🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...
वन अधिकार अधिनियम [ एफआरए] और आदिवासियों के सरंक्षण में सरकार द्वारा कौन-कौन सी नितियां बनायी गयी हैं?What policies have been made by the government under the Forest Rights Act [FRA] and for the protection of tribals?
परिचय :- वन अधिकार अधिनियम [ एफआरए] 2006 वन में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य परम्परागत वन निवासियों (ओटीएफडी] के अधिकारों को मान्यता देने और उन्हें मजबूत करने के लिये एक महत्वपूर्ण कानून है। यह अधिनियम वन भूमि पर उनके दावों की मान्यता देता है, उन्हें आजीविका के साधन प्रदान करता है और वन प्रबन्धन में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करता है । अध्ययन के निष्कर्ष :- हाल ही में दिल्ली स्थित संगठन कॉल फॉर जस्टिस द्वारा गठित एक, तथ्य खोज समिति ने देश भर के पाँच राज्यों - असम, छत्तीसगढ महाराष्ट्र, ओडिशा और कर्नाटक में एफआरए के कार्यान्वयन का अध्ययन किया । अध्ययन में पाया गया कि एफआरए का कार्यान्वयन मिश्रित रहा है। जिसमें कुछ राज्यों में सकारात्मक प्रगति देखी गयी है, जबकि अन्य में महत्वपूर्ण कमियां है। मुख्य बिन्दु • असम: अध्ययन में पाया गया है कि एफआरए पूर्वोत्तर राज्यों में मौजूद झूम खेती से संबन्धित अनूठी स्थिति को संबोधित नहीं करता है। झूम खेती, पहाडी ढलानों प...