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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

BLSI Industry

इलेक्ट्रॉनिक्स में अकल्पनीय विकास हुआ है कल का मोबाइल आज खिलौना बन गया है। आज मोबाइल में वे  सब कुछ है जिसके लिए हमें पहले अलग-अलग मशीनें खोलनी पड़ती थी। टीवी की जगह पुराने रूप को इतनी जल्दी कबाड़ में जगह मिल जाएगी सोचा भी नहीं था। हर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट नया हो रहा है कैसे यही कुछ है इस लेख में जो इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगा।


सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है 1980 के उत्तरार्ध और 1990 के दशक की शुरुआत में र टीसीएस इंफोसिस विप्रो औजैसी बड़ी कंपनियों ने सॉफ्टवेयर विकास की दिशा में काम शुरू किया था। इसके बाद वाई 2 के समस्या ने सिर उठाया ।भारतीय सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री की वैश्विक मानचित्र पर पुख्ता पहचान बनी थी। इसके बाद इस इंडस्ट्री ने मुड़कर नहीं देखा।


देश में  BLSI  इंडस्ट्री


वीएलएसआई (वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) इंडस्ट्री या सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन इंडस्ट्री की शुरुआत देश में उन्हीं दिनों हुई थी जब टैक्सास  instrument ने1985 में बेंगलुरु में अपना चिप डिजाइन सेंटर खोला था ।इससे पूर्व1983 में भारत सरकार ने अपनी सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी स्थापित की थी। जो आज भारत सरकार के डिपार्टमेंट आफ स्पेस का हिस्सा है। व

हा उपगहो लिए चिप्स की डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के साथ अन्य सरकारी परियोजनाओं पर भी कार्य होता था। जल्दी शुरुआत के बावजूद हुनरमंद कर्मियों की कमी के कारण देश में इस इंडस्ट्री को निश्चित आधार और वैश्विक पहचान बनाने में कुछ अधिक समय लगा। आज जहां अमेरिका में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में लगभग 400000 लोग काम कर रहे हैं वहीं भारत में यह संख्या डेढ़ लाख के लगभग अच्छे डिजाइन के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या के हिसाब से भारत का विश्व में अमेरिका और चीन के बाद तीसरा स्थान है परंतु इसकी तुलना यदि software इंडस्ट्री से करें तो चिप डिजाइन समुदाय अभी बहुत छोटा है।

सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर



समद्शिबलाना यह है कि चिप डिजाइन इंडस्ट्री क्या करती है और यह आम आदमी के जीवन को सरल बनाने में क्या योगदान देती है ।इसलिए इसकी शुरुआत उस बुनियाद से करें जिसे हम सब समद्बुब्लालाते हैं ।सेमीकंडक्टर चिप्स उन सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मिलते हैं जिन्हें आज हम इस्तेमाल करते हैं चाहे वह मोबाइल फोन और पीसीओ मॉडम वायरलेस डाटा ओं कार्स ओं सेटअप बॉक्स ओं टेलिविजन ओं कैमरा उपकार हो हार्ड अटैक मेडिकल उपकरण हो या सेटेलाइट आदि हम सब इस बात पर भी एक मत होंगे कि हमारे मोबाइल और कंप्यूटर पर गूगल यूट्यूब फेसबुक टिक टॉक जैसे सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। यदि चिप डिजाइन इंडस्ट्री हार्डवेयर चिप्स नहीं बनाएगी तो यह सब सॉफ्टवेयर बिल्कुल नहीं चलेंगे।

इसलिए प्रत्येक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को चलने के लिए हार्डवेयर की जरूरत पड़ती है हमारे पीसी के माइक्रोप्रोसेसर्स से शुरू करके विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम क्रोम वेब ब्राउजर वीएलसी मीडिया प्लेयर आदि बुनियादी सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जो पीसी में मौजूद माइक्रोप्रोसेसर चिप की मदद से चलती है और यूजर इंटरनेट ब्राउजिंग जैसे अपने मतलब के कार्यो को अंजाम देती है।
क्वैकाम क्या है और कौन ?


