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Showing posts from February, 2023

Indus Valley Civilization क्या है ? इसको विस्तार से विश्लेषण करो ।

🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...

अदालतों में लंबित मुकदमे 5 करोड़ का आंकड़ा छू रहे इसके लिए कौन जिम्मेदार है सरकार या हमारी न्यायपालिका?(Who is responsible for the cases pending in the courts touching the figure of 5 crores, the government or our judiciary?)

लोकतंत्र और न्याय दोनों ही एक दूसरे के समकक्ष हैं यह कहा जाए तो गलत नहीं है आज के युग में जिस प्रकार लोगों को लोकतंत्र में आजादी मिली हुई है वह स्वतंत्र रूप से कहीं भी और जा सकते हैं किसी भी प्रकार के बंधनों से मुक्त आज वह आजादी की हवा में अपना जीवन जी सकते हैं. अपनी बातों को वह कहीं भी कह सकते हैं और किसी भी प्रकार से किसी का भी वह शांतिपूर्वक विरोध जता सकते हैं. यही लोकतंत्र के असली मायने हैं. न्याय की बात करें तो इस प्रक्रिया के पालन में आज भी कुछ मुश्किलें जरूर है. करीब 800 सालों पहले सन 1215 में मैग्नाकार्टा के संधि के जरिए ब्रिटिश नागरिकों से यह जो वादा किया गया था कि अधिकार और न्याय हम किसी को नहीं बेचेंगे । और ना ही हम इसे खारिज करेंगे और ना ही इसमें विलंब करेंगे। वह दुनिया भर के लिखित और अलिखित संविधान वाले लोकतंत्र में न्याय देने का मानक बन चुका है। यही नहीं न्याय में देरी करना न्याय देने से मना करना है जैसा नीति वचन भी कहीं वहीं से निकला है।                                   Democracy and ju...