इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4 मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं। इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है। [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव: सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...
वन अधिकार अधिनियम [ एफआरए] और आदिवासियों के सरंक्षण में सरकार द्वारा कौन-कौन सी नितियां बनायी गयी हैं?What policies have been made by the government under the Forest Rights Act [FRA] and for the protection of tribals?
परिचय :- वन अधिकार अधिनियम [ एफआरए] 2006 वन में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य परम्परागत वन निवासियों (ओटीएफडी] के अधिकारों को मान्यता देने और उन्हें मजबूत करने के लिये एक महत्वपूर्ण कानून है। यह अधिनियम वन भूमि पर उनके दावों की मान्यता देता है, उन्हें आजीविका के साधन प्रदान करता है और वन प्रबन्धन में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करता है । अध्ययन के निष्कर्ष :- हाल ही में दिल्ली स्थित संगठन कॉल फॉर जस्टिस द्वारा गठित एक, तथ्य खोज समिति ने देश भर के पाँच राज्यों - असम, छत्तीसगढ महाराष्ट्र, ओडिशा और कर्नाटक में एफआरए के कार्यान्वयन का अध्ययन किया । अध्ययन में पाया गया कि एफआरए का कार्यान्वयन मिश्रित रहा है। जिसमें कुछ राज्यों में सकारात्मक प्रगति देखी गयी है, जबकि अन्य में महत्वपूर्ण कमियां है। मुख्य बिन्दु • असम: अध्ययन में पाया गया है कि एफआरए पूर्वोत्तर राज्यों में मौजूद झूम खेती से संबन्धित अनूठी स्थिति को संबोधित नहीं करता है। झूम खेती, पहाडी ढलानों प...