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Indus Valley Civilization क्या है ? इसको विस्तार से विश्लेषण करो ।

🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। Blog Post परिचय असुरक्षित ऋण (Non-Performing Assets या NPA...

भारत का संवैधानिक विकास का क्या अर्थ है? इस पर विस्तार से चर्चा करो?

भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन हेतु पारित अधिनियमः→ ब्रिटिश संसद के 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट के द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल पद नाम दिया गया एवं उसकी सहायता के लिये एक चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया गया, जिनका कार्यकाल 5 वर्ष रखा गया। इस एक्ट के अनुसार वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बना तथा फ्रांसिस, क्लेवंरिग, मानसन और बारवेल काउंसिल के सदस्य नियुक्त हुए । सपरिषद गवर्नर जनरल को बंगाल में फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी के सैनिक एवं असैनिक शासन का अधिकार दिया गया था तथा इसे प्रमुख मामलों (यथा - विदेश नीति) में मद्रास और बम्बई की प्रेसीडेंसियों का अधीक्षण भी करना था। इसी एक्ट के तहत कलकत्ता में 1774 ई० में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गयी, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश थे।        1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट में Company के कर्मचारियों को निजी व्यापार करने तथा भारतीयों से उपहार लेने से प्रतिबंधित किया गया। पिट्स इंडिया Act द्वारा 1784 company के राजनीतिक और व्यापारिक कार्यों का पृथक्करण किया गया। ...

इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

अनुच्छेद 370 के बाद का कश्मीर: विकास, शांति और भारत सरकार का विज़न

धारा 370 का अंत और जम्मू-कश्मीर का नया अध्याय परिचय 6 अगस्त, 2019 का दिन भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ बन गया, जब सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को समाप्त कर दिया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा समाप्त कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। इस बदलाव का उद्देश्य पूरे देश में एकता और समानता स्थापित करना था। दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा बहाल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह काम जितनी जल्दी हो सके, किया जाना चाहिए। इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि अनुच्छेद 370 क्या था, इसे क्यों और कैसे हटाया गया, और इसका भारत और जम्मू-कश्मीर पर क्या प्रभाव पड़ा। अनुच्छेद 370 और 35ए क्या थे? अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का यह विशेष प्रावधान जम्मू-कश्मीर को भारत में एक अलग पहचान देता था। इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान, झंडा और कानून बनाने की अनुमति थी। भारत का संविधान और कानून जम्मू-कश्मीर पर तभी लागू हो सकते थे, जब राज्य की विधानसभा ...

हीमोफीलिया A कौन सी बीमारी है? क्या इसका स्थायी इलाज भारत में सम्भव है ?

ब्लॉग पोस्ट: हीमोफीलिया A के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव – जीन थेरेपी की नई उम्मीद परिचय: क्या आपको पता है कि रक्तस्राव से जुड़ी एक गंभीर बीमारी हीमोफीलिया A का इलाज अब आसान हो सकता है? भारतीय वैज्ञानिकों ने जीन थेरेपी के क्षेत्र में ऐसा हल निकाला है, जो हीमोफीलिया A के मरीजों के जीवन को पूरी तरह बदल सकता है। यह थेरेपी बार-बार दिए जाने वाले महंगे इंजेक्शनों की जगह एक बार में स्थायी उपचार प्रदान करती है। हीमोफीलिया A: क्या है यह बीमारी? हीमोफीलिया A एक आनुवंशिक विकार है, जिसमें रोगी के खून में फैक्टर VIII नामक प्रोटीन की कमी होती है। यह प्रोटीन रक्त को थक्का बनाने में मदद करता है। इसकी कमी के कारण चोट लगने या किसी अन्य कारण से खून का बहना बंद नहीं होता, जो मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है। यह कैसे होता है? यह बीमारी X-लिंक्ड अप्रभावी पैटर्न में वंशानुगत होती है। यदि किसी पुरुष को यह बीमारी होती है, तो इसका कारण यह है कि उसे मां से दोषपूर्ण X गुणसूत्र मिला है। महिलाओं में यह स्थिति तब होती है, जब उन्हें दोनों माता-पिता से दोषपूर्ण X गुणसूत्र मिलते हैं, लेकिन यह दुर...

नागरिकता (Citizenship) का भारत में क्या मतलब है विस्तार से जानकारी दो?

भारतीय नागरिकता से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को समझना किसी प्रतियोगी परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत आवश्यक है। इस विषय में भारतीय संविधान, नागरिकता अधिनियम, 1955, और नागरिकता अर्जित करने के विभिन्न तरीकों का संपूर्ण विवरण नीचे दिया गया है। 1. भारतीय संविधान में नागरिकता से संबंधित प्रावधान भारतीय संविधान के भाग II (अनुच्छेद 5 से 11) में नागरिकता से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं: (i) अनुच्छेद 5 : भारत की प्रारंभिक नागरिकता यह प्रावधान बताता है कि 26 जनवरी 1950 (संविधान के लागू होने की तारीख) को कौन व्यक्ति भारत का नागरिक होगा। वे व्यक्ति जो भारत में जन्मे हों। वे व्यक्ति जिनके माता-पिता में से कोई एक भारत में जन्मा हो। वे व्यक्ति जो सामान्यतः भारत में 5 साल से निवास कर रहे हों। (ii) अनुच्छेद 6 : पाकिस्तान से भारत में प्रवास करने वाले व्यक्तियों की नागरिकता यदि कोई व्यक्ति 19 जुलाई 1948 से पहले भारत आया है और उसने यहाँ निवास करना शुरू कर दिया है। यदि कोई व्यक्ति 19 जुलाई 1948 के बाद भारत आया है, तो उसे सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपना पंजीकरण कराना होगा। (iii) अनुच्छेद 7 :...