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Showing posts from October, 2024

UPSC परीक्षा में मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के बारे में परिचर्चा करो?

सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं।                      भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं।          भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...

चट्टानों का विस्तृत अध्ययन प्रकार, विशेषताएँ, और UPSC में पूछे गए प्रश्न

चट्टानें पृथ्वी के भौतिक निर्माण का एक प्रमुख हिस्सा हैं, जो कई भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण विभिन्न प्रकारों में पाई जाती हैं। ये हमारी पृथ्वी की सतह को बनाती हैं और भूगर्भीय परिवर्तनों का प्रमाण हैं। चट्टानों का अध्ययन भूविज्ञान का एक मुख्य अंग है और यह UPSC जैसी परीक्षाओं में भी महत्त्वपूर्ण है।  चट्टानें क्या हैं? चट्टानें एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण होती हैं जो प्राकृतिक रूप से कठोर हो जाती हैं। भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चट्टानें धरती की सतह पर स्थित बाहरी परतों से लेकर आंतरिक परतों तक पाई जाती हैं। चट्टानों का निर्माण विभिन्न तापमान, दबाव, और भौतिक-रासायनिक प्रक्रियाओं के प्रभाव से होता है। चट्टानों के प्रकार:→ चट्टानों को उनके निर्माण प्रक्रिया और खनिजों की प्रकृति के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:→ 1. आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks):→ आग्नेय चट्टानें, जिन्हें 'प्रथम' चट्टानें भी कहा जाता है, पृथ्वी के आंतरिक भाग में मौजूद मैग्मा के ठंडा और कठोर होने से बनती हैं। ये चट्टानें किसी भी अन्य चट्टान का आधार होती हैं और ये विभिन्न प्र...

भूकंपीय तरंगों से जानें पृथ्वी की आंतरिक संरचना का विस्तार और परतों का विश्लेषण

भूकंपीय तरंगों का अध्ययन करके पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जाती है। भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली भूकंपीय तरंगें पृथ्वी के अंदर से गुजरती हैं, जिससे वैज्ञानिकों को पता चलता है कि पृथ्वी की संरचना किन-किन परतों में विभाजित है, और उनमें क्या-क्या तत्व और विशेषताएँ पाई जाती हैं। इन तरंगों की गति, दिशा और मार्ग में आने वाले परिवर्तनों से पृथ्वी की आंतरिक संरचना का सटीक अध्ययन किया गया है।    पृथ्वी की संरचना के प्रमुख परतें→ पृथ्वी की आंतरिक संरचना को चार मुख्य परतों में बाँटा गया है:→ 1. भूपर्पटी (Crust) 2. मेंटल (Mantle) 3. बाहरी कोर (Outer Core) 4. भीतरी कोर (Inner Core) इन परतों के अलावा, भूकंपीय तरंगों की विशेषताएँ और उनका मार्ग इन परतों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने में सहायक हैं। 1. भूपर्पटी (Crust)→ •विवरण→: यह पृथ्वी की सबसे बाहरी और ठोस परत है, जिसे हम अपनी आँखों से देख सकते हैं। भूपर्पटी की मोटाई स्थलीय (महाद्वीपीय) भाग में और महासागरीय भाग में अलग-अलग होती है। भूमि के नीचे इसकी मोटाई लगभग 30-50 किमी और महासागरों ...

भारत में पुर्तगालियों का आगमन के बाद भारत में क्या कुछ परिवर्तन हुए इस पर विस्तार से जानकारी।

भारत में पुर्तगालियों का आगमन 15वीं शताब्दी के अंत और 16वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ, जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने यूरोपीय शक्तियों के भारत में प्रवेश और भारतीय उपमहाद्वीप के व्यापार, राजनीति और सांस्कृतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाला। पुर्तगालियों का भारत आगमन:→ 1. वास्को द गामा की यात्रा (1498):→    पुर्तगाली नाविक वास्को द गामा सबसे पहले 20 मई 1498 को भारत पहुंचे। वे केरल के तट पर कालीकट (कोझिकोड) बंदरगाह पर उतरे, जहां उनका स्वागत वहां के शासक ज़मोरिन (स्थानीय राजा) ने किया। यह यात्रा यूरोप से सीधे समुद्री मार्ग द्वारा भारत पहुंचने की दिशा में पहली सफल यात्रा थी। इसके साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप और यूरोप के बीच एक नया व्यापारिक मार्ग खुला, जो भूमध्य सागर और मध्य पूर्व के पारंपरिक व्यापारिक मार्गों को बायपास करता था। 2. समुद्री व्यापार पर नियंत्रण:→    पुर्तगालियों ने अरब व्यापारियों से भारतीय उपमहाद्वीप के समुद्री व्यापार पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया। उनकी मुख्य रुचि मसालों (विशेषकर काली मिर्च) में थी, जो यूरोप में बहुत मूल्यवान थे...

बंगाल विभाजन पर मुस्लिम नेताओं की राय: प्रमुख उदाहरण और प्रभाव

बंगाल विभाजन (1905) भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसे ब्रिटिश सरकार ने 16 अक्टूबर 1905 को अंजाम दिया था। इसका उद्देश्य बंगाल को दो अलग-अलग हिस्सों में विभाजित करना था: एक मुस्लिम बहुल पूर्वी बंगाल और एक हिंदू बहुल पश्चिमी बंगाल। इस विभाजन का मुख्य कारण प्रशासनिक सुधार बताया गया, लेकिन इसके पीछे ब्रिटिश सरकार की "फूट डालो और राज करो" की नीति थी, जिससे भारतीय समाज में धार्मिक और सामाजिक तनाव को बढ़ावा दिया जा सके। विभाजन के कारण:→ 1. प्रशासनिक कारण:→ बंगाल तब भारत का सबसे बड़ा प्रांत था और वहां की जनसंख्या करीब 8 करोड़ थी। ब्रिटिश सरकार ने दावा किया कि इस विशाल प्रांत का प्रशासनिक संचालन मुश्किल हो रहा था, इसलिए इसे छोटे हिस्सों में बांटने की आवश्यकता है। 2. धार्मिक विभाजन:→ हालांकि प्रशासनिक कारण दिए गए थे, असली मंशा थी हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच फूट डालना। ब्रिटिश सरकार ने सोचा कि इससे मुस्लिमों का समर्थन उन्हें मिलेगा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम कमजोर होगा। 3. राजनीतिक कारण:→ बंगाल उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का केंद्र था और ब...