आज कई सेमीकंडक्टर कंपनियां हैं जो दैनिक घरेलू इस्तेमाल के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे टीवी सेट टॉप बॉक्स कारों आदि में लगने वाली चिप का निर्माण करते हैं ।परंतु बहुत कम लोग इनके बारे में जानते हैं ।इंटेल और एमडी ऐसे कुछ नाम है ।जिन्हे लोग चिप निर्माताओं के तौर पर जानते होंगे परंतु टैक्सास इंस्ट्रूमेंट क्वैलकाम ए आर एम फ्रीस्केल इलेक्ट्रॉनिक्स आदि कुछ कंपनियां भी है जिन्हें वही कंपनियां जानती हैं जो उनसे चिप खरीदते हैं जैसे ही स्मार्टफोन निर्माता कार निर्माता आदि ना की अंतिम इस्तेमाल करता ।उदाहरण के लिए सभी आईफोन से परिचित हैं परंतु यह बहुत कम लोग जानते हैं कि उनमें 4G चिप लगा है जिसे क्लाउडकॉम ने बनाया है उसमें हाइनिक्स सेमीकंडक्टर कोरिया के फ्लैश मेमोरी चिप लगे हैं ।ऑडियो चिप साइरस लॉजिक के वाईफाई चिप मुराटा के और टचस्क्रीन कंट्रोलर चिप की निर्माता है टैक्सास इंस्ट्रूमेंट्स।


चिप के बिल्डिंग ब्लॉक


ट्रांजिस्टर मास्फैट मैटलऑक्साइड सेमीकंडक्टर फील्ड इफेक्ट ट्रांजैक्शन चिप के बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक होते हैं। जिन्हें आप अपने पीसी या मोबाइल आदि में देखते हैं चिप में ट्रांजैक्शन का इस्तेमाल ऑन ऑफ स्विच के तौर पर होता है ऐसे लाखो ऑन ऑफ स्विच को जोड़कर इंटेल आई कोर प्रोसेसर जैसे जटिल डिजाइन बनते हैं । जो यह कंट्रोल करता है कि करंट स्रोत से ड्रोन तक वह या करंट बिल्कुल न बहे ।उदाहरण के लिए 1 बोल्ट से  अधिक की पॉजिटिव वोल्टेज ट्रांजैक्शन को ऑन करती है और 0 वोल्ट उसे ऑफ रखती है ।प्रवाहित वोल्टेज के आधार पर उसके एक कंडक्टर के रूप में या इंसुलेटर के तौर पर काम करने की उसके गुण के कारण ट्रांजिस्टर को सेमीकंडक्टर डिवाइस कहते हैं और इस इंडस्ट्री को सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री कहते हैं।


मौजूदा समय में कई फाउंड्रीज 14एनएम और 10एनएम गेट लैंग्थ पर  काम कर रही है ।जितनी छोटी   गेट लैग्होगी उतनी ही तेजी से ट्रांजैक्शन ऑफ से उपकररन तेजी  से काम करेगा ।हालांकि छोटी गेटलेंथ प्रक्रिया अन्य चिप डिजाइन चरणों और उनके निर्माण में उलझन पैदा करेगी और साथ ही कीमतों में भी वृद्धि करेगी परंतु वह एक अलग मुद्दा है।

ट्रांजिस्टर के निर्माण में सिलिकान तत्व सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। आपके मोबाइल में इस्तेमाल जटिल चिप की संख्या 1 अरब से अधिक हो सकती है जबकि उसका आकार मात्र 300mm वर्ग होगा ।उदाहरण के लिए इंटेल के आई प्रोसेसर में 1000 मिलियन ट्रांजैक्शन होते हैं और उसका आकार होता है 263 से लगाकर के 400mm एवं वर्ग तक ट्रांजिस्टर के आकार की तुलना मनुष्य के बाल 100qm के व्यास से करे तो कह स कते हैं कि मौजूदा तकनीकी 28 एम एनएम बाल के व्यास से करें तो करीब 5 trangestionसमाहिहो सकते है।

 चिप में अल्मुनियम या कापर  वायरिंग के साथ जोड़ना पड़ता है। इन तारों की चौड़ाई भी बहुत कम होती है और यह गेट की लेंथ के आकार की होती है ।इनका डिजाइन सॉफ्टवेयर टूल की मदद से तैयार होता है। जिन्हें मेटल वायर से जोड़ा गया है और इसे इंजीनियर चिप डिजाइन सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार किया है।

मूर्स ला

दुनिया में पहली माइक्रोप्रोसेसर चिप इंटेल 4004 थी जो 1971 में निर्णय हुई थी इसमें 23 और ट्रांजैक्शन  लगे थे ।वही 2003 मे रिलीज इंटेल i7 कोर प्रोसेसर में 731 मिलियन ट्रांजिस्टर लगे थे इससे पता चलता है कि केवल 37 वर्ष के अंतराल में 1 चिप में अधिकाधिक ट्रांजिस्टर निर्मित किया जाने की क्षमता में यह विकास कैसे हुआ।

