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Showing posts from October, 2024

इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

चट्टानों का विस्तृत अध्ययन प्रकार, विशेषताएँ, और UPSC में पूछे गए प्रश्न

चट्टानें पृथ्वी के भौतिक निर्माण का एक प्रमुख हिस्सा हैं, जो कई भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण विभिन्न प्रकारों में पाई जाती हैं। ये हमारी पृथ्वी की सतह को बनाती हैं और भूगर्भीय परिवर्तनों का प्रमाण हैं। चट्टानों का अध्ययन भूविज्ञान का एक मुख्य अंग है और यह UPSC जैसी परीक्षाओं में भी महत्त्वपूर्ण है।  चट्टानें क्या हैं? चट्टानें एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण होती हैं जो प्राकृतिक रूप से कठोर हो जाती हैं। भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चट्टानें धरती की सतह पर स्थित बाहरी परतों से लेकर आंतरिक परतों तक पाई जाती हैं। चट्टानों का निर्माण विभिन्न तापमान, दबाव, और भौतिक-रासायनिक प्रक्रियाओं के प्रभाव से होता है। चट्टानों के प्रकार:→ चट्टानों को उनके निर्माण प्रक्रिया और खनिजों की प्रकृति के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:→ 1. आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks):→ आग्नेय चट्टानें, जिन्हें 'प्रथम' चट्टानें भी कहा जाता है, पृथ्वी के आंतरिक भाग में मौजूद मैग्मा के ठंडा और कठोर होने से बनती हैं। ये चट्टानें किसी भी अन्य चट्टान का आधार होती हैं और ये विभिन्न प्र...

भूकंपीय तरंगों से जानें पृथ्वी की आंतरिक संरचना का विस्तार और परतों का विश्लेषण

भूकंपीय तरंगों का अध्ययन करके पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जाती है। भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली भूकंपीय तरंगें पृथ्वी के अंदर से गुजरती हैं, जिससे वैज्ञानिकों को पता चलता है कि पृथ्वी की संरचना किन-किन परतों में विभाजित है, और उनमें क्या-क्या तत्व और विशेषताएँ पाई जाती हैं। इन तरंगों की गति, दिशा और मार्ग में आने वाले परिवर्तनों से पृथ्वी की आंतरिक संरचना का सटीक अध्ययन किया गया है।    पृथ्वी की संरचना के प्रमुख परतें→ पृथ्वी की आंतरिक संरचना को चार मुख्य परतों में बाँटा गया है:→ 1. भूपर्पटी (Crust) 2. मेंटल (Mantle) 3. बाहरी कोर (Outer Core) 4. भीतरी कोर (Inner Core) इन परतों के अलावा, भूकंपीय तरंगों की विशेषताएँ और उनका मार्ग इन परतों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने में सहायक हैं। 1. भूपर्पटी (Crust)→ •विवरण→: यह पृथ्वी की सबसे बाहरी और ठोस परत है, जिसे हम अपनी आँखों से देख सकते हैं। भूपर्पटी की मोटाई स्थलीय (महाद्वीपीय) भाग में और महासागरीय भाग में अलग-अलग होती है। भूमि के नीचे इसकी मोटाई लगभग 30-50 किमी और महासागरों ...

भारत में पुर्तगालियों का आगमन के बाद भारत में क्या कुछ परिवर्तन हुए इस पर विस्तार से जानकारी।

भारत में पुर्तगालियों का आगमन 15वीं शताब्दी के अंत और 16वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ, जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने यूरोपीय शक्तियों के भारत में प्रवेश और भारतीय उपमहाद्वीप के व्यापार, राजनीति और सांस्कृतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाला। पुर्तगालियों का भारत आगमन:→ 1. वास्को द गामा की यात्रा (1498):→    पुर्तगाली नाविक वास्को द गामा सबसे पहले 20 मई 1498 को भारत पहुंचे। वे केरल के तट पर कालीकट (कोझिकोड) बंदरगाह पर उतरे, जहां उनका स्वागत वहां के शासक ज़मोरिन (स्थानीय राजा) ने किया। यह यात्रा यूरोप से सीधे समुद्री मार्ग द्वारा भारत पहुंचने की दिशा में पहली सफल यात्रा थी। इसके साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप और यूरोप के बीच एक नया व्यापारिक मार्ग खुला, जो भूमध्य सागर और मध्य पूर्व के पारंपरिक व्यापारिक मार्गों को बायपास करता था। 2. समुद्री व्यापार पर नियंत्रण:→    पुर्तगालियों ने अरब व्यापारियों से भारतीय उपमहाद्वीप के समुद्री व्यापार पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया। उनकी मुख्य रुचि मसालों (विशेषकर काली मिर्च) में थी, जो यूरोप में बहुत मूल्यवान थे...

बंगाल विभाजन पर मुस्लिम नेताओं की राय: प्रमुख उदाहरण और प्रभाव

बंगाल विभाजन (1905) भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसे ब्रिटिश सरकार ने 16 अक्टूबर 1905 को अंजाम दिया था। इसका उद्देश्य बंगाल को दो अलग-अलग हिस्सों में विभाजित करना था: एक मुस्लिम बहुल पूर्वी बंगाल और एक हिंदू बहुल पश्चिमी बंगाल। इस विभाजन का मुख्य कारण प्रशासनिक सुधार बताया गया, लेकिन इसके पीछे ब्रिटिश सरकार की "फूट डालो और राज करो" की नीति थी, जिससे भारतीय समाज में धार्मिक और सामाजिक तनाव को बढ़ावा दिया जा सके। विभाजन के कारण:→ 1. प्रशासनिक कारण:→ बंगाल तब भारत का सबसे बड़ा प्रांत था और वहां की जनसंख्या करीब 8 करोड़ थी। ब्रिटिश सरकार ने दावा किया कि इस विशाल प्रांत का प्रशासनिक संचालन मुश्किल हो रहा था, इसलिए इसे छोटे हिस्सों में बांटने की आवश्यकता है। 2. धार्मिक विभाजन:→ हालांकि प्रशासनिक कारण दिए गए थे, असली मंशा थी हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच फूट डालना। ब्रिटिश सरकार ने सोचा कि इससे मुस्लिमों का समर्थन उन्हें मिलेगा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम कमजोर होगा। 3. राजनीतिक कारण:→ बंगाल उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का केंद्र था और ब...