरकार तभी संभव है जब देश के नागरिक योग्य और इमानदार हो साथ ही वे जागरूक भी हो। क्योंकि बिना जागरूक हुए हुए महत्वपूर्ण निर्णय लेने में असमर्थ होती है।  यह आवश्यक है कि नागरिकों को अपने देश या क्षेत्र की समस्याओं को समुचित जानकारी के लिए अख़बारों , रेडियो ,टेलीविजन और सार्वजनिक सभाओं तथा अन्य साधनों से ज्ञान वृद्धि करनी चाहिए।         लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है। साथ ही दूसरों के दृष्टिकोण को सुनना और समझना जरूरी होता है. चाहे वह विरोधी दल का क्यों ना हो। अतः एक अच्छे लोकतंत्र में विरोधी दल के विचारों को सम्मान का स्थान दिया जाता है. नागरिकों को सरकार के क्रियाकलापों पर विचार विमर्श करने और उनकी नीतियों की आलोचना करने का ...