इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4 मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं। इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है। [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव: सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...
भारत में अंग्रेजी शासन की नींव 18वीं सदी में डाली गई थी, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय सुप्रसिद्ध मुग़ल वंश की शासन प्रणाली को ध्वस्त करके भारत में अपनी सत्ता स्थापित की। आरंभिक दौर में, ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापारी और आर्थिक हिस्सेदारी का काम कर रही थी, लेकिन समय के साथ कंपनी ने अपनी सत्ता बढ़ाने के लिए सैनिक और राजनीतिक कदम उठाए। इसके पश्चात्, 1858 में वेलेस्ली अधिनियम के पास होने से ब्रिटिश सरकार ने भारत में सीपीओ (गवर्नर जनरल) पद की स्थापना की और उन्हें भारतीय सत्ता का प्रमुख नियंत्रक बनाया। यह पद स्थायी ब्रिटिश सत्ता की प्रतीक बन गया और इससे पहले सत्ताधारी नायक और बाद में वाइसराय के रूप में जाना जाता था। ब्रिटिश सरकार ने भारतीय जनता पर अपनी शासन प्रणाली को लागू किया और अंग्रेजी भाषा को शिक्षा, न्यायिक प्रणाली, सरकारी कार्य, और स्थानीय सभा में आधिकारिक भाषा के रूप में अभिव्यक्ति का स्तर उच्च करने का प्रयास किया। वे विद्यालयों, कानून के माध्यम से न्याय प्रणाली, शासनिक इंस्टीट्यूशन, और न्यूनतम विधान सभा के गठन के माध्यम से अंग्रेजी शिक्षा और शासन को बढ़ावा दिया। इसके ...