इंटेल के सह संस्थापक गार्डन मूर सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए रोड मैप तैयार किया था ।वर्ष 1965 में प्रकाशित अपने एक पत्र में उन्होंने लिखा था कि 1958 से 1965 के बीच में एक चिप में लगाए जाने वाले ट्रांजिस्टर की संख्या और दूसरे वर्ष बढ़ती है और भविष्य में यह चलन जारी रहने की उम्मीद है ।इसे ही मूस ला कहा जाता है वैसे सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में इसी रोड मैप पर गत 60 वर्ष से चलती आ रही है ।यह डिजाइन इंडस्ट्री के लिए इसका मतलब हुआ है कि प्रत्येक वर्ष वह एक ही चिप सिलीकानिया एरिया में लगाए जाने वाले ट्रांजिस्टर की संख्या दुगनी कर सकते हैं यही मुख्य कारण है इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की कीमत समय के साथ नीचे आती है जबकि अन्य सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं।

मूर्स ला तक पहुंच कैसे


मूर्स ला की शर्तों तक पहुंचने के लिए ट्रांजिस्टर के आकार को लगातार छोटा करते रहना होगा ताकि उसी सिलीकानिया डाई एरिया में लगने वाले ट्रांजिस्टर की संख्या बढ़ती जाए और प्रती ट्रांजिस्टर निर्माण कीमत घटती जाए इसी सिद्धांत पर चीप निर्माण में लगी सभी  फैक्ट्री काम कर रही हैं।


चिप निर्माण


चिप निर्माण की प्रक्रिया की तुलना पुराने फोटो रोल के फोटोग्राफ की प्रिंटिंग के साथ की जा सकती है और फोटो की प्रिंटिंग में लिखे थी। उसको प्रकाश के सामने लाकर इमेज को कागज पर उतारा जाता था उसी तरह चिप निर्माण के लिए मार्क्स को नेगेटिव के समक्ष रख कर  के  बनाया जाता है और फिर इन मार्क्स को पराबैगनी किरणों के सामने लाकर सिलिकॉन पर प्रिंट किया जाता है चिप में कई परत होती है और आज एक चिप बनाने के लिए 30 या अधिक मार्क्स की जरूरत होती है यह मार्क्स बहुत महंगे होते हैं और उन्हीं के कारण चिप की कीमत बढ़ती है चिप डिजाइन कंपनियां अपने डिजाइन को मितव्यई बनाने के लिए कम संख्या में मार्क्स का इस्तेमाल करती है और उस साथ ही ड्राई एरिया का भी कम इस्तेमाल किया जाता है जब तैयार होकर फाउंडरिंग से बाहर आती है तो वह दी गई छवि जैसी लगती है एक गोलाकार डेस्क पर एक साथ कई बनती है यह गोलाकार आकार में 6 इंच 12 इंच की हो सकती है। यही कारण है कि इन्हें चिप या वेफर कहा जाता है ।इसके बाद  डाई दाई और दिखाएं चित्र जैसे प्लास्टिक के बक्सों में बंद कर दिया जाता है यदि आप  इन केसिंग को खोलेंगे तो आप को देखेंगे कि एक सिलिकान डाई वह खोज जिसने हमारा जीवन बदल दिया है।

भारत में सेमीकंडक्टर लैबोरेट्री एक फांउडरी है जिसके पास 0.8 प्रोसेस टेक्नोलॉजी के आधार पर निर्माण करने की सुविधा है। भारत सरकारmnc  पीएसयू की पहल के तौर पर विदेशी कंपनियों को भारत में एक फाउंडरिंग स्थापित करने के लिए बुलाने का प्रयास कर रही है। यदि भारत में अगले कुछ वर्षों में एक फाउंडरिंग स्थापित होती है तो इससे देश में स्थापित डिजाइन कंपनी और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा आज अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर मेड इन चाइना पढ़ने को मिलता है इंडस्ट्री विशेषज्ञों का कहना है कि इस तथ्य में तब परिवर्तन आ सकता है जब भारत में उसकी अपनी फाउंडरिंग होगी।

दुनिया की सबसे बड़ी फाउंडरिंग टी एस एम सी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है जो कि ताइवान की कंपनी है और व्यवसाय में उसका 50% मार्केट शेयर है फाउंडरिंग एक बहुत महंगा व्यवसाय अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित एक नई फाउंड्री की स्थापना में $1000000000 से अधिक खर्च आएगा इससे सेमीकंडक्टर डिजाइन कंपनियों की निर्माण लागत में वृद्धि होगी।

