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भारत का संवैधानिक विकास का क्या अर्थ है? इस पर विस्तार से चर्चा करो?

भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन हेतु पारित अधिनियमः→ ब्रिटिश संसद के 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट के द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल पद नाम दिया गया एवं उसकी सहायता के लिये एक चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया गया, जिनका कार्यकाल 5 वर्ष रखा गया। इस एक्ट के अनुसार वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बना तथा फ्रांसिस, क्लेवंरिग, मानसन और बारवेल काउंसिल के सदस्य नियुक्त हुए । सपरिषद गवर्नर जनरल को बंगाल में फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी के सैनिक एवं असैनिक शासन का अधिकार दिया गया था तथा इसे प्रमुख मामलों (यथा - विदेश नीति) में मद्रास और बम्बई की प्रेसीडेंसियों का अधीक्षण भी करना था। इसी एक्ट के तहत कलकत्ता में 1774 ई० में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गयी, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश थे।        1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट में Company के कर्मचारियों को निजी व्यापार करने तथा भारतीयों से उपहार लेने से प्रतिबंधित किया गया। पिट्स इंडिया Act द्वारा 1784 company के राजनीतिक और व्यापारिक कार्यों का पृथक्करण किया गया। ...
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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

UPSC परीक्षा में मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के बारे में परिचर्चा करो?

सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं।                      भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं।          भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। Blog Post परिचय असुरक्षित ऋण (Non-Performing Assets या NPA...

भारतीय हस्तशिल्प उद्योग में GI टैग सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और वैश्विक पहचान

भारत की सांस्कृतिक विरासत: हस्तशिल्प और पारंपरिक कारीगर समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका भारत, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यह विविधता न केवल हमारे त्यौहारों, खान-पान और रीति-रिवाजों में दिखाई देती है, बल्कि इसे हमारे हस्तशिल्प और पारंपरिक कारीगर समुदायों में भी देखा जा सकता है। इन समुदायों ने अपनी पीढ़ियों से चली आ रही कला और कौशल को सहेज कर रखा है। आज, इन्हीं कारीगरों की मेहनत और उनके हस्तशिल्प हमारे देश की सांस्कृतिक पहचान के रूप में उभर कर सामने आए हैं। हस्तशिल्प और पारंपरिक कारीगरों की भूमिका पारंपरिक ज्ञान और कौशल का संरक्षण: बनारसी साड़ियों की बुनाई, राजस्थान के ब्लू पॉटरी, और ओडिशा की पट्टचित्र कला जैसे शिल्प भारत की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं। ये कला रूप पारंपरिक ज्ञान और कौशल को संरक्षित करने का माध्यम बनते हैं। क्षेत्रीय पहचान: कश्मीर की पश्मीना शॉल, गुजरात का पटोला सिल्क, और मणिपुर का कनेक्टेड बांस क्राफ्ट, विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करते हैं। लोककथाओं और परंपराओं का संरक्षण: बिहार की मधुबनी ...

पठार को 'खनिजों का खज़ाना क्यों कहा जाता है ? एक जानकारी के माध्यम से बताओ तथा पठार से सम्बन्धित UPSC exam में पूछे गये प्रश्नोत्तरों को भी विस्तार से बताओ।

ब्लॉग टॉपिक: पठार - खनिजों का खज़ाना और आर्थिक विकास की रीढ़ पठार पृथ्वी की भू-आकृतियों में एक अद्भुत संरचना है, जिसे "खनिजों का खज़ाना" कहा जाता है। विश्व के विभिन्न पठार न केवल खनिज संपदा से भरपूर हैं, बल्कि वे वैश्विक आर्थिक गतिविधियों को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस ब्लॉग में हम विश्व के प्रमुख पठारों, उनकी खनिज संपदा और उनके आधार पर होने वाली आर्थिक गतिविधियों पर चर्चा करेंगे। ब्लॉग की ड्राफ्टिंग परिचय पठार क्या हैं और इन्हें "खनिजों का खज़ाना" क्यों कहा जाता है। विश्व के प्रमुख पठार और उनकी खनिज संपदा छोटा नागपुर पठार (भारत) अफ्रीकी पठार ब्राज़ील का पठार तिब्बती पठार खनिज आधारित आर्थिक गतिविधियों में पठारों की भूमिका औद्योगिक विकास निर्यातोन्मुख अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन स्वच्छ ऊर्जा में योगदान प्राकृतिक संसाधनों का संधारणीय उपयोग पर्यावरणीय चुनौतियाँ और समाधान। निष्कर्ष पठारों की महत्ता और इनके सही उपयोग की आवश्यकता। ब्लॉग का मुख्य भाग परिचय: पठार - खनिजों का खज़ाना पठार वे भू-आकृतियाँ है...