सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं। भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...
Satyavadi Raja Harishchandra (सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र) कौन थे? Who was Satyavadi Raja Harishchandra?
भारत के पंडितों ने चार युग माने हैं ।हम लोग जिस युग में रहते हैं वह कलयुग कहा जाता है। इसके पहले द्वापर उसके पहले त्रेता और उसके पहले सतयुग था। कल युग समाप्त होने पर फिर सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग होंगे । इसी प्रकार चारों युग बारी-बारी से आते-जाते रहते हैं। प्रत्येक युग सहस्त्र वर्ष का होता है । सत्ययुग में एक प्रसिद्ध क्षत्रियों का परिवार था ।जिसे इक्ष्वाकु कहते हैं ।यह बहुत बड़े राजा थे ।इन्हीं के वंश में हरिश्चंद्र राजा हुए हैं । यह वंश सूर्यवंश भी कहा जाता है ।यह उत्तरी भारत में राज्य करते थे। आज ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता कि कहां से कहां तक इनका राज्य फैला हुआ था. इनके सम्बन्ध में सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि यह कभी झूठ नहीं बोलते थे । जो बात एक बार कह दी। वह फिर पत्थर की लकीर हो गई ।चाहे जो कुछ भी हो वह उसे करते ही थे ।अनेक ढंग से उनकी परीक्षा ली गई और सब में वह खरे उतरे । उनकी सच्चाई यहां तक बढ़ी हुई थी कि सपने में यदि उनके मुख से कुछ निकल जाता तो जाग जाने पर उसे भी वह पूरा करते थे उनके संबंध में कहा गया - “चन्द्र टरै सूरज ...