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Showing posts from February, 2023

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

अदालतों में लंबित मुकदमे 5 करोड़ का आंकड़ा छू रहे इसके लिए कौन जिम्मेदार है सरकार या हमारी न्यायपालिका?(Who is responsible for the cases pending in the courts touching the figure of 5 crores, the government or our judiciary?)

लोकतंत्र और न्याय दोनों ही एक दूसरे के समकक्ष हैं यह कहा जाए तो गलत नहीं है आज के युग में जिस प्रकार लोगों को लोकतंत्र में आजादी मिली हुई है वह स्वतंत्र रूप से कहीं भी और जा सकते हैं किसी भी प्रकार के बंधनों से मुक्त आज वह आजादी की हवा में अपना जीवन जी सकते हैं. अपनी बातों को वह कहीं भी कह सकते हैं और किसी भी प्रकार से किसी का भी वह शांतिपूर्वक विरोध जता सकते हैं. यही लोकतंत्र के असली मायने हैं. न्याय की बात करें तो इस प्रक्रिया के पालन में आज भी कुछ मुश्किलें जरूर है. करीब 800 सालों पहले सन 1215 में मैग्नाकार्टा के संधि के जरिए ब्रिटिश नागरिकों से यह जो वादा किया गया था कि अधिकार और न्याय हम किसी को नहीं बेचेंगे । और ना ही हम इसे खारिज करेंगे और ना ही इसमें विलंब करेंगे। वह दुनिया भर के लिखित और अलिखित संविधान वाले लोकतंत्र में न्याय देने का मानक बन चुका है। यही नहीं न्याय में देरी करना न्याय देने से मना करना है जैसा नीति वचन भी कहीं वहीं से निकला है।                                   Democracy and ju...