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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

महात्मा गांधी का जीवन परिचय और उनके द्वारा किए गए आन्दोलन का विस्तृत वर्णन करो?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और उनकी माता पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थीं। गांधी का परिवार वैष्णव धर्म को मानने वाला था और माता के धार्मिक संस्कारों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। प्रारंभिक शिक्षा और इंग्लैंड प्रवास:→ गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई। 1888 में, 19 वर्ष की उम्र में, वे कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। लंदन में रहते हुए, उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की और 1891 में भारत वापस लौट आए। हालांकि, भारत में उनके कानूनी करियर की शुरुआत कठिन रही और उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। दक्षिण अफ्रीका का अनुभव:→ 1893 में गांधी जी को एक कानूनी मामले के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां उनके साथ रंगभेद के आधार पर भेदभाव हुआ, जब उन्हें एक ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर फेंक दिया गया। इस घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया। उन्होंने सत्याग्रह (सत्...

सुभाष चंद्र बोस कौन थें? देश की आजादी में उनका क्या योगदान है। चर्चा करो।

सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रखर और करिश्माई नेताओं में से एक थे। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा (तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी) में हुआ था। उनके पिता, जानकीनाथ बोस, एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माता, प्रभावती देवी, धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। सुभाष चंद्र बोस ने शुरुआती शिक्षा कटक में ली और बाद में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के प्रेसीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। इसके बाद वे इंग्लैंड गए और इंडियन सिविल सर्विस (ICS) की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया।      हालांकि, बोस का ब्रिटिश शासन के अधीन काम करने का मन नहीं था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से गहराई से प्रभावित थे और महात्मा गांधी और कांग्रेस के विचारों की ओर आकर्षित हुए। 1921 में, उन्होंने सिविल सर्विस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।   राजनीतिक जीवन और कांग्रेस से मतभेद:→ बोस का कांग्रेस में बहुत तेजी से उत्थान हुआ और 1938 में वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए । उनकी विचारधारा गांधीजी के अहिंस...

पानीपत के युद्ध कितने हुए तथा किनके बीच हुए थे? इन युद्धों का भारत पर क्या असर पड़ा।?

पानीपत के युद्ध भारतीय इतिहास के सबसे निर्णायक संघर्षों में से हैं, जिनमें तीन प्रमुख लड़ाइयाँ हुईं। इन युद्धों ने न केवल उत्तर भारत के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया, बल्कि भारत के भविष्य को भी गहराई से प्रभावित किया। तीनों युद्ध पानीपत के मैदान में लड़े गए, जो रणनीतिक रूप से दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में स्थित था। पानीपत को अक्सर ‘दिल्ली का प्रवेश द्वार’ माना जाता था, और दिल्ली के नियंत्रण के लिए कई आक्रांताओं ने यहाँ युद्ध लड़ा। 1.पानीपत का प्रथम युद्ध (1526)→ पृष्ठभूमि:→ यह युद्ध मुगल शासक ज़हीर-उद्दीन बाबर और दिल्ली के अंतिम लोदी सुल्तान, इब्राहिम लोदी, के बीच लड़ा गया। 12वीं सदी के बाद से उत्तर भारत पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए कई आक्रमणकारी इस क्षेत्र में आए थे, और बाबर भी एक आक्रमणकारी के रूप में आया। हालाँकि, उसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। इब्राहिम लोदी की विशाल सेना और उसकी मजबूत स्थिति को बाबर की नई रणनीतियों और आधुनिक हथियारों ने कमजोर किया। सेना की ताकत:→ बाबर के पास लगभग 15,000 सैनिक और 20-24 तोपें थीं, जबकि इब्राहिम लोदी के पास 30,000-40,000 सैनिक औ...