उच्च निर्माण लागत के कारण सेमीकंडक्टर डिवाइस को चिप डिजाइन करने के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर टूल्स की जरूरत होगी और साथ ही इस तथ्य को भी पुख्ता करना होगा कि चीफ निर्माण के लिए वह डिजाइन अपने फंक्शन और निर्माण क्षमता में सटीक हो।


इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन


जैसे चिप निर्माण चरणबद्ध मल्टीपल मार्क्स की मदद से प्रक्रिया है इसी तरह चिप डिजाइन भी विभिन्न चरणों में पूरी होती है इसके प्रत्येक चरण में विभिन्न सॉफ्टवेयर टूल्स का इस्तेमाल होता है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की जरूरत होती है अनुमान के अनुसार आज चिप डिजाइन के इस्तेमाल में सॉफ्टवेयर टूल्स की संख्या 501है। चीफ डिजाइन प्रक्रिया के दौरान इंटूल्स की मदद से विभिन्न चुनौतियों से पार पाने के लिए कई जटिल गणनाएं की जाती है।


इसलिए जिस तरह फाउंडर्स में चिप डिजाइन कंपनियां अपने चिप बनाती हैं उसी तरह EDA इंडस्ट्री में चिप डिजाइनर कंपनी अपनी डिजाइन प्रक्रिया पूरी करती हैं ।स्पाइस सिमुलेटर verylog सिमुलेटर लेआउट डिजाइन टूल्स आदि आईडीए इंडस्ट्री में ही विकसित किया है और चिप डिजाइन कंपनियों कोlincences उपलब्ध किए जाते हैं ।


यह कंपनियां सॉफ्टवेयर इंजीनियरों और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर को काम पर रखती हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर आमतौर पर r&d रिसर्च एंड डेवलपमेंट समूह होता है जो अलका रिदम्स विकसित करता है और सॉफ्टवेयर कोड लिखकर टूल्स बनाता है इंजीनियर चिप डिजाइन के अपने ज्ञान के आधार पर चिप डिजाइन कंपनियों और सॉफ्टवेयर आरएंडी टीम के बीच सेतु का काम करते हैं और r&d टीम को चिप डिजाइन इंडस्ट्री की जरूरत के टूल्स की जानकारी देते हैं।

डिजाइन ऑटोमेशन कॉन्फ्रेंस अमेरिका में होने वाला एक वार्षिक आयोजन है जहां चिप डिजाइन दिए और फंदेरी अपनी नवीनतम तकनीक का प्रदर्शन करते हैं नवीनतम डिजाइन चुनौतियों पर धारकों के कुछ पत्र भी हैं जिनमें बताया गया है कि उन्हें कैसे ईडियट्स की मदद से अंजाम दिया गया भारत में वी एस आई कॉन्फ्रेंस बीडीएससी की तरह का प्रतिष्ठित आयोजन है और यह प्रत्येक जनवरी को होता है

चिप डिजाइनर कैसे बने


चिप डिजाइनर के तौर पर काम करने वाले अधिकांश व्यक्तियों के पास इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा अथवा बैचलर श्याम मास्टर डिग्री होती है युवा इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी एमएससी भी कर सकते हैं या वे बीटेक एमटेक कर सकते हैं

विभिन्न डिजाइन जॉब प्रोफाइल

चिप डिजाइन कंपनी में किसी व्यक्ति के अनुभव रुचि के आधार पर विभिन्न जॉब प्रोफाइल होते हैं वह व्यक्ति एनालॉग सर्किट डिजाइन इंजीनियर हो सकता है या फुल टाइम डिजाइन इंजीनियर या सिमुलेशन चलाने के लिए डिजाइन प्रक्रिया में स्पाइस एम लेटर का इस्तेमाल किया जाता है


यहां वेरीफिकेशन इंजीनियर भी बना जा सकता है यानी वह व्यक्ति जो डिजाइन का सत्यापन करता है इंडस्ट्री आज इस बात का एक मत है कि वेरीफिकेशन डिजाइन से भी बड़ी चुनौती है ऐसा इसलिए क्योंकि यदि वेरीफिकेशन के दौरान भी जाए से जुड़ी समस्या पकड़ में नहीं आती है तो उसके पुनर्निर्माण पर भारी खर्च आ सकता है इसलिए हम हुमन वेरीफिकेशन टीम डिजाइन टीम से बड़ी होती है

