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Showing posts from July, 2024

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

रामसर स्थल क्या होते हैं? रामसर स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दो?

भारत में वर्तमान में 82 रामसर साइट्स हैं, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हैं। ये वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) हैं जो अंतरराष्ट्रीय महत्व की हैं और इनके संरक्षण के लिए रामसर कन्वेंशन के तहत मान्यता प्राप्त है।  भारत में ये रामसर साइट्स विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं, जैसे:→ आंध्र प्रदेश: → कोल्लेरू झील असम:→   दीपोर बील बिहार:  → कबरताल वेटलैंड, नागी पक्षी अभयारण्य, नक्ति पक्षी अभयारण्य गुजरात:→   नलसरोवर, वधवाना वेटलैंड, थोल लेक वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, खिजादिया वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी हरियाणा: → सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, भिंडावास वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी जम्मू और कश्मीर:→   वुलर झील, सुरिनसर-मंसर झीलें, होकेरा वेटलैंड केरल:  → वेंबनाड कोल वेटलैंड, अष्टमुडी वेटलैंड लद्दाख:  → त्सो मोरिरी झील, त्सो कर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स महाराष्ट्र: → नंदूर मधमेश्वर, लोणार झील मणिपुर:→ लोकटक झील उड़ीसा: → चिल्का झील, भितरकणिका मैन्ग्रोव इन वेटलैंड्स का क्षेत्रफल और संरक्षण की स्थिति अलग-अलग है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत...

भूगोल किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार की होती है । विस्तार से चर्चा करो।

भूगोल जिसका शाब्दिक अर्थ है " पृथ्वी का वर्णन " Geography यूनानी भाषा के दो शब्द Geo [ पृथ्वी] और Graphy [वर्णन] से मिलकर बना है। अगर हम सरल भाषा में बात करें भूगोल का तात्यपर्य- ब्रहमांड में मानव निवास के रूप में एक ग्रह  पृथ्वी के आकार, प्रकार, जीवन, पर्यावरण की  चर्चा करना ही भूगोल है। यानी भूगोल का शाब्दिक अर्थ है भू+ गोल → गोल पृथ्वी ।               यह विषय न केवल हमारी पृथ्वी की पृथ्वी की संरचना और उसकी सतह को समझने में मदद करता है, बल्कि इसमें मानव सभ्यता का भी अध्ययन शामिल है और इस बात का भी अध्ययन होता है कि मानव और पर्यावरण के बीच सम्बन्ध कैसे हैं।  भूगोल के प्रमुख भाग: →   भूगोल को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा गया है-  [1] भौतिक भूगोल [Physical Geography ]:-→  भौतिक भूगोल में पृथ्वी की प्राकृतिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता  है, जैसे कि पर्वत, नदियों, महासागर, वायुमण्डल और जलवायु । यह भाग हमें बताता है कि कैसे प्राकृतिक प्रक्रियाएं, जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, भूकम्प और मौसम परिवर्तन पृथ्वी की ...

ब्रम्हाण्ड किसे कहते हैं? यह UPSC की परीक्षा के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण topic है?

ब्राह्मंड जिसे अंग्रेजी में " यूनिवर्स " कहा जाता है। वह सम्पूर्णता है जिसमें हम और सब कुछ मौजूद है। यह एक विशाल असीम और रहस्यमय स्थान है, जिसमें अनगिनत तारे, ग्रह, गैलेक्सियाँ, और अन्य खगोलिय  पिंड शामिल हैं। ब्राम्हांड के अध्ययन को खगोलविज्ञान [ एस्ट्रोनॉमी कहते हैं ।           मानव मस्तिष्क में एक क्रमबद्ध रूप में जब सम्पूर्ण विश्व का चित्र उभरा तो उसने इसे ब्राम्हांड [Cosmos की संज्ञा दी। मिस्र यूनानी परम्परा के प्रख्यात खगोलशास्त्री क्लाडियस टॉलमी ने सर्वप्रथम इसका नियमित अध्ययन कर जियोसेन्टिक अवधारणा का प्रतिपादन किया। इस अवधारणा के अनुसार, पृथ्वी ब्राम्हांड के केन्द्र में है तथा सूर्य व अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं। ब्राम्हाड के सम्बन्ध में यह अवधारणा लम्बे समय तक बनी रही। परन्तु 1543 ई० में कॉपरनिकस ने जब हेलियोसेट्रिंक अवधारणा का प्रतिपादन किया तो उसके पश्चात ब्राम्हांड के सम्बन्ध में एक नयी theory के  तहत कॉपरनिकस ने यह बताया कि ब्राम्हांड पृथ्वी नहीं अपितु सूर्य है। इस theory से ब्राम्हांड के अध्ययन की दिशा को ही बदल कर ...