गत कुछ वर्षों में mixed-signal डिजाइन को काफी तरजीह दी गई है क्योंकि इंडस्ट्री कीमत नियंत्रित रखने के लिए उसी चिप में एनालॉग और डिजिटल कंपनी के निर्माण पर जोर देती है यह सूची बहुत लंबी हो सकती है क्योंकि शिप डिजाइन जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है और इसमें विभिन्न कौशल संपन्न लोगों की जरूरत पड़ती है
At last

भारत में वी एस एल आई इंडस्ट्री अब काफी अनुभव संपन्न हो चुकी है इंडस्ट्री का मानना है कि हमारे देश में किया जाने वाला कार्य गुणवत्ता में अमेरिका या यूरोप में किए जाने वाले कार्य के बराबर बैठता है बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अब यह धारणा भी निराधार साबित हो चुकी है कि उनकी भारत की टीम के हिस्से में कम जटिल डिजाइन तैयार करने का कार्य आता है इसलिए आप अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं तो आपको भारत से बाहर जाने की जरूरत नहीं है

भारत में कई डिजाइन सर्विस कंपनियां आ रही है यह कंपनियां खुद के लिए चीफ नहीं बनाती बल्कि वह भाव राष्ट्रीय कंपनियों के लिए चिप डिजाइन सेवाएं उपलब्ध कराती हैं यदि इंडिया फाउंड्री का सपना साकार हो जाता है तो हमें अपने ही देश में कई कंपनियां देखने को मिल सकती है

इसलिए आज कॉलेज से आने वाले युवाओं के लिए केवल सॉफ्टवेयर ही हाईटेक इंडस्ट्री नहीं है बल्कि यूएचएफ डिजाइन फाउंड्री और ईडीएमए भी सुनहरे कैरियर के बहुत अवसर तलाश सकते हैं इस इंडस्ट्री में काम करने वाले एक व्यक्ति को जब पूछा गया कि क्या आप सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करते हैं

उसका जवाब था नहीं मैं वीएलएसआई में काम करता हूं यह उत्तर हमें जल्दी ही जानी पहचानी वस्तुओं का भास्कर आने लगेगा


इंटरनेट ब्राउजर


एप्लीकेशन है जिससे हम वर्ल्ड वाइड वेब अर्थात इंटरनेट से विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त करते हैं इसके माध्यम से जानकारियां प्रस्तुत की जाती है तथा प्रसारित होती है जिन स्रोतों से यह जानकारियां आती है वह यूनिफॉर्म रिसोर्स आईडेंटिफायर यानी यूआरएल कहलाती है वर्तमान में इंटरनेट एक्सप्लोरर गूगल क्रोम मोज़िला फायरफॉक्स ओपेरा तथा सफारी कुछ प्रमुख इंटरनेट ब्राउज़र है विश्व में सबसे पहले वेब ब्राउज़र का विकास सन 1990 में टीमली नेक्स्ट कंप्यूटर के लिए किया था विश्व के पहले सर्वाधिक प्रचलित और लोकप्रिय ब्राउज़र इंटरनेट एक्सप्लोरर का विकास सन 1995 में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा किया गया था माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम से एक जब प्रमुख रूप से प्रचलित हैं जिनमें गूगल क्रोम सर्वाधिक लोकप्रिय जो एंड्राइड आई ओ एस विंडो जैसे मोबाइल प्लेटफॉर्म के लिए भी उपलब्ध है मोज़िला फायरफॉक्स भी व्यापक रूप से प्रचलित और लोकप्रिय बे ब्राउजर विंडोज लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध है इसका मोबाइल वर्जन एंड्राइड तथा फायरफॉक्स एस के रूप में उपलब्ध है मोबाइल पर इंटरनेट चलाने के लिए ओपेरा मिनी वेब ब्राउजर और यूसी ब्राउजर का उपयोग होता है ओपेरा मिनी एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर भारतीय भाषाओं और यूसी ब्राउजर गांधी उड़िया कश्मीरी तमिल तेलुगू मलयालम कन्नड़ असमी और उर्दू के लिए सपोर्ट ऐड किया भारत में मोबाइल फोंस के लिए यूसी ब्राउजर सर्वाधिक लोकप्रिय इसका इस्तेमाल अभी केवल मोबाइल फोंस के लिए ही हो रहा है एप्पल ने अपने मैक कंप्यूटर तथा आईफोन जैसे उत्पादों के लिए सफारी वेब ब्राउजर विकसित किया